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झारखंड की नौ दुर्गा-05: दिव्यांगों के लिए उम्मीद की मशाल हैं रूमा दत्ता

कोराेना काल में पति और सास-ससुर का निधन हो गया था. एक सप्ताह में घर से तीन-तीन अर्थियां निकलीं. इस मुश्किल परिस्थितियों के बाद वह दिव्यांगों की सेवा में जुटी हैं.

Durga Puja 2023: राजधानी रांची के पुरुलिया रोड निवासी रूमा दत्ता दिव्यांगों के लिए वर्षों से काम कर रही हैं. दरअसल यह काम उनके पति स्व संजय दत्ता ने शुरू किया था. रूमा पति के सपने को ही साकार करने में जुटी हैं. वह कहती हैं : पति ऑर्थोटिक्स प्रोस्थेटिक्स इंजीनियर थे. दिव्यांगों की सेवा उनका जुनून था. तब मैं उनका सहयोग करती थी. लेकिन कोराेना काल में पति और सास-ससुर का निधन हो गया. एक सप्ताह में घर से तीन-तीन अर्थियां निकलीं. इस मुश्किल परिस्थितियों के बाद वह दिव्यांगों की सेवा में जुटी हैं. पति के बनाये मुक्ति संस्थान के माध्यम से नि:शुल्क कृत्रिम अंग भी देती हैं. साथ ही पूरे देश में कृत्रिम अंग जागरूकता शिविर लगाती हैं.

रांची के कांटाटोली स्थित अपने मुक्ति संस्थान में ही दिव्यांगों के लिए कृत्रिम हाथ-पैर मैन्युफैक्चरिंग कर ही हैं. साथ ही देशभर में दिव्यांगों के बीच नि:शुल्क पहुंचा रही हैं. इसके अलावा रूमा दत्ता मूक बधिर आवासीय विद्यालय गुमला का भी संचालन करती हैं. अपने दो बच्चों की परवरिश के साथ-साथ समाज सेवा में भी जुटी हुई हैं. रूमा दत्ता मूलरूप से बंगाल की रहनेवाली हैं. स्नातक तक की पढ़ाई की. शादी के बाद 2000 में रांची आना हुआ. वहीं कहती हैं : एक अकेली महिला के लिए आगे बढ़ना आसान नहीं होता है. लेकिन आप सही हैं, तो कोई भी मुश्किल आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती.

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