28.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Chandrayaan-3 Design: मेकन के डिजाइन पर एचइसी में बने लांचिंग पैड से उड़ान भरेगा चंद्रयान-3

भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया को इसरो के मिशन ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण का इंतजार है. यह मिशन चांद की सतह के कई राज खोलेगा. इस अभियान के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा देश बन जायेगा, जो चांद पर रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग करवाने में सफल हुआ.

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण और उसकी सफलता का सभी को इंतजार है. चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. शुक्रवार (14 जुलाई 2023) को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे यह उड़ान भरेगा. इसके लिए रांची की दो कंपनियों समेत देश की कई कंपनियों ने विभिन्न कल-पुर्जों और उपकरणों की आपूर्ति की है. किसी भी सैटेलाइट के प्रक्षेपण के लिए जरूरी लांचिंग पैड और सैटेलाइट को संभालने वाले क्रेन का निर्माण झारखंड की राजधानी रांची में हुआ है.

टर्न-की प्रोजेक्ट के तहत मेकन को मिला था कार्यादेश

आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से स्थित में हुआ है. के लिए एचइसी ने इसे बनाया था. जिस एसएलपी सेकेंड लांचिंग पैड से चंद्रयान-3 की लांचिंग होगी, उसका कार्यादेश टर्न-की प्रोजेक्ट के तहत मेकन को मिला था. मेकन के इंजीनियर्स ने इसका डिजाइन बनाया. इसके आधार पर हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचइसी) में सेकेंड लांचिंग पैड का निर्माण हुआ. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि एसएलपी के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण एचइसी के वर्कशॉप में किया गया. सेकेंड लांचिंग पैड 84 मीटर ऊंचा है.

सैटेलाइट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाता है मोबाइल लांचिंग पैड

सैटेलाइट को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में भी इसका इस्तेमाल होता है. इसे मोबाइल लांचिंग पैड कहते हैं. मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज एचइसी में दूसरा मोबाइल लांचिंग पैड भी तैयार हो रहा है. एचइसी के अलावा लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने भी कई पुर्जों की आपूर्ति की है.

एलएंडटी ने भी बनाये हैं कई उपकरण

एलएंडटी ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए ‘मध्य खंड और नोजल बकेट फ्लैंज’ और ‘ग्राउंड एंड फ्लाइट अम्बिलिकल प्लेट’ बनाये हैं. ‘मध्य खंड और नोजल बकेट फ्लैंज’ का निर्माण पवई स्थित एलएंडटी के संयंत्र में किया गया. ‘ग्राउंड और फ्लाइट अम्बिलिकल प्लेट’ जैसे घटक का निर्माण कोयंबटूर स्थित कंपनी के एयरोस्पेस संयंत्र में हुआ.

चंद्रयान-3 मिशन के प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू

बता दें कि देश के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ के प्रक्षेपण की 25:30 घंटे की उल्टी गिनती गुरुवार को आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र में शुरू हो गयी. इसको का लक्ष्य इस बार चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराना है. बता दें कि वर्ष 2019 में भारत ने ‘चंद्रयान-2’ को लांच किया था. उसी मिशन को आगे बढ़ाते हुए भारत ने मिशन ‘चंद्रयान-3’ भेजने का निश्चय किया.

मिशन ‘चंद्रयान-3’ का लक्ष्य – रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग

ज्ञात हो कि मिशन ‘चंद्रयान-2’ के दौरान अंतिम समय में लैंडर ‘विक्रम’ अपने पथ से भटक गया और ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाया था. ‘चंद्रयान-3’ अगर अपने मिशन में सफल रहा, तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में भारत भी शामिल हो जायेगा. इन दोनों ने चांद पर अपने रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफलता हासिल की है.

नयी सीमाएं पार करने जा रहा है इसरो

अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने इससे पहले एक बयान जारी कर कहा कि ‘चंद्रयान-3’ कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’ और चंद्रमा के भू-भाग पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करके नयी सीमाएं पार करने जा रहा है.

अंतरिक्ष विज्ञान के शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल होगा भारत : नंबी नारायणन

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा है कि ‘चंद्रयान-3’ की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जायेगा. इससे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी. बता दें कि इस वक्त 600 अरब डॉलर के अंतरिक्ष उद्योग में भारत की हिस्सेदारी बेहद कम है. सिर्फ दो प्रतिशत. इस मिशन की सफलता के बाद इसमें वृद्धि होने की उम्मीद है.

भारत की अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

नंबी नारायण ने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ मिशन की सफलता अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा बढ़ावा होगा. उन्होंने कहा कि ‘चंद्रयान-2’ चांद की सतह पर उतरने में सफल रहा था, लेकिन कुछ सॉफ्टवेयर और यांत्रिक समस्याओं के कारण ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाया.

तरक्की के लिए स्वदेशी तकनीक जरूरी

अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने कहा कि अगर किसी देश को आगे बढ़ना है, तो इसके लिए स्वदेशी तकनीक बेहद जरूरी है. उन्होंनेयह भी कहा कि इसरो अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद कम पैसे खर्च करने के लिए जाना जाता है. ऐसे ही अभियान पर अन्य देशों का खर्च हमारे खर्च की तुलना में बहुत ज्यादा होता है. बता दें कि मिशन की सफलता के बारे में 23 या 24 अगस्त को ही कुछ पता चल पायेगा, क्योंकि सॉफ्ट लैंडिंग इन्हीं दिनों में होगी.

भारतीय उद्योग के लिए खुल रहे हैं अंतरिक्ष क्षेत्र

एलएंडटी डिफेंस के कार्यकारी उपाध्यक्ष और प्रमुख एटी रामचंदानी और इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण दोनों मानते हैं कि अंतरिक्ष क्षेत्र भारतीय उद्योग के लिए खुल रहा है. नंबी नारायण कहते हैं कि भारत प्रौद्योगिकी विकास में निजी भागीदारी को आमंत्रित कररहा है. इससे इस क्षेत्र में और अधिक स्टार्टअप के आने की संभावना बढ़ गयी है. वहीं, एलएंडटी के रामचंदानी कहते हैं कि हम भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में बड़ी भूिका निभाने के लिए इसरो के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं.

Also Read: रांची एचइसी ISRO के लिए बना रहा है एक और लांचिंग पैड, चंद्रयान-2 इसी के लांचिंग पैड से छोड़ा गया था

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें