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Jharkhand : नियुक्ति परीक्षाओं में अब हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत शामिल, भोजपुरी, मगही समेत ये सात भाषाएं बाहर

हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत को नयी भाषा के रूप में शामिल किया गया है. पर भोजपुरी, मगही व अंगिका, असुर, बिरहोर समेत सात भाषाओं को बाहर कर दिया गया है. नियुक्ति परीक्षाओं के लिए अब जिला से लेकर राज्यस्तर तक सूचीबद्ध 15 भाषाओं की ही परीक्षा होगी.

विवेक चंद्र, सुनील झा, रांची

राज्य सरकार ने मैट्रिक से लेकर स्नातक स्तरीय नियुक्ति परीक्षा नियमावली में संशोधन किया है. कैबिनेट के निर्णय के बाद कार्मिक विभाग ने संशोधित नियमावली अधिसूचित कर दी है. जारी नियमावली में राज्य और जिला स्तर पर मैट्रिक से लेकर स्नातक स्तरीय परीक्षाओं के लिए कुल 15 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है. इनमें हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत को नयी भाषा के रूप में शामिल किया गया है. पर भोजपुरी, मगही व अंगिका, असुर, बिरहोर समेत सात भाषाओं को बाहर कर दिया गया है. नियुक्ति परीक्षाओं के लिए अब जिला से लेकर राज्यस्तर तक सूचीबद्ध 15 भाषाओं की ही परीक्षा होगी. अब तक जिला व राज्य स्तर पर नियुक्ति के लिए अलग-अलग भाषा चिह्नित थी.

परीक्षाओं में 12 भाषाओं को किया गया था सूचीबद्ध

पूर्व में राज्यस्तरीय पदों के लिए होनेवाली परीक्षाओं में 12 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया था. वहीं, जिलास्तरीय नियुक्ति परीक्षा के लिए अलग से जिलावार 22 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया था. सभी जिलों के लिए अलग-अलग क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं की सूची थी. अब राज्य व जिलास्तरीय दोनों ही तरह की परीक्षाओं के लिए चयनित 15 भाषाएं राज्य के सभी 24 जिलों में मान्य होगी. इन भाषाओं की परीक्षा 100 अंकों की होगी. विद्यार्थी अपनी इच्छानुसार क्षेत्रीय भाषा का चयन कर सकेंगे. परीक्षा में सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे.

सूची से बाहर की गयी भाषाओं की नहीं होती पढ़ाई

राज्य सरकार की संशोधित नियोजन नीति में शामिल नहीं की गयी भाषाओं की पढ़ाई झारखंड के स्कूलों में नहीं होती है. असुर, बिरहोर, बिरजिया, माल्तो, भोजपुरी, मगही व अंगिका विषय की पढ़ाई का प्रावधान नहीं है.

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स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा व परिवेश के ज्ञान की बाध्यता भी खत्म

अधिसूचित की गयी नयी नियोजन नियमावली के मुताबिक, अब अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए झारखंड से मैट्रिक व इंटर पास होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी गयी है. साथ ही अभ्यर्थी को स्थानीय रीति-रिवाज, भाषा व परिवेश का ज्ञान होने की अनिवार्यता भी खत्म कर दी गयी है. अब नियोजन के लिए अभ्यर्थियों को केवल निर्धारित योग्यता का होना अनिवार्य किया गया है. संशोधित नियमावली के मुताबिक राज्य के सभी जिलों में चिह्नित 15 भाषाओं में से किसी भी एक क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा का चयन परीक्षार्थी कर सकेंगे.

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