रांची: कोडरमा में ढिबरा कारोबारी अर्जुन साव हत्याकांड में सीआईडी ने आरंभिक अनुसंधान पूरा कर लिया है. अनुसंधान में सीआइडी को इस बात के तथ्य मिले हैं कि डोमचांच थाना में पदस्थापित पुलिस अफसरों ने मारपीट कर उनकी हत्या नहीं की है. उनकी मौत हृदयगति रुकने की वजह हुई थी. उनके शरीर में कोई आंतरिक या बाहरी जख्म के निशान भी नहीं मिले थे. हत्याकांड में संलिप्तता के संबंध में साक्ष्य नहीं मिलने की वजह से जिन पुलिस अफसरों के खिलाफ डोमचांच थाना में केस दर्ज किया गया था, उन्हें निलंबन मुक्त कर दिया गया है. आपको बता दें कि मृतक अर्जुन साव के पुत्र बीरेंद्र कुमार साव ने डोमचांच थाना में डोमचांच थाना के निलंबित थाना प्रभारी शशिकांत कुमार, एसआइ नवीन होरो, सतीश पांडेय और विकास कुमार पासवान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की थी. घटना के बाद संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था. बाद में केस को अनुसंधान के लिए सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया था. अनुसंधान के दौरान घटना स्थल का निरीक्षण कर गवाहों का बयान लेने के साथ ही घटना के संबंध में कई तथ्य एकत्रित किए गए थे, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर अन्य तथ्यों से भी हत्या की पुष्टि नहीं हुई.
मृतक के पुत्र ने की थी कार्रवाई की मांग
मालूम हो कि मामले में मृत कारोबारी अर्जुन साव के पुत्र बीरेंद्र कुमार साव ने डोमचांच थाना में डोमचांच थाना के निलंबित थाना प्रभारी शशिकांत कुमार, एसआइ नवीन होरो, सतीश पांडेय और विकास कुमार पासवान के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की थी. शिकायत में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया था कि उनके पिता अर्जुन साव 13 अप्रैल 2022 की रात्रि तीन बजे अपनी मोटरसाइकिल से सपही स्थित घर से निकले थे. जब उनके पिता नीरू पहाड़ी के समीप पहुंचे, तो वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके पिता के साथ मारपीट की और उन्हें पुलिस वाहन में उठाकर ले गये.
पुलिस अफसरों पर लगे थे ये आरोप
नीरू पहाड़ी के समीप उनके पिता के साथ मारपीट की घटना को संतोष यादव, कुमार यादव, सुनील यादव, तुलसी यादव, बिपिन राय, प्रदीप यादव, सकलदेव यादव और चंदन कुमार समेत कई लोगों ने देखा और इसका विरोध भी किया, लेकिन पुलिसवाले नहीं माने और उनके पिता को लोहे के रॉड और बंदूक के कुंदे से मार कर हत्या करने के बाद शव को जंगल में फेंक दिया. बाद में साक्ष्य छिपाने की नीयत से उनके शव पर पेट्रोल छिड़क कर जलाने का प्रयास भी किया गया.
पुलिस अफसरों के खिलाफ हत्या का केस हुआ था दर्ज
घटना के बाद संबंधित पुलिस अफसरों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया था. बाद में मामले की गंभीरता को देखते हुए केस को आगे अनुसंधान के लिए सीआईडी को ट्रांसफर कर दिया गया था. इसके बाद सीआइडी ने मामले में अनुसंधान शुरू किया था. सीआईडी ने अनुसंधान के दौरान घटना स्थल का निरीक्षण कर गवाहों का बयान लेने के साथ ही घटना के संबंध में कई तथ्य एकत्रित किए थे, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर अन्य तथ्यों से भी हत्या की पुष्टि नहीं हुई.