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विश्व हिंदू परिषद की दुर्गा वाहिनी नवरात्र में करती है शस्त्र पूजन, बता रही हैं प्रांत संयोजिका अनुराधा कच्छप

मां दुर्गा को प्रेरणास्रोत मानकर दुर्गा वाहिनी की स्थापना 1991 में दुर्गा अष्टमी के दिन हुई थी और प्रथम संयोजिका दीदी साध्वी ऋतंभरा एवं सह संयोजिका डॉ निर्मला पुरोहित को बनाया गया था. इनके नेतृत्व में ही सेवा, सुरक्षा और संस्कार को ध्येय वाक्य मानकर महिलाओं को जागरूक करने का कार्य शुरू किया गया.

रांची: विश्व हिंदू परिषद की महिला इकाई दुर्गा वाहिनी और मातृ शक्ति के द्वारा हर वर्ष शस्त्र पूजन किया जाता है. इस वर्ष भी इसका आयोजन झारखंड प्रांत के सभी जिलों और नगरों में किया जाएगा. दुर्गा वाहिनी की झारखंड प्रांत संयोजिका अनुराधा कच्छप ने कहा कि दुर्गा वाहिनी की बहनें सफेद सलवार-कुर्ता, भगवा दुपट्टा, हाथ में शस्त्र लिए शौर्य का परिचय देते हुए युवतियों की तस्वीर के साथ शस्त्र पूजा का आयोजन करेंगी. दुर्गा वाहिनी का नाम सभी जानते हैं पर दुर्गा वाहिनी के बारे में लोग नहीं जानते हैं. 1991 में दुर्गा वाहिनी की स्थापना हुई थी. सेवा, सुरक्षा और संस्कार इसका ध्येय वाक्य है. दुर्गा वाहिनी प्रांतीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण भी देती है. राष्ट्रीय प्रशिक्षण में पूरे राष्ट्र की हर प्रांत से बहनें प्रशिक्षण के लिए आती हैं और प्रांतीय वर्गों में प्रांत के जितने भी जिले हैं, सभी जिले से बहनें प्रशिक्षण में भाग लेती हैं. प्रशिक्षण में शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से बहनों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

दुर्गा वाहिनी की स्थापना 1991 में हुई थी

माता दुर्गा को अपनी प्रेरणास्रोत मानकर दुर्गा वाहिनी की स्थापना 1991 में अष्टमी के दिन हुई थी और प्रथम संयोजिका (अध्यक्ष) दीदी साध्वी ऋतंभरा एवं सह संयोजिका डॉ निर्मला पुरोहित को बनाया गया था. इनके नेतृत्व में ही सेवा, सुरक्षा और संस्कार को अपना ध्येय वाक्य मानकर देशभर की महिलाओं व युवतियों को अपने समाज, धर्म व राष्ट्र के लिए समाज में व्याप्त दुराचार, भ्रष्टाचार एवं कुरीतियों के प्रति जागरूक करने का कार्य प्रारंभ किया गया. सेवा यानी समाज में नि:स्वार्थ भावना से सेवा कार्य करना कहीं ना कहीं हम समाज से नहीं जुड़ पाते हैं. इस कारण धर्मांतरण के माध्यम से वह हमसे टूटने लगते हैं, तो इस स्थिति को सुधारने का एक प्रयास करना, सुरक्षा यानी वर्तमान स्थिति के अनुसार सबसे पहले महिलाओं को अपनी अस्मिता की की सुरक्षा कैसे करनी है इस पर कार्य करना, आज कहीं ना कहीं बहनें आत्मसम्मान, आत्म सुरक्षा के गुण को नहीं अपनाने और हम किस कुल से हैं किस धर्म से हैं इस बात को नहीं समझ पाने के कारण या फिर यह कहें कि अपने महत्व को ना समझ पाने के कारण ही लव जिहाद से अपना जीवन बर्बाद कर रही हैं. इन्हीं विषयों को ध्यान में रखकर सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य किया जाता है.

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दुर्गा वाहिनी बहनों को देती है प्रशिक्षण

दुर्गा वाहिनी की झारखंड प्रांत संयोजिका अनुराधा कच्छप बताती है कि संस्कार यानी हमारा समाज अभी आधुनिकता के नाम पर पाश्चात्य की ओर बढ़ रहा है और इसके कारण हमारे बाद की जो पीढ़ी है वह अपने संस्कारों को स्वीकार करने में रुचि नहीं रख रही है. इससे हमारे धर्म का हमारे संस्कारों का क्षरण हो रहा है, तो हम किस प्रकार से अपने बच्चों को अपने परिवार को अपने संस्कारों को रुचि पूर्वक आत्मसात करने में सहयोग करें, इसे लेकर दुर्गा वाहिनी समाज में कार्यरत है. इसके लिए दुर्गा वाहिनी प्रांतीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षण भी देती है. राष्ट्रीय प्रशिक्षण में पूरे राष्ट्र की हर प्रांत से बहनें प्रशिक्षण के लिए आती हैं और प्रांतीय वर्गों में प्रांत के जितने भी जिले हैं, सभी जिले से बहनें प्रशिक्षण में भाग लेती हैं. प्रशिक्षण में शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से बहनों को प्रशिक्षण दिया जाता है.

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झारखंड के सभी जिलों में है दुर्गा वाहिनी की समिति

दुर्गा वाहिनी की झारखंड प्रांत संयोजिका अनुराधा कच्छप बताती हैं कि वर्तमान में झारखंड के सभी जिलों में अपनी समिति है. दुर्गा वाहिनी की बहनें अपने- अपने क्षेत्र में बहुत ही सक्रियता से कार्य कर रही हैं और वर्तमान परिप्रेक्ष्य के अनुसार समाज की हिंदू युवतियों व महिलाओं को दुर्गा वाहिनी मातृ शक्ति का कार्य करना चाहिए, ताकि हम भारत को फिर से विश्वगुरु के पद पर पद स्थापित कर सकें.

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