रांची, मनोज सिंह : पंचायती राज व्यवस्था लागू होने के 10 साल बाद भी राज्य के 133 पंचायतों का अपना सचिवालय भवन नहीं है. यहां पंचायतों का कामकाज जैसे-तैसे चल रहा है. राज्य सरकार ने सभी पंचायतों को एक राज्य के सबसे निचले स्तर के सचिवालय के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. तय किया है कि यहां गांव के लोगों को हर प्रकार की सुविधा मिलेगी. इसके बावजूद यहां आधारभूत संरचना की कमी है. झारखंड के करीब 2390 पंचायत सचिवालय में इंटरनेट का कनेक्शन नहीं है. इस कारण ऑनलाइन कामकाज नहीं होता है. पंचायती राज विभाग की निदेशक निशा उरांव ने सभी जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखकर व्यवस्था दुरुस्त करने को कहा है. जहां भवन नहीं है, उसके लिए राशि प्रबंध करने को कहा है. राशि विभाग के अन्य किसी मद से उपलब्ध करायी जायेगी.
15 नवंबर तक शुरू करनी हैं कई सुविधाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 16 जून को समीक्षा बैठक के दौरान सभी जिलों को डीएमएफटी की राशि से पंचायत सचिवालय बनाने का निर्देश दिया था. जहां डीएमएफटी की पैसा नहीं है, वहां विभाग से पैसा देने को कहा था. सभी पंचायत भवनों में 15 नवंबर तक बैंक, डाकघर, बिजली, पहुंच पथ, इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. प्रत्येक दिन पंचायत सचिवालय खोलने का निर्देश दिया गया है. इसमें पंचायत स्तरीय कर्मियों की उपस्थिति सुनिश्चित करनी है. पंचायतों को डिजिटल भी करना है.
गिरिडीह की 233 व रांची की 174 पंचायतों में नेट कनेक्टिविटी नहीं
पंचायती राज विभाग को जो आंकड़े प्राप्त हुए है, उसके अनुसार गिरिडीह ऐसा जिला है, जहां 233 पंचायतों में नेट की सुविधा नहीं है. राजधानी रांची में भी करीब 174 पंचायतों में नेट की सुविधा नहीं है. पूर्वी सिहंभूम, बोकारो, धनबाद की स्थिति भी अच्छी नहीं है. यहां भी 100 से अधिक पंचायत भवनों में नेट का कनेक्शन नहीं है. खूंटी और सिमडेगा जिले की स्थिति ठीक है.
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