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सीएम हेमंत सोरेन ने ई- कॉमर्स कंपनियों को मिली छूट का आदेश लिया वापस, पूर्व की ही व्यवस्था रहेगी जारी

झारखंड में ई-कॉमर्स कंपनियों के कार्यों को पूरी छूट नहीं मिलेगी. पूर्व की अनुमति ही ई-कॉमर्स कंपनियों को जारी रहेगी. रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 18 मई से राज्य में ई-कॉमर्स कंपनियों को मिली छूट के आदेश को वापस लिया जा रहा है. संशोधित आदेश जल्द जारी होगा.

रांची : झारखंड में ई-कॉमर्स कंपनियों के कार्यों को पूरी छूट नहीं मिलेगी. पूर्व की अनुमति ही ई-कॉमर्स कंपनियों को जारी रहेगी. रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि 18 मई से राज्य में ई-कॉमर्स कंपनियों को मिली छूट के आदेश को वापस लिया जा रहा है. संशोधित आदेश जल्द जारी होगा. लाॅकडाउन के कारण ई-कॉमर्स कंपनियों को राज्य में केवल आवश्यक वस्तुओं को ही लाने की अनुमति मिली है, जिसे अब भी बरकरार रखा गया है.

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आपको बता दें कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मंगलवार को रांची के प्रोजेक्ट भवन स्थित कार्यालय में मिलकर झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधियों ने मुलाकात कर ई-कॉमर्स को पूरी तरह से छूट देने पर आपत्ति जतायी थी. चेंबर के अध्यक्ष कुणाल आजमानी का कहना था कि इससे सभी खुदरा दुकानदार हतोत्साहित होंगे. मुख्यमंत्री से ई-कॉमर्स कंपनियों को राज्य में व्यापार करने की छूट मिलने के निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह किया था. इस पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विचार कर जल्द निर्णय लेने का आश्वासन दिया था. मालमू हो कि लॉकडाउन लागू होने के बाद राज्य में ई-कॉमर्स कंपनियों को केवल आवश्यक वस्तुओं को ही लाने की अनुमति मिली थी. इसके बाद लॉकडाउन 4.0 के दौरान 18 मई से इस रोक को हटा दिया गया था, जिसका विरोध चेंबर प्रतिनिधियों ने किया था.

दूसरी ओर, केंद्र सरकार द्वारा खनन परियोजनाओं को निजी भागीदारी में देने की बात पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एतराज जताते हुए कहा कि अगर ऐसा है, तो खनन का अधिकार को क्यों न जमीन मालिकों को ही दे दिया जाये. मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के ऐसा निर्णय के बारे में सुना है. इसके अंदर की कहानी को जानना जरूरी है. इसका अध्ययन हमलोग कर रहे हैं, फिर केंद्र सरकार को जवाब देंगे.

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मजदूरों की जान बचाना पहली प्राथमिकता

श्री सोरेन ने कहा कि हमारी सबसे पहली प्रथामिकता है कि हमारे मजदूरों की जान कैसे बचे. आये दिन मजदूरों की मौत की खबर मिल रही है, जो काफी चिंतनीय है. इस पर सरकार मंथन कर रही है. हमारे पास जो आंतरिक संसाधन है, उसे मजबूत किया जा रहा है. हमारी स्थिति इतनी भी खराब नहीं है कि हम भूखे मरें. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे हम प्रवासी साथियों को घर पहुंचायेंगे और ठप पड़ी आर्थिक व्यवस्था को भी गति देने का काम आरंभ हुआ है.

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