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Jharkhand: पैसे की ताकत से बचा रहा बीरेंद्र राम, इंजीनियर को पकड़ने के लिए ED ने बनाया ये प्लान

बीरेंद्र राम के मामले की जांच के दौरान ED को इस बात की जानकारी मिली है. 14 नवंबर 2019 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा जमशेदपुर की आनंद विहार कॉलोनी स्थित एक घर में छापेमारी के दौरान 2.68 करोड़ रुपये बरामद हुए थे.

रांची, शकील अख्तर/अमन तिवारी : ईडी का मानना है कि ग्रामीण विकास विभाग के चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम ने पैसे की ताकत पर खुद को एसीबी जांच से बचाये रखा. एसीबी ने सरकार से इस इंजीनियर के खिलाफ पीइ दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. एसीबी ने जनवरी 2020 में ही मामले में गोपनीय रिपोर्ट निगरानी मंत्रिमंडल विभाग के पास अनुमति के लिए भेज दी थी. उसके खिलाफ सरकार के स्तर से प्राथमिकी दर्ज करने का प्रस्ताव तैयार भी हो चुका था. फिर महाधिवक्ता की राय मांगी गयी. सरकार को अब तक महाधिवक्ता की राय नहीं मिल सकी है. बीरेंद्र राम के मामले की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) को इस बात की जानकारी मिली है. 14 नवंबर 2019 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा जमशेदपुर की आनंद विहार कॉलोनी स्थित एक घर में छापेमारी के दौरान 2.68 करोड़ रुपये बरामद हुए थे.

करीब डेढ़ महीने की जांच में एसीबी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि बरामद रुपये इंजीनियर बीरेंद्र राम के हो सकते हैं. इस बिंदु पर जांच के लिए एसीबी को प्रिलिमनरी इंक्वायरी (पीइ) दर्ज करनी थी. लेकिन, इसके लिए सरकार की अनुमति जरूरी थी. एसीबी ने जनवरी 2020 में ही अनुमति के लिए मामले की गोपनीय रिपोर्ट निगरानी मंत्रिमंडल विभाग को भेज दी थी. नियमानुसार पीइ दर्ज करने के लिए बीरेंद्र राम के पैतृक विभाग (जल संसाधन विभाग) से मंतव्य की जरूरत थी, इसलिए मंत्रिमंडल निगरानी विभाग ने यह फाइल जल संसाधन विभाग के पास भेज दी. लेकिन, यह अनुमति आज तक नहीं मिली. इस बीच एसीबी ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को चार बार रिमांइडर भी भेजा. लेकिन, फाइल दबी रह गयी. अब जब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बीरेंद्र राम के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, तो एसीबी के अधिकारियों ने मंतव्य संबंधी फाइल की खोजबीन शुरू की है.

ED ने फोन सर्विलांस पर रखा था

ED ने जमशेदपुर निगरानी में दर्ज मामले (13/2019) की जांच के दौरान बीरेंद्र राम के फोन को सर्विलांस पर रखा था. इस दौरान उसकी बातचीत सुनी गयी. बातचीत के क्रम में बीरेंद्र राम की ओर से किसी अधिकारी से अनुरोध किया जाता था कि वह इस मामले पर नजर रखें, ताकि उसके खिलाफ एसीबी में पीइ दर्ज नहीं हो. फोन कॉल रिकार्डिंग से मिली इस सूचना के आधार पर ईडी ने अपने स्तर से इसकी जांच शुरू की. जांच में पाया गया कि जमशेदुपर में ग्रामीण विकास विभाग के कनीय अभियंता सुरेश वर्मा मामले की जांच के दौरान एसीबी को इस बात की सूचना मिली थी कि आलोक रंजन के कमरे से जब्त 2.44 करोड़ रुपये ग्रामीण विकास के मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम के हैं. एसीबी ने इसके लिए आलोक रंजन और बीरेंद्र के बीच करीबी रिश्तेदारी को आधार बनाया था.

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इसी आधार पर एसीबी ने सरकार से बीरेंद्र राम के खिलाफ पीइ दर्ज करने की अनुमति मांगी थी, क्योंकि एसीबी को खुद ही किसी अधिकारी के खिलाफ पीइ दर्ज करने का अधिकार नहीं है. उसे अधिकारियों और राजनीतिज्ञों के खिलाफ पीइ दर्ज करने के लिए सरकार से अनुमति लेना आवश्यक है. इस प्रावधान के आलोक में एसीबी ने सरकार से पीइ दर्ज करने की अनुमति मांगी थी. एसीबी की इस मांग पर विचार के दौरान वरीय अधिकारियों ने उपलब्ध साक्ष्यों के मद्देनज़र पीइ के बदले भ्रष्टाचार के आरोप में जमशेदपुर में दर्ज प्राथमिकी में ही बीरेंद्र राम के नाम को जोड़ कर उसकी भूमिका की जांच की अनुशंसा की. पर बीरेंद्र राम के प्रभाव और राजनीतिक पैरवी की वजह से बीरेंद्र राम के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में महाधिवक्ता की राय मांगी गयी. सरकार को महाधिवक्ता की राय का अब भी इंतजार है. इस बीच एसीबी ने कई बार रिमाइंडर भेजा. पर सरकार की ओर से एसीबी को कोई जवाब नहीं मिला. इडी को इस बात की आशंका है कि बीरेंद्र राम ने पैसों की ताकत पर इस मामले को भी लटकाये रखा है.

फ्लैशबैक : जमशेदपुर में छापा

एसीबी की टीम ने ग्रामीण विकास विभाग सरायकेला के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा को 10,000 रुपये घूस लेते गिरफ्तार किया था. बाद में एसीबी को सूचना मिली कि अभियुक्त के घर में बड़ी धनराशि, निवेश के कागजात और आभूषण मिलने की संभावना है. इसके बाद जमशेदपुर की आनंद विहार कॉलोनी स्थित उसके घर की तलाशी ली गयी थी. इस दौरान उनके घर से 64,000 रुपये नगद, आभूषण और निवेश के कागजात मिले थे. छापेमारी के दौरान सुरेश प्रसाद वर्मा के घर के दो कमरे में ताला लगा हुआ था. उसने बताया कि दोनों कमरे किराये पर दे रखा है. इस पर एसीबी ने कमरे को सील कर दिया. बाद में एसीबी को सूचना मिली कि सील किये गये कमरे में लगभग ढ़ाई करोड़ मिलने की संभावना है. इस पर मजिस्ट्रेट की मौजूगी में कमरे का सील खोलकर तलाशी ली गयी, जिसमें 2.68 करोड़ मिले थे. जांच के दौरान पता चला कि बंद कमरे में बीरेंद्र राम का रिश्तेदार आलोक रंजन रहता है. जेल में पूछताछ के दौरान सुरेश प्रसाद वर्मा ने एसीबी को बताया कि वह कमरा उसने बीरेंद्र राम के कहने पर ही आलोक रंजन को किराये पर दिया था. अन्य स्रोतों से भी एसीबी को यह जानकारी मिली कि बरामद रुपये बीरेंद्र राम के हो सकते हैं.

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मेहरबानी : 700 करोड़ की योजना भी दे दी बीरेंद्र राम को

विशेष प्रमंडल के मुख्य अभियंता का पद संभाल रहे बीरेंद्र राम ग्रामीण कार्य विभाग के अधीन ‘मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना’ और ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना’ की जिम्मेदारी भी संभाल रहे थे. इतना वर्क लोड होने के बावजूद ग्रामीण विकास विभाग बीरेंद्र राम पर और मेहरबान हो गया. विभाग ने उन्हें प्रखंड सह अंचल कार्यालय के निर्माण की पूरी जिम्मेदारी भी सौंप दी. 700 करोड़ की इस योजना की जिम्मेदारी अलग से सौंपी गयी. इसमें से अधिकतर राशि की योजना का टेंडर हो भी चुका है, जिसकी निबटारा मुख्य अभियंता के स्तर से ही किया गया है. शुरू में एक प्रखंड सह अंचल कार्यालय का मॉडल एस्टिमेट चार करोड़ रुपये का था. बाद में इसे बढ़ा कर पांच करोड़ रुपये से अधिक कर दिया गया. चूंकि पांच करोड़ रुपये से अधिक की योजना का टेंडर मुख्य अभियंता फाइनल नहीं कर सकते थे. ऐसे में उन्होंने टेंडर का निबटारा नहीं किया. इसका अधिकार अभियंता प्रमुख को ही है. ऐसे में इन योजनाओं का टेंडर अब भी लटका हुआ है.

बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका

इंजीनियरों ने बताया कि ग्रामीण विकास विभाग बीरेंद्र राम पर मेहरबान था. इसलिए किसी दूसरी एजेंसी को काम देने के बजाय विशेष प्रमंडल को ही दे दिया. अंदेशा है कि इस टेंडर के निबटारे में भी वसूली हुई है. अगर जांच की जाये, तो गड़बड़ी सामने आयेगी. प्रखंड सह अंचल कार्यालय के टेंडर निबटारा में पक्षपात भी होने की शिकायतें आती रही हैं. आरोप है कि योग्य ठेकेदारों को काम देने के बजाय पैरवी और पैसे के बल पर दूसरे ठेकेदारों को काम दिया गया है.

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ग्रामीण सड़कों व पुलों के सभी टेंडर रद्द

चीफ इंजीनियर बीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद ग्रामीण कार्य विभाग ने ग्रामीण सड़कों व पुलों का सभी टेंडर रद्द कर दिया है. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बड़ी संख्या में टेंडर जारी किये गये थे. वहीं मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत पुलों का भी टेंडर किया गया था. कई प्रमंडलों में इसके लिए टेंडर आमंत्रित भी कर लिये गये थे. अब टेंडर ओपेन कर निबटारा की प्रक्रिया करनी थी, लेकिन मुख्य अभियंता की गिरफ्तार के बाद अब सारे टेंडर रद्द कर दिये गये हैं. करीब एक दर्जन प्रमंडलों में टेंडर रद्द करने संबंधी विज्ञापन भी जारी कर दिया गया है. इंजीनियरों ने बताया कि सारे जगहों के टेंडर रद्द कर दिये जायेंगे. अब नये सिरे से टेंडर आमंत्रित किये जायेंगे.

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