-सुहानी गहतोड़ी-
गर्म लू आतंकवादी-सी
घोसलों के प्राण है हरती,
एक छोटी-सी मजूरी में
भूख भी अब आग-सी लगती।
चिलचिलाती धूप में
फिर भी, ज़िन्दगी नित बस पकड़ती है।
राधेश्याम बंधु की कविता ‘जेठ की तपती दुपहरी में’ एक सामाजिक दृष्टिकोण को साझा करती है जो जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं को व्यक्त करता है. इसमें कई मुद्दे जैसे की जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और गरीबी का उल्लेख है. वहीं इस कविता में जेठ की दुपहरी की आतंकवाद से तुलना की गई है और किस प्रकार यह गर्मी गरीबों की जान लेती है उसे दर्शाया गया है. जेठ की दुपहरी का साहित्य में इस तरह का वर्णन उसे आम लोगों से जोड़ता है. साहित्यकारों का रचनात्मक दृष्टि कोण उसे इस तरह प्रस्तुत करता है कि आमजन उस तपती धरती और जीवन की मुश्किलों को महसूस कर पाते हैं. इस समय न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक स्थिरता की भी परीक्षा ली जाती हैं. जेठ की दुपहरी में तपी भूमि और झुलसाती हवा का वर्णन साहित्यिक रचनाओं में बार बार मिलता है.कई बार साहित्य में गर्मी उदासीनता, संघर्ष और प्रकृति की तीव्रता को निरूपित करता है तो कई इस गर्मी में युवा जोश, अल्हड़पन और प्रेम नजर आता है.
होरी और धनिया का संघर्ष
प्रेमचंद की कहानियों में भी गरमी का वर्णन मिलता है. जिस प्रकार उन्होंने ‘पूस की रात’ में सर्दी के भयावह रूप का वर्णन है, उसी प्रकार ‘गोदान’ में जेठ की दुपहरी का चित्रण किया है. होरी और धनिया की जिंदगी में गरमी का प्रकोप उनके संघर्षों को और बढ़ा देता है. गोदान का एक अंश – होरी खेत में काम कर रहा था. जेठ की दुपहरी का समय था. सूरज आग बरसा रहा था. हवा गरम और सूखी थी. हर पत्ता, हर घास का तिनका झुलस रहा था. होरी का शरीर पसीने से तरबतर था, लेकिन उसकी मेहनत जारी थी. गोदान का यह अवयव दर्शाता है की कैसे जेठ की जुलसती दुपहरी में भी गरीब तथा मेहनतकश लोग काम करने से नहीं झिझकते.
समकालीन साहित्य में जेठ की दुपहरी
समकालीन साहित्य में भी जेठ की दुपहरी का चित्रण मिलता है. जॉन अपडाइक की कविता ‘ जून ‘ में यह चित्रण मिलता है:-
सूरज अमीर है
और ख़ुशी से भुगतान करता है
सुनहरे घंटों में,
चांदी के दिनों में,
और लंबे हरे सप्ताह
जो कभी खत्म नहीं होते।
स्कूल बंद हो गए हैं।
समय हमारा है।
इस कविता में गरमी के महीने के बारे में बताया गया है, जो स्कूल बंद होने और आनंद के समय का आगमन के साथ आता है. सूरज की सत्यता और खुशी के साथ इस कविता में जीवन की सुंदरता को दिखाया गया है. साहित्य में जेठ की दुपहरी का चित्रण केवल प्राकृतिक घटना का वर्णन नहीं है, बल्कि यह मानवीय जीवन की जटिलताओं और संघर्षों को दर्शाने में भी महत्वपूर्ण है. कवियों और लेखकों ने इस दुपहरी को अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया है, जिससे पाठकों को न केवल उस समय की गर्मी का एहसास होता है बल्कि उस समय के समाज और विभिन्न परिस्थितियों का भी ज्ञात होता है. जेठ की दुपहरी का साहित्यिक चित्रण हमें न केवल तपती गरमी का अनुभव कराता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि मानव जीवन की जिजीविषा कितनी प्रबल है. चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों, मनुष्य अपने धैर्य और साहस से हर चुनौती का सामना कर सकता है.