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झारखंड के दधीचि देवी प्रसाद शुक्ला पंचतत्व में विलीन,विश्व हिंदू परिषद के लोगों ने नम आंखों से दी श्रद्धांजलि

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने देवी प्रसाद शुक्ला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह संगठन के लिए अपूरणीय क्षति है. दधीचि की भांति उन्होंने अपने जीवन के साथ-साथ अपने शरीर को भी दान करने की घोषणा की थी. आज उनके पार्थिव शरीर को रिम्स को सुपुर्द कर दिया गया.

रांची: विश्व हिंदू परिषद (झारखंड प्रांत) के दधीचि कहे जाने वाले वरिष्ठ प्रांत उपाध्यक्ष देवी प्रसाद शुक्ला का पार्थि‍‍व शरीर आज रविवार को रांची के हरमू स्थित मुक्तिधाम में पंचतत्व में विलीन हो गया. 94 वर्षीय देवी प्रसाद शुक्ला का निधन 26 अगस्त की संध्या 5 बजे रांची के सेवा सदन अस्पताल में हो गया था. उनके पार्थिव शरीर को हरमू रोड स्थित प्रांत कार्यालय में दर्शन एवं श्रद्धांजलि के लिए सुबह 8 बजे से 10 बजे रखा गया था, जहां सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी एवं नम आंखों से विदाई दी. आपको बता दें कि देवी प्रसाद शुक्ला का जन्म 01 जनवरी, 1932 में कानपुर में हुआ था. 1951 में कानपुर में जनसंघ के पूर्णकालिक बने थे. 1985 से झारखंड में विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े और वर्तमान में विश्व हिन्दू परिषद के कई दायित्वों का निर्वहन करते हुए प्रांत उपाध्यक्ष के रूप में कार्यालय में ही निवास कर रहे थे.

देहदान की घोषणा पहले ही कर चुके थे झारखंड के दधीचि

विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने देवी प्रसाद शुक्ला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह संगठन के लिए अपूरणीय क्षति है. दधीचि की भांति उन्होंने अपने जीवन के साथ-साथ अपने शरीर को भी दान करने की घोषणा की थी. आज उनके पार्थिव शरीर को अध्ययन के लिए रिम्स को सुपुर्द कर दिया गया. यह आज के समाज के लिए एक अनुकरणीय संदेश है.

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देवी प्रसाद शुक्ला के योगदानों को किया याद

क्षेत्र मंत्री वीरेंद्र विमल ने बताया कि देवी प्रसाद शुक्ला का जन्म 01 जनवरी, 1932 में कानपुर में हुआ था. 1951 में कानपुर में जनसंघ के पूर्णकालिक बने थे. 1985 से झारखंड में विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े और वर्तमान में विश्व हिन्दू परिषद के कई दायित्वों का निर्वहन करते हुए प्रांत उपाध्यक्ष के रूप में कार्यालय में ही निवास कर रहे थे. उन्होंने कहा राम जन्मभूमि आंदोलन के समय भोगनाडीह से आरंभ सिदो कान्हो यात्रा, श्रीराम ज्योति यात्रा आदि में मुख्य वक्ता के रूप में समाज को मार्गदर्शन किया था. 1990 में बलिदान हुए कारसेवकों की श्रद्धांजलि के रूप में रचित गीत चलो राम भक्तों चलो फिर से दोबारा सरयू में बहते लहू ने पुकारा हमारे हृदय में मानव विद्युत तरंगों का संचार करता था.

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राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन में थी अहम भूमिका

प्रांत मंत्री डॉ वीरेंद्र साहू ने कहा कि देवी प्रसाद शुक्ला का जीवन युवाओं के लिए सदैव प्रेरणादायी रहेगा. लगभग एक शताब्दी तक के जीवन में पांच दशक तक समाज को संत की भांति दिशा निर्देशित करते रहे. भगवान पुरुषोत्तम श्रीराम के अनन्य भक्त थे. राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन में उनकी भूमिका झारखंड प्रांत में अग्रणी थी.

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अंतिम यात्रा में ये हुए शामिल

उनके अंतिम संस्कार की यात्रा में विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं अनुषांगिक संगठन के लोग शामिल हुए. इनमें विहिप केंद्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल, केंद्रीय सहमंत्री उमेश पौडवाल, क्षेत्रीय अध्यक्ष रामस्वरूप रुंगटा, प्रांत अध्यक्ष पंचम सिंह, क्षेत्र मंत्री वीरेंद्र विमल, क्षेत्रीय संगठन मंत्री आनंद पांडेय, क्षेत्र धर्म प्रसार उपेंद्र कुशवाहा, रांची सांसद संजय सेठ, भाजपा नेता संजय जयसवाल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक पवन मंत्री, राजू कमल बिट्टू, प्रांत उपाध्यक्ष गंगा प्रसाद यादव , प्रांत मंत्री डॉ वीरेंद्र साहू, संगठन मंत्री देवी सिंह, सहमंत्री रंगनाथ महतो व रामनरेश सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचार प्रसार सहप्रमुख संजय आजाद, सेवा प्रमुख अजय अग्रवाल, मातृशक्ति प्रमुख दीपारानी कुंज, सामाजिक समरसता प्रमुख मिथिलेश्वर मिश्र, प्रचार प्रसार प्रांत सहप्रमुख प्रकाश रंजन, धर्म प्रचार प्रांत सहप्रमुख सच्चिदानंद कुमार, सेवा सहप्रमुख अशोक अग्रवाल, राष्ट्र सेविका समिति के त्रिफुला दास, रेणु अग्रवाल, गिरजाशंकर पांडेय जुगल किशोर, विभाग मंत्री किशुन झा, रवि शंकर राय, अमर प्रसाद, महानगर अध्यक्ष कैलाश केसरी, मंत्री चंद्रदीप दुबे, गोपाल पारीक, रांची ग्रामीण अध्यक्ष रामेश्वर दयाल, विनय कुमार, मंत्री रोबिन कुमार, विश्वरंजन कुमार, रोहित परमार, नागेंद्र शुक्ला, दीपक साहू , बबिता हिंदू, बीना मिश्रा, पारस मिश्रा, राजेन्द्र दुबे, राम प्रताप सिंह, नवीन पांडे, बिपिन सिंह, अनूप कुमार, ज्ञान प्रकाश लोहरा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए.

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