रांचीः मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से लगातार मानव तस्करी के शिकार बालक/बालिकाओं को मुक्त कराकर उनके घरों में पुनर्वास किया जा रहा है. इसी कड़ी में मानव तस्करी की शिकार झारखंड के साहिबगंज जिले की नौ नाबालिगों को दिल्ली से मुक्त कराया गया है. आपको बता दें कि पिछले शुक्रवार को रांची जिले के दो बच्चों एवं धनबाद जिले के दो बच्चों को रांची जिले के बाल संरक्षण पदाधिकारी के नेतृत्व में आयी एस्कॉर्ट टीम के साथ वापस झारखंड पुनर्वासित किया गया है.
विभिन्न सरकारी योजनाओं को मिलेगा लाभ
साहिबगंज जिला प्रशासन द्वारा जानकारी मिलते ही त्वरित कदम उठाते हुए जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुमन गुप्ता के निर्देशन पर जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. ये टीम पिछले 04 दिनों से दिल्ली में कैम्प करके नौ नाबालिगों के साथ वापस ट्रेन द्वारा झारखंड लौट रही है. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी द्वारा यह जानकारी दी गयी कि इन सभी बच्चियों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इनकी सतत निगरानी की जाएगी ताकि ये दोबारा मानव तस्करी की शिकार ना होने पाएं.
मानव तस्करी पर नकेल की कोशिश
गौरतलब है कि स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा के निर्देशानुसार एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र, नई दिल्ली द्वारा लगातार दिल्ली के विभिन्न बालगृहों का भ्रमण कर मानव तस्करी के शिकार, भूले- भटके या किसी के बहकावे में फंसकर असुरक्षित पलायन कर चुके बच्चे, युवतियों को वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है. इसे लेकर दिल्ली पुलिस, बाल कल्याण समिति, नई दिल्ली एवं सीमावर्ती राज्यों की बाल कल्याण समिति से लगातार समन्वय स्थापित कर मानव तस्करी के शिकार लोगों की पहचान कर मुक्त कराया जा रहा है. उसके बाद मुक्त लोगों को सुरक्षित उनके गृह जिला भेजने का कार्य किया जा रहा है, जहां उनका पुनर्वास किया जा रहा है.
दिल्ली के सीमावर्ती इलाके से कराया गया मुक्त
मानव तस्करी पर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग काफी संवेदनशील है और त्वरित कार्यवाही पर विश्वास रखती है. यही कारण है कि दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है. इसके तहत मानव तस्करी के शिकार बच्चे एवं बच्चियों को मुक्त कराकर उनके जिलों में पुनर्वासित किया जाता है. इसका टोल फ्री नम्बर 10582 है जो 24×7 कार्य करता है. केंद्र की नोडल ऑफिसर नचिकेता ने बताया गया कि यह केंद्र दिल्ली में प्रधान स्थानिक आयुक्त मस्तराम मीणा की देखरेख एवं महिला एवं बाल विकास विभाग (झारखंड सरकार) के अंतर्गत कार्य करता है. केंद्र द्वारा दिल्ली एवं उसके निकटवर्ती सीमा क्षेत्र पर विशेष नजर रखी जाती है. इसी क्रम में हमें इस बार बड़ी कामयाबी मिली और साहिबगंज जिले की नौ नाबालिगों को हमने दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र से (जो क्रमशः हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से सटा है) से रेस्क्यू किया.
दलालों के माध्यम से करते हैं पलायन
दिल्ली में मुक्त करायी गयीं बच्चियों को दलाल के माध्यम से लाया गया था. झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर दिल्ली में अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने बेच देते हैं, जिससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी बदतर बना दी जाती है.
माता-पिता भी हैं जिम्मेदार
दलालों के चंगुल में बच्चियों को भेजने में उनके माता-पिता की भी अहम भूमिका होती है. कई बार ऐसा देखा गया है कि बच्चियां अपने माता-पिता व अपने रिश्तेदारों की सहमति से ही दलालों के चंगुल में फंसती हैं.
मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानी
महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है. जिले के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा बालकों एवं बालिकाओं को वापस अपने जिले में पुनर्वास किया जाएगा. झारखंड सरकार निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति (VLCPC)) के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन बच्चों को फिर मानव तस्करी का शिकार होने से से बचाया जा सके एवं झारखंड में मानव तस्करी रोकी जा सके. एस्कॉर्ट टीम में एकीकृत पुनर्वास-सह-संसाधन केंद्र के कार्यालय सहायक राहुल सिंह एवं परामर्शी निर्मला खालखो ने अहम भूमिका निभाई.