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एचआरसीटी जांच के लिए 2000 की जगह वसूल रहे 3500 रुपये, जानिये क्या है सरकार की गाइडलाईन

कोरोना के लिए आरटीपीसीआर की जांच दर 400 रुपये निर्धारित होने से राज्य के लोगों ने राहत की सांस ली है. लेकिन, संक्रमण की पुष्टि होते ही रेडियोलॉजी जांच संक्रमितों का बजट बिगाड़ दे रहा है.

राजीव पांडेय, रांची : कोरोना के लिए आरटीपीसीआर की जांच दर 400 रुपये निर्धारित होने से राज्य के लोगों ने राहत की सांस ली है. लेकिन, संक्रमण की पुष्टि होते ही रेडियोलॉजी जांच संक्रमितों का बजट बिगाड़ दे रहा है. अस्पताल में भर्ती होते ही मरीज को रेडियोलॉजी जांच एचआरसीटी (हाई रेजोल्यूशन सीटी स्कैन) कराने की सलाह दी जा रही है. निजी जांच घर और निजी अस्पताल एचआरसीटी के 3500 से 4000 रुपये वसूल रहे हैं, जबकि इसका कुल खर्च 2000 रुपये ही आता है.

सेंट्रल गवर्मेंट हेल्थ स्कीम (सीजीएचस) में भी एचआरसीटी जांच की दर 2000 रुपये ही निर्धारित है. यानी संक्रमिताें की जेब पर 1500 रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. इस संबंध में पूछने पर राजधानी के रेडियोलॉजिस्ट कहते हैं कि मशीन महंगी आती है, जिसका इएमआइ देना होता है. वहीं बिजली खर्च, रिपोर्टिंग का खर्च व कर्मचारी का वेतन आदि जोड़कर खर्च 3500 से 4000 रुपये हो जाता है. ऐसे में इससे कम खर्च पर जांच नहीं की जा सकती है.

वहीं, एक निजी जांच घर के टेक्नीशियन की मानें, तो जांच का कुल खर्च 2000 से अधिक नहीं आता है. इसमें जांच घर के संचालक का मुनाफा भी शामिल है. इधर, राजधानी के निजी अस्पताल सरकार का हवाला देते हुए सीजीएचएस जांच के एवज में 3500 रुपये वसूल रहे हैं. संक्रमितों को बताया जाता है कि सरकार ने कोविड के मरीजों की जांच के लिए यही दर तय की है.

खास

  1. सीजीएचएस में “2000 तय है एचआरसीटी की दर, इसी दर से होता है सरकार में पेमेंट

  2. रिम्स में अधिकृत जांच एजेंसी हेल्थ मैप में भी “2000 लिये जाते हैं इस जांच के लिए

  3. सरकार ने तय कर दी है आरटीपीसीआर की जांच दर, अब एचआरसीटी की बारी

कोरोना संक्रमितों के फेफड़ा की जांच के लिए हाई रेजोल्यूशन सीटी स्कैन (एचआरसीटी) कराया जाता है. इससे डॉक्टर यह पता कर पाते हैं कि संक्रमण की स्थिति क्या है. फेफड़ा कितना फीसदी संक्रमित हुआ है. जानकारी मिलने पर डॉक्टर उसी के हिसाब दवा देते हैं. कोरोना संक्रमित के अस्पताल पहुंचते ही एचआरसीटी जांच करायी जाती है. वहीं, होम आइसोलेशन में इलाज करा रहे संक्रमितों को भी एचआरसीटी जांच की सलाह दी जाती है.

कोरोना में क्यों जरूरी है जांच

हेल्थ मैप में 2000 में होती है एचआरसीटी जांच : रिम्स में सीटी स्कैन मशीन दो साल से खराब है, इसलिए जांच का जिम्मा सरकार की अधिकृत एजेंसी हेल्थ मैप को दिया गया है. हेल्थ मैप ने भी सीटी स्कैन की मशीन खरीदी है. बिजली, जांच की रिपोर्टिंग और कर्मचारियों पर खर्च होता है. इसके बावजूद यहां एचआरसीटी की जांच मुनाफे के साथ 2000 रुपये निर्धारित है.

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कई राज्यों में 1800 से 2000 रुपये ही : एचआरसीटी की जांच के लिए कई राज्याें में 1800 से 2000 रुपये लिये जा रहे हैं. महाराष्ट्र में सीटी स्कैन के 1200 से 1500 व एचआरसीटी का 1500 से 1800 रुपये लिये जाते हैं. सीटी स्कैन व एचआरसीटी की जांच में कोई ज्यादा अंतर नहीं होता है. जांच में सिर्फ रेजोल्यूशन का अंतर होता है. जांच प्लेट थोड़ी साफ रहती है.

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Posted by : Pritish Sahay

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