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झारखंड में चाय की खेती की संभावनाएं तलाश रहा कृषि विभाग

कृषि विभाग झारखंड में चाय की खेती की संभावनाएं तलाश रहा है. इसके लिए पहली बार योजना तैयार की गयी है. विभाग के फार्म में एक करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से प्रत्यक्षण कराया जायेगा. यह काम उद्यान विकास योजना के पैसे से कराया जायेगा.

मनोज सिंह

कृषि विभाग झारखंड में चाय की खेती की संभावनाएं तलाश रहा है. इसके लिए पहली बार योजना तैयार की गयी है. विभाग के फार्म में एक करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से प्रत्यक्षण कराया जायेगा. यह काम उद्यान विकास योजना के पैसे से कराया जायेगा. इससे पूर्व नेशनल टी बोर्ड की तकनीकी टीम ने राज्य के कई जिलों का दौरा कर चाय की खेती की संभावना का अध्ययन किया था. टी बोर्ड ने झारखंड में पहले चरण में 60 एकड़ में इसका प्रत्यक्षण करने की अनुमति दी है. गुमला के रायडीह और पालकोट फार्म में 35 एकड़ में चाय लगाया जायेगा. हजारीबाग के डेमोटांड़ स्थित फॉर्म में 25 एकड़ में चाय लगाया जायेगा.

15 दिनों का किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

इस योजना के तहत चयनित किसानों को चाय की गुणवत्ता खेती के संबंध में 15 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसमें दूसरे राज्यों का भ्रमण भी कराया जायेगा. इस प्रति व्यक्ति 55800 रुपये खर्च किया जायेगा. प्रशिक्षण राज्य सरकार और भारत सरकार के चिह्नित प्रतिष्ठानों द्वारा कराया जायेगा. प्रशिक्षण का प्रारूप टी बोर्ड ने तय किया है. चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए तथा पौधा तैयार करने के लिए नर्सरी की स्थापना की जायेगी. विशेषज्ञों के परामर्श, रख रखाव व अन्य आकस्मिकता मद में 8.95 लाख रुपये खर्च होगा.

निदेशक उद्यान देखेंगे पूरी योजना

इस योजना का क्रियान्वयन निदेशक उद्यान, उप निदेशक उद्यान, उप निदेशक भूमि संरक्षण प्रशिक्षण संस्थान डेमोटांड़ हजारीबाग की देखरेख में होगा. जिला स्तर पर उद्यान पदाधिकारी और अनुमंडल कृषि पदाधिकारी स्कीम का क्रियान्वयन करेंगे. पहले चरण में गुमला एवं हजारीबाग में एक-एक एकड़ से इसी जुलाई माह में शुरुआत की जायेगी. शेष काम अक्तूबर माह में शुरू होगा. प्रति एकड़ 43560 रुपये खर्च करने की योजना है. प्रक्षेत्र की घेराबंदी पर प्रति एकड़ 26400 रुपये खर्च किया जायेगा.

टी बोर्ड ने जतायी है संभावना

नेशनल टी बोर्ड की तकनीकी टीम ने कुछ माह पहले झारखंड के कई इलाकों का दौरा किया था. उन्होंने लिखित अनुशंसा की है कि झारखंड का कुछ इलाका कर्क रेखा के करीब पड़ता है. यहां का मौसम चाय उत्पादन के अनुकूल है. गुमला, हजारीबाग के अतिरिक्त खूंटी में भी इसकी संभावना है. यहां की मिट्टी ढलान वाली है. इससे चाय की खेती में पानी जमने की संभावना बहुत कम है. इससे चाय का उत्पादन हो सकता है.

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