Prayagraj: मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया. हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका को खारिज कर दिया है. इसके साथ ही मथुरा के जिला जज को पूरे मामले की नई सिरे से सुनवाई का आदेश दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह केस में सोमवार को अंतरिम आदेश एवं पुनरीक्षण आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका वापस करते हुए निस्तारित कर दी है. कोर्ट ने कहा इस मामले में पहले ही फैसला आ चुका है. ऐसे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है. यह आदेश शाही ईदगाह ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिकाओं पर दिया गया. इस तरह अब मथुरा के जिला जज नए सिरे से सुनवाई कर आदेश पारित करेंगे. हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब सभी पक्षकारों को मथुरा जिला जज के वहां नए सिरे से अपनी दलीलें पेश करनी होंगी.
हाईकोर्ट ने पूरे केस को मथुरा के जिला जज को रिमांड बैक कर दिया है. दरअसल मामले में जिस सिविल सूट को खारिज कर दिया गया था. फैसले के खिलाफ श्रीकृष्ण विराजमान ने जिला जज के यहां रिवीजन अर्जी दाखिल की थी. इसके बाद जिला जज ने सिविल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया और फिर से सुनवाई का आदेश पारित किया. जिला जज के इसी आदेश को शाही ईदगाह ट्रस्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. सोमवार को इस पर कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है.
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इससे पहले हुई सुनवाई पर शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और भगवान कृष्ण विराजमान की तरफ से बहस पूरी हो गई थी. यह याचिका शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट और श्रीकृष्ण विराजमान के बीच भूमि विवाद को लेकर दायर की गई है.
भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव मथुरा की तरफ से याचिका दायर कर 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई थी. कहा गया है कि जमीन को लेकर दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया फैसला वादी पर लागू नहीं होगा क्योंकि वह पक्षकार नहीं था.
इससे पहले मथुरा की अदालत में चल रहे मुकदमे की सुनवाई पर रोक लगी थी. अधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने रोक हटाने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित किया. पहले फैसला 24 अप्रैल को आना था. लेकिन, बाद में कोर्ट ने इसके लिए 1 मई की तारीख तय की.