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कोरोना वैक्सीन की 6 चुनौतियां : ‘सही वैक्सीन, मात्रा, कंडीशन आदमी, समय के साथ उचित कीमत’, पढ़ें रिम्स निदेशक से खास बातचीत

वैक्सीन लगाने के बाद कितनी सुरक्षा मिलेगी? शरीर में कितनी इम्युनिटी बढ़ेगी? वैक्सीन कब दी जायेगी? कितना डोज होगा? कितने पैसे खर्च करने होंगे? ऐसे ही कुछ और अहम सवालों पर रिम्स निदेशक पद्मश्री डॉ कामेश्वर प्रसाद से वरीय संवाददाता राजीव पांडेय ने विशेष बातचीत की.

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए देश-दुनिया के लोगों को वैैक्सीन (टीकाकरण) का इंतजार है. भारत में भी इसकी तैयारी जोरों पर है़ सीरम इंस्टीट्यूट (पुणे) और भारत बायोटेक ने आम लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी है. दूसरी तरफ राज्य सरकार भी वैक्सीनेशन की तैयारी में जुट चुकी है़ कोल्ड चेन के लिए जगह चिन्हित की जा रही है़ इन मौजूदा परिस्थितियों में जहां लोगों की उम्मीद बढ़ीं हैं, वहीं उनके मन में कई सवाल भी उठने लगे हैं. वैक्सीन लगाने के बाद कितनी सुरक्षा मिलेगी? शरीर में कितनी इम्युनिटी बढ़ेगी? वैक्सीन कब दी जायेगी? कितना डोज होगा? कितने पैसे खर्च करने होंगे? ऐसे ही कुछ और अहम सवालों पर रिम्स निदेशक पद्मश्री डॉ कामेश्वर प्रसाद से वरीय संवाददाता राजीव पांडेय ने विशेष बातचीत की.

कोराेना वैक्सीन के लिए भारत में कौन-कौन सी चुनौतियां हैं?

कोरोना वैक्सीन आ रही है, लेकिन उसे छह तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. डब्ल्यूएचओ ने भी इन चुनौतियों को स्वीकार किया है. ये छह चुनौतियां हैं : राइट प्रोडक्ट (सही वैक्सीन), राइट क्वांटिटी (सही मात्रा), राइट कंडीशन (कोल्ड चेन), राइट पर्सन (सही आदमी), राइट टाइम (कब दिया जाये) व राइट कॉस्ट (उचित कीमत) है. सही वैक्सीन की बात करें, तो यूके में फाइजर कंपनी की वैक्सीन लगनी शुरू हो गयी है. भारत में तैयार हो रही ऑक्सफोर्ड व एक्सट्राजेनिका वैक्सीन के लिए केंद्र सरकार से इमरजेंसी प्रयोग के लिए अनुमति मांगी गयी है. इधर, फाइजर ने सीडीएससीओ में अनुमति के लिए आवेदन किया है. जहां तक फाइजर कंपनी की वैक्सीन की बात है, तो इसके भंडारण में बड़ी दिक्कत है.

फाइजर की वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस में रखना पड़ता है, जो अपने देश में हर जगह संभव नहीं है. यह मेट्राे सिटी में ही संभव है. वहीं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जो ऑक्सफोर्ड और एक्सट्राजेनिक वैैक्सीन तैयार कर रही है, उसका भंडारण भारत में आसानी से हो सकता है. इस वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर रखा जा सकता है. इस कोल्ड चेन का हम पालन कर सकते हैं. इसकी कीमत 250 रुपये तक अनुमान है, जबकि फाइजर कंपनी की वैक्सीन 2,500 रुपये में आयेगी. सरकार सबको महंगी वैक्सीन नहीं लगा सकती है, इसलिए सस्ती व कारगर वैैक्सीन पर ध्यान है.

Qकोल्ड चेन को कैसे मेंटेन किया जायेगा?

भारत सरकार कोल्ड चेन मेंटेन करने के लिए करीब 30,000 फ्रीजिंग फैसिलिटी तैयार कर रही है. इसे देश के अलग-अलग भागों में तैयार किया जा रहा है. स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने के लिए आइस कंटेनर की व्यवस्था भी की जा रही है. 86,000 प्वाइंट चिन्हित किये गये हैं. प्रत्येक जिला में टास्क फोर्स बनाया जा रहा है़ इनकी निगरानी की जिम्मेदारी मजिस्ट्रेट पर होगी. दो से आठ डिग्री की कोल्ड चेन को पूरा करने के लिए देश में तैयारी अच्छी चल रही है. फाइजर वैक्सीन कुछ खास जगह ही उपलब्ध होगी. इसलिए दो से आठ डिग्री पर रखनेवाली वैक्सीन की योजना बनी है. जानकारी के अनुसार सरकार ने वैक्सीन के लिए 30,000 करोड़ रुपये का फंड तैयार किया है.

Qराज्यों तक वैक्सीन कैसे पहुंचायी जायेगी?

सीरम इंस्टीट्यूट में तैयारी हो रही कोरोना वैक्सीन को हर राज्य में पहुंचाने का लक्ष्य है. वैक्सीन पहुंचाने के लिए एयरफोर्स के कारगो विमान का इस्तेमाल किया जायेगा. इसके लिए एयरफोर्स के 100 कारगो विमान काे तैयार किया जा रहा है. वैक्सीन सही समय पर पहुंचे और कोल्ड चेन का पालन हो, इसकी पूरी तैयारी चल रही है. राज्य में जब कारगो विमान से वैक्सीन पहुंचा दी जायेगी, ताे राज्यों की जिम्मेदारी शुरू होगी.

राज्य अपने स्तर पर कोल्ड चेन का पालन करते हुए मुख्यालय से जिलास्तर व जिला से पीएचसी-सीएचसी तक वैैक्सीन पहुंचायेंगे. फाइजर की वैक्सीन को इंग्लैंड में लगाना शुरू कर दिया गया है. अमेरिका में भी तीन-चार दिन में वैक्सीन लगने लगेगी. भारत वहां की डिलिवरी सिस्टम पर भी नजर रखे हुए है. सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी सभी बिंदुओं पर समीक्षा कर रही है़ शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगा.

Qवैक्सीन का कितना डोज होगा?

वैक्सीन के डोज पर भी मंथन चल रहा है. दो तरीके के डोज पर विचार चल रहा है. पहले तरीके में पहला हाफ डोज व दूसरा फुल डोज. वहीं, दूसरा तरीका यह है कि दोनों फुल डोज दिया जाये. सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन शुरू मेें हाफ (आधा) डोज में लगायी गयी थी. इसका रिजल्ट भी बेहतर मिलने लगा था़ लेकिन सरकार जिस संस्था को मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी थी, उसके अनुसार फुल डोज पर ही वैक्सीन काम करेगी. फुल डोज पर 60 से 70 फीसदी सुरक्षा प्रदान करने का दावा किया जा रहा है. हार्ड इम्युनिटी होने और 70 फीसदी को इम्युन कर लेने से वायरस को फैलने का रास्ता नहीं मिलेगा. इससे कोराेना की संख्या कम हो जायेगी.

Qवैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट भी होगा?

वैक्सीन के रेयर साइड इफेक्ट को अभी नहीं जान सकते हैं. रेयर साइड इफेक्ट लाखों लोगों में वैक्सीन लगने के बाद ही सामने आयेगा. ट्रायल फेज में सिर्फ सामान्य व कम समय वाले साइड इफेक्ट की जानकारी मिल पाती है. इसके साथ-साथ वैक्सीन कितनी फीसदी सुरक्षा प्रदान करती है, इसका पता चलता है. अगर कारगर वैक्सीन हम खोज लेते हैं, तो बीमारी को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी. जहां तक नियमित टीकाकरण में शामिल होने की बात है, तो ऐसा नहीं है कि यह बीमारी लंबे समय तक रहेगी. विश्व में कई महामारी आयी और चली गयी. ऐसे में नियमित टीकाकरण योजना में इसे शामिल करना, मुझे सही नहीं लगता है. हालांकि निजी वैक्सीन हाउस में भी यह उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे लोग खुद भी वैक्सीन लगवा पायेेंगे.

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Q वैक्सीनेशन में रिम्स का क्या रोल होगा?

रिम्स को सरकार से कोई अलग से दिशा-निर्देश नहीं मिला है, लेकिन हम तैयार हैं. वैक्सीन लगेगी, तो उसका साइड इफेक्ट भी होगा. ऐेसे मेें इलाज में रिम्स अपनी भूमिका निभायेगा. कोरोना लेकर मेडिकल साइंस में रोज अध्ययन हो रहे हैं. रिम्स अब भी कोरोना शोध में सहयोग कर रहा है. पायलट टेस्टिंग में हम काम कर रहे हैं. डब्लूएचओ द्वारा इसपर शोध की योजना तैयार की गयी है, जिसमें रिम्स शामिल होगा. कोरोना संक्रमितों में गुलेनबारी सिंड्रोम हो रहा है. वैक्सीन देने के बाद से भी ऐसी समस्या हो सकती है. पुरानी वैक्सीन में ऐसे साइड इफेक्ट हुए हैं, इसलिए ऐसा अनुमान है. रिम्स इस पर शोध करने के लिए हमेशा आगे रहेगा.

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Posted by : Pritish Sahay

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