रांची : झारखंड में कोरोना वायरस के अब तक 4 मामले सामने आये हैं, जिसमें 2 राजधानी रांची के हिंदपीढ़ी इलाके से हैं. इसलिए कहा जा रहा है कि हिंदपीढ़ी झारखंड में कोरोना वायरस के संक्रमण का एपिसेंटर (केंद्र) बन सकता है. इसकी आशंका इसलिए जतायी जा रही है, क्योंकि बड़े पैमाने पर तबलीगी जमात से जुड़े लोग इस क्षेत्र की एक मस्जिद में ठहरे थे. इनमें से ही एक युवती कोरोना वायरस की वाहक थी और उसके संपर्क में आने वाली एक और महिला में यह जानलेवा विषाणु पाया गया है.
मार्च के अंत में जब कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया, तो प्रशासन ने पूरे इलाके में लोगों की स्क्रीनिंग कराने का फैसला किया. मेडिकल की टीम जब वहां पहुंची, तो लोगों ने इसका विरोध कर दिया. स्थानीय लोगों ने हाथ में पत्थर उठा लिये, तो सर्वेक्षण और लोगों की स्क्रीनिंग करने के लिए सदर अस्पताल से पहुंची मेडिकल टीम को वहां से अपना काम किये बगैर लौटना पड़ा.
हालांकि, उपायुक्त और अन्य अधिकारियों ने क्षेत्र के स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से बातचीत की और लोगों को जांच के लिए तैयार किया. इसके बाद लगातार तीन दिन तक पूरे क्षेत्र में सघन स्क्रीनिंग की गयी. मेडिकल स्टाफ ने देर रात तक लोगों की जांच की. तीन दिन में 35 हजार से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग हुई. जो भी कोरोना वायरस के संदिग्ध लगे, उन्हें खेलगांव के क्वारेंटाइन सेंटर में भेज दिया गया.
सोमवार को जब एक महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आयी, तो उसके साथ 6 और लोगों को राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में भर्ती कराया गया. ऐसा देखा गया है कि राज्य की राजधानियों में अंतिम समय में इस विषाणु से संक्रमित लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल हो या राजस्थान की राजधानी जयपुर.
यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी एकाएक कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी. इन सबके पीछे जमातियों का हाथ था. दिल्ली के तबलीगी जमात से निकलने वाले लोग देश के कोने-कोने में पहुंच गये. उन्होंने अपनी जांच नहीं करायी. मेडिकल की टीम जब जांच करने के लिए पहुंची, तो कई राज्यों में उन पर हमले हुए. रांची के हिंदपीढ़ी में भी मेडिकल टीम पर पथराव होते-होते रह गया.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि दिल्ली के तबलीगी जमात से निकलकर 37 जमाती झारखंड के सभी 24 जिलों में पहुंच गये. अब तक इस बात की आधिकारिक जानकारी नहीं है कि इनमें से किसी को पुलिस और प्रशासन ने पकड़ा है या नहीं. हां, मलयेशिया की एक युवती को संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती करा दिया गया. इस युवती के संपर्क में रही एक और महिला के संक्रमित होने की पुष्टि हो चुकी है.
ज्ञात हो कि झारखंड में कोरोना वायरस से संक्रमण के अब तक मात्र 4 केस सामने आये हैं. इनमें दो रांची के हिंदपीढ़ी से हैं. बोकारो की रहने वाली महिला बांग्लादेश से लौटी थी और हजारीबाग का व्यक्ति पश्चिम बंगाल के आसनसोल से यहां आया था. इसलिए प्रशासन पूरी एहतियात बरत रहा है. जैसे ही कोरोना वायरस के दूसरे मामले की पुष्टि हुई, पीड़ित महिला के साथ 6 और लोगों को रिम्स में भर्ती करा दिया गया.
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झारखंड सरकार का दावा है कि उसने कोविड19 से लड़ने की पूरी तैयारी कर रखी है. राज्य सरकार कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है. कोरोना से संबंधित मरीजों की देखभाल के लिए राज्य में 48 हॉस्पिटल हैं, जिनमें 2,562 मरीजों को रखा जा सकता है. राज्य के अस्पतालों में 2,090 आइसोलेशन वार्ड, 1,117 बेड और 163 वेंटिलेटर हैं.
राज्य के विभिन्न जिलों में 3,676 क्वारेंटाइन सेंटर खोले गये हैं, जिसमें अब तक 14,228 लोगों को पृथक वास में रखा गया है. वहीं, 1,43,227 लोगों को होम क्वारेंटाइन किया गया है. 1,34,257 लोगों को स्टांप लगाया गया है और 11,980 लोगों ने अपनी क्वारेंटाइन की अवधि पूरी कर ली है.
सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, रांची एनएचएम द्वारा कोविड-19 के टेस्ट हेतु राज्य के विभिन्न जिलों से 5 अप्रैल, 2020 तक 911 लोगों के ब्लड सैंपल लिये गये, जिनमें से 3 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव थी. 727 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव थी और 181 लोगों की रिपोर्ट नहीं आयी थी. इनमें से एक महिला की रिपोर्ट 6 अप्रैल को पॉजिटिव पायी गयी, जबकि 4 अप्रैल को रिम्स में जिस व्यक्ति की मौत हो गयी थी, उसकी रिपोर्ट निगेटिव है.
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य में कुल 2,29,349 ट्रिपल लेयर मास्क, 65,814 n95 मास्क, 5535 पीपीई किट एवं 3,384 वीटीएम किट वितरित किये जा चुके हैं. सरकार के पास अभी स्टॉक में ये सभी सामग्री उपलब्ध हैं. जहां भी जरूरत होगी, ये चीजें वहां उपलब्ध करा दी जायेंगी.