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झारखंड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक-2023 को बीजेपी ने काला कानून करार दिया, राज्यपाल से मिलकर सौंपा ज्ञापन

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक-2023 के पारित होने पर विपक्ष ने इसे काला कानून कहा. इसके विरोध में बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को राज्यपाल से मिलकर एक ज्ञापन सौंपते हुए इस विधेयक की समीक्षा कर उचित निर्णय लेने की मांग की.

Jharkhand News: झारखंड विधानसभा के मानूसन सत्र में गुरुवार तीन अगस्त, 2023 को झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक- 2023 के पारित होने के साथ ही सियासत भी तेज हो गयी है. बीजेपी ने इसे काला कानून करार दिया. इसके विरोध में शुक्रवार, चार अगस्त 2023 को प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिला. इस दौरान राज्यपाल से इस विधेयक की समीक्षा कर उचित निर्णय लेने की मांग की.

राज्यपाल से मिला बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल

शुक्रवार को बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिला. इस दौरान ज्ञापन सौंपकर इस विधेयक की समीक्षा कर निर्णय लेने की मांग की. राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है. लेकिन, झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक- 2023 द्वारा राज्य सरकार झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जैसी संस्थाओं में प्रतियोगी युवाओं की आवाज को दबाकर मनमाने तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन कराना चाहती है.

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जेपीएससी की परीक्षा में धांधली का आरोप

राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन के माध्यम से बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आशंका तब और प्रबल हो जाती है जब पिछले दिनों जेपीएससी द्वारा आयोजित 7वीं से 10वीं तक की सिविल सेवा परीक्षा और जेएसएससी द्वारा आयोजित जूनियर इंजीनियर परीक्षा में घोर धांधली उजागर हुई. कहा कि प्रथम दृष्टया राज्य सरकार ने इस अनियमितता को सिरे से नकारा, लेकिन युवाओं और अभ्यर्थियों के व्यापक विरोध एवं परीक्षा में हुई धांधली के पर्याप्त सबूत उजागर होने का ही परिणाम हुआ कि राज्य सरकार ने धांधली को स्वीकारा. कहा कि अगर विरोध नहीं हुआ होता, तो राज्य सरकार अनियमित बहाली करने में सफल हो जाती. विरोध का ही परिणाम हुआ कि जेएसएससी को जूनियर इंजीनियर की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी.

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज दबाने के लिए लाया गया विधेयक

बाबूलाल मरांडी का कहना है कि पार्टी का मानना है कि राज्य सरकार अपनी इस प्रकार की त्रुटियों, धांधली, विफलताओं और सत्ता पोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज को दबाने के लिए उपर्युक्त विधेयक को पारित कराया है. कहा कि इस विधेयक में अभिव्यक्ति की आजादी का स्पष्टतया उल्लंघन है. उदाहरण के तौर पर विधेयक की कंडिका 11 (2) में राज्य सरकार संबंधित परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों, उत्तर पत्रकों के संबंध में सवाल खड़ा करने वाले परीक्षार्थियों, प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ बिना किसी प्रारंभिक जांच किये प्राथमिकी दर्ज कराने तथा कंडिका 23 (1) क एवं ख में ऐसे लोगों को बिना किसी वरीय पदाधिकारी के अनुमोदन के गिरफ्तार करने का प्रावधान किया है.

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शिकायत दर्ज नहीं कराने का प्रावधान

उन्होंने कहा कि इसके अलावा ऐसी विसंगतियों पर भविष्य में भी कोई परीक्षार्थी आवाज नहीं उठा सके, इसके लिए विधेयक के कंडिका 13(1) में वैसे परीक्षार्थियों को दो से 10 साल तक के लिए परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किये जाने वाले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित करने का प्रावधान किया है. कहा कि बेरोजगार युवाओं के खिलाफ राज्य सरकार की हिटलर शाही तब और उजागर हो जाती है जब सरकार ने इस विधेयक की कंडिका 2(7) में परीक्षा संपन्न कराने वाले कर्मियों, परीक्षकों, पर्यवेक्षक और उनके रिश्तेदारों और मित्रों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज नहीं कराने का प्रावधान किया है.

राज्यपाल से मांग

राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा कि बीजेपी के विधायकगणों ने इस विधेयक के असंवैधानिक प्रावधानों पर सदन में कड़ा विरोध प्रकट किया, लेकिन राज्य सरकार अपने संख्याबल के आधार पर सदन में इस विधेयक को पारित करा लिया. इसको लेकर बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के बेरोजगार युवाओं और जनता के हित में इस विधेयक पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की अपील राज्यपाल से की. साथ ही राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश देने की मांग भी की.

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क्या है मामला

झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में हेमंत सरकार ने संशोधन के साथ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक- 2023 गुरुवार को सदन से पारित हो गया. इस विधेयक के पारित होने से अब प्रतियोगिता परीक्षा में चोरी करते पकड़े जाने पर एक से तीन साल तक की सजा हो सकती है. साथ ही पांच लाख रुपये जुर्माना भी देना पड़ सकता है. हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस विधेयक में तय सजा के प्रावधान को कम करने पर सहमति दी. इसके तहत तीन साल की सजा को एक साल और सात साल की सजा को तीन साल करने की बात कही. इस विधेयक का विपक्ष ने विरोध करते हुए बिल की कॉपी फाड़ दी थी.

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