रांची: आजसू पार्टी के महाधिवेशन के दूसरे दिन शनिवार को रांची के मोरहाबादी में पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो कहा कि खतियान आधारित स्थानीय नीति झारखंड के मूलवासियों एवं आदिवासियों का सिर्फ एक मांग पत्र नहीं है. यह हमारे पूर्वजों का सपना है. इसके लिए झारखंड की धरती ने कुर्बानियां दी हैं. दिवंगत विनोद बिहारी महतो एवं शहीद निर्मल महतो के बलिदान को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे. पूर्वजों ने इसके लिए अपनी जानें दी हैं और अब इसे हासिल करना हमारी जिद है. दलित, अल्पसंख्यक, पिछड़े एवं आदिवासी हमारा साथ दें तो हम खतियान आधारित स्थानीय नीति देंगे. उन्होंने कहा कि यह आज की पीढ़ी का दृढ़ संकल्प भी है. हम इसके लिए वैधानिक ढांचों के अंतर्गत तब तक ईमानदारी से लड़ते रहेंगे, जब तक इसे हासिल नहीं कर लेते. एक आंदोलनकारी परिवार से आने के कारण झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन हमारे भाई हैं, लेकिन यह बेहद दुखद है कि इन्होंने अपने भ्रष्ट शासन और बेलगाम प्रशासन से राज्य की जनता को शर्मसार किया है. झारखंड आंदोलन के शहीदों को अपमानित किया है. हम सभी झारखंडवासी के रूप में शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं.
हेमंत सोरेन की सरकार षड्यंत्रकारी है
सुदेश महतो ने कहा कि यह षड्यंत्रकारी सरकार है. आजसू पार्टी यह संकल्प लेती है कि हम इन वर्गों को इनका अधिकार, शहीदों के सपनों के अनुसार दिलाना सुनिश्चित करेंगे. हम कानूनी दांव-पेच से निबटेंगे. बस आपका आशीर्वाद, सहयोग और ऊर्जा मुझे मिले. आप निराश नहीं हों. अपने सपनों को जिंदा रखें. हम इसे साकार करेंगे. मौजूदा सरकार राज के मूलवासी विशेषकर दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के साथ षडयंत्र कर रही है. उन्हें धोखा दे रही है.
सरकार आदिवासियों व अल्पसंख्यकों के प्रति ईमानदार नहीं है
आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि सदन में सरकार कहती है कि कानूनी रूप से खतियान आधारित स्थानीय नीति संभव नहीं है, लेकिन सड़कों पर बड़े-बड़े पोस्टर चिपकती है कि हमने राज्य के मूलवासी-आदिवासी को 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति दे दिया है. यह षडयंत्र नहीं है तो क्या है? सरकार अपनी नियोजन नीति से 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति से जोड़कर नियुक्ति को लेकर विज्ञापन क्यों नहीं निकालती है? इस कानूनी उलझनों को सुलझाना उनकी जिम्मेदारी है जो सरकार में बैठे हैं, लेकिन यह सरकार वास्तव में दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों के प्रति ईमानदार नहीं है.
दलितों, अल्पसंख्यकों एवं आदिवासियों में काफी आक्रोश
जल, जंगल व जमीन पर अधिकार, खनिज संपदाओं और मूलवासी आदिवासी का नियंत्रण, सत्ता में सब की हिस्सेदारी तथा राज्य संवारने के निर्णय प्रक्रिया में ये सभी समुदाय एवं वर्गों की सहभागिता झारखंड आंदोलन के मुख्य लक्ष्य में से एक रहा है, लेकिन आज क्या हो रहा है? ऐसा लगता है राज्य किसी खास परिवार, किसी खास व्यक्ति तथा किसी खास समुदाय के लिए बना है. सुदेश महतो ने कहा कि इस हालत में आज राज्य के गरीब एवं संघर्षशील पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों एवं आदिवासियों में काफी आक्रोश है. सत्ता में बैठे लोग खुद जमीन लूट में शामिल हैं. सरकार संरक्षित, बाहरी दलाल एवं माफिया खनिजों के लूट में शामिल हैं. आदिवासी-मूलवासी के नाम पर सत्ता शिखर पर पहुंचे पार्टी को आजसू पार्टी यह इजाजत कतई नहीं देगी कि वह आज पूरा झारखंड को लूट और उसे राज्य के बाहर के लोगों के हवाले इसे लूटने के लिए कर दे. आज झारखंड आंदोलनकारी पार्टी के सत्ता में बैठे उत्तराधिकारी को राज्य के मूलवासी और आदिवासी को यह बताना बताना चाहिए कि लूट राज्य के मुख्य किरदारों, दलालों एवं बिचौलियों के रूप में जिन लोगों एवं नौकरशाहों के नाम आ रहे हैं कौन है? कहां से आए हैं? और लूटकर माल किसको दे रहे हैं?
हेमंत सोरेन पर साधा निशाना
आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो ने कहा कि आंदोलनकारी परिवार से आने के कारण हेमंत जी हमारे भाई हैं, लेकिन यह बेहद दुखद है कि इन्हें अपने भ्रष्ट शासन और बेलगाम प्रशासन से राज्य की जनता को शर्मसार किया है. झारखंड आंदोलन के शहीदों को अपमानित किया है. हम सभी आज एक झारखंडवासी के रूप में शर्मिंदगी महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन शहीदों को याद करें. अपनी कलंकित विरासत से बाहर निकलें. समय ने अवसर दिया है, एक बेहतरीन इतिहास बनाइए. राज्य की जनता से किए अपने वादों को पूरा करें. आजसू पार्टी भ्रष्टाचार मुक्त शहीदों के सपनों को समर्पित हम विकासोन्मुख झारखंड के निर्माण के अपने संकल्प को दोहराती है.
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