रांची: रातू रोड की कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा में आज मंगलवार को आठवें नानक धन-धन गुरु हरकिशन साहिब जी का प्रकाश पर्व मनाया गया. इस अवसर पर सजाये गए विशेष दीवान की शुरुआत सुबह 7:30 बजे स्त्री सत्संग सभा की बबली दुआ, कांता मिढ़ा, ममता मुंजाल, जयती मिढ़ा द्वारा तेरा कीया मीठा लागै हर नाम पदारथ नानक मांगै शबद गायन से हुई. हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों ने आसा दी वार का पाठ पढ़ा तथा पूता माता की आशीष, निमख ना बिसरऊ तुम कउ हर हर सदा भजऊ जगदीश एवं हरकिशन धिआइयै जिस डिठै सब दुख जाए जैसे कई शबद गायन कर साध संगत को गुरवाणी से जोड़ा.
गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने किया कथावाचन
गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने कथावाचन करते हुए साध संगत को बताया कि आठवें नानक गुरु हरकिशन साहिब जी का जन्म सन 1656 में कीरतपुर साहिब में हुआ था. मात्र पांच साल की आयु में ही उन्हें अपने पिता गुरु हर राय साहिब जी द्वारा गुरु की पदवी हासिल हुई थी. कई लोगों को इस बात पर संदेह था कि गुरु हरकिशन जी में गुरु बनने लायक कोई शक्ति है भी या नहीं. इन्हीं में से एक थे लाल चंद जिसने दिल्ली जाने से पहले गुरु हरकिशन साहिब जी को गीता का अर्थ बताने की चुनौती दी थी. इस बात पर गुरु हरकिशन जी ने कहा कि वह उनके बदले किसी और को यह कार्य बोलकर करने के लिए ले आए. तब लाल चंद एक बहरे और मूक शख्स छाजू राम को ले आए और गुरु हरकिशन जी के छाजू राम को हाथ लगाते ही वह शख्स गीता का अर्थ बताने लगा. इस बात पर सभी भौंचक्का रह गए और लाल चंद गुरु हरकिशन के पैरों में गिर गए. साथ ही उन्होंने भाई गुरुदास जी की कविता जैसे हीरा हाथ मैं तनक सो दिखायी देत मोल कीए दमकन भरत भंडार जी का उल्लेख करते हुए साध संगत को बताया कि गुरु हरकिशन साहिब जी की उम्र जरूर कम थी परंतु वे अद्भुत प्रतिभा से सम्पन्न तथा गुणी थे.
साध संगत को दी गयी प्रकाश पर्व की बधाई
सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने गुरु हरकिशन जी की महिमा का गुणगान करते हुए समूह साध संगत को प्रकाश पर्व की बधाई दी और इसी तरह गुरुघर से जुड़े रहने को कहा. श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुक्मनामा के साथ सुबह 9:15 बजे विशेष दीवान की समाप्ति हुई. मंच संचालन मनीष मिढ़ा ने किया. आज के दीवान में गुरुनानक सत्संग सभा के अध्यक्ष द्वारका दास मुंजाल, अशोक गेरा, हरगोबिंद सिंह, सुरेश मिढ़ा, बिनोद सुखीजा, नरेश पपनेजा, जीवन मिढ़ा, मोहन काठपाल, महेंद्र अरोड़ा, हरीश मिढ़ा, अमरजीत गिरधर, आशु मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, राजकुमार सुखीजा, अनूप गिरधर, कमल मुंजाल, रमेश तेहरी, जीतू अरोड़ा, सुरजीत मुंजाल, महेश सुखीजा, रमेश गिरधर, रौनक ग्रोवर, चरणजीत मुंजाल, राकेश गिरधर, जगदीश मुंजाल, प्रताप खत्री, गोबिंद तालेजा, भगवान दास मुंजाल, अश्विनी सुखीजा, गुलशन मिढ़ा, बीआर मग्गो सहित अन्य शामिल थे.