RIMS : झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में बदहाली की खबर आए दिन आती रहती है. अस्पताल के अंदर उचित व्यवस्था के अभाव की भी शिकायत मिलती रहती है. लेकिन, एक चीज को व्यवस्थित करने से पहले ही दूसरी परेशानी सामने दिखने लगती है. ऐसी ही एक परेशानी से इन दिनों परेशान है रिम्स के मरीजों के परिजन. इस अस्पताल में राज्यभर के लोग बेहतर इलाज के लिए आते है. रिम्स में एक दिन में कम-से-कम सैंकड़ों मरीज आते जाते है. लेकिन, इलाज कराने पहुंचे लोगों को शुद्ध वातावरण भी नसीब नहीं होती है.
बता दें कि रिम्स परिसर के आसपास खाने-पीने के कई ठेले लगे रहते है. ऐसे ठेले का सबसे अधिक इस्तेमाल मरीजों के साथ आने वाले परिजन ही करते है. लेकिन, यहां की स्थिति इतनी बदत्तर है कि वो खाने की सुगंध नहीं, बल्कि कचरे की दुर्गंध महकने को मजबूर है. रास्ते से गुजरने पर आपको कचरों का ढेर देखने को मिल जाएगा जो कि बहुत ही ज्यादा बदबूदार है. गौर करने वाली बात ये है कि ये कचरे कहीं और नहीं बल्कि कचरे के डिब्बे के करीब ही फेंके रहते थे.
आसपास से गुजरने वाले लोगों को अपने मुंह और नायक ढक लेने पर मजबूर करने वाले ये बदबूदार कचरे लोगों के लिए बहुत ही घातक साबित हो रहे है. चाय के कप, प्लास्टिक के समान, पॉलिथीन में बंधे कई सड़े-गले वस्तु साथ ही कई इस्तेमाल किए हुए मेडिकल वस्तुएं भी यहां देखने को मिल जाते है. इस कारण आसपास के लोगों को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों से बात करने पर उन्होंने कहा कि पेट की भूख इतनी ज्यादा होती है कि विपरीत परिस्थिति में भी किसी तरह उन्हें इस गंदगी के बीच खाना पड़ता है.
हालांकि, नगर निगम की गाड़ियां वहां से कचरा उठाने का काम जरूर करती है लेकिन, व्यवस्थित ढंग से यह काम ना होने की वजह से मरीज के परिजनों सहित कई लोगों को इस तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कचरे से फैलने वाली बीमारियों की कोई संख्या अनगिनत है. ये कचरों के ढेर कई बीमारियों को आमंत्रित करते है. ऐसे में इस तरह के परेशानियों से सामना और इसका निवारण रिम्स प्रबंधन और निगम दोनों मिलकर ही कर सकते है.