रांची : कोरोना (कोविड-19) वायरस के टीके की पहली खेप झारखंड में आ गयी है. इसमें 16,200 वायल मिले हैं, जिससे 1.62 लाख डोज तैयार किये जा सकते हैं. एक व्यक्ति को इस टीके के दो डोज लगने हैं. यानी पहले चरण में राज्य के 81,000 स्वास्थ्यकर्मियों का टीकाकरण किया जायेगा. हालांकि, कोरोना के टीके को लेकर उठ रही अफवाहें की वजह से कुछ लोग डरे हुए हैं. जबकि, विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि इस टीके को लेकर भ्रमित होने और घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इससे पहले आयी महामारियों और संक्रमण में टीका ही हथियार बना है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि झारखंड में 292 दिन बाद कोरोना का टीकाकरण कार्यक्रम शुरू हो रहा है. इससे उम्मीद जगी है कि कोरोना वायरस के खाैफ से लोगों को राहत मिलेगी. टीका लगाने से कोरोना का फैलाव कम होगा. संक्रमण दर व एक्टिव केस में कमी आयेगी. लोगों को कोरोना के टीकाकरण कार्यक्रम में नि:संकोच शामिल होना चाहिए. टीकाकरण के कारण ही हम आज कई बीमारियों से सुरक्षित हैं. कई टीके बच्चों को जन्म होते ही दिये जाते हैं. इसमें बीसीजी का टीका भी शामिल है, जो जन्म के साथ ही शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लगाया जाता है.
कम से कम तीन कमरे और जगह स्वच्छ हो
निर्बाध बिजली की व्यवस्था हो
चार एमबीपीएस स्पीड की इंटरनेट के साथ एक बैकअप में भी इंटरनेट प्रदाता को रखना है
अत्याधुनिक लैपटॉप या डेस्कटॉप हो, जिसमें इंटेल आइ फाइव प्रोसेसर होना चाहिए
एचडी या फुल एचडी वेब कैम लगा होना चाहिए
पीने का पानी, सैनिटाजर की व्यवस्था
कोविड-19 संबंधी प्रचार सामग्री की व्यवस्था
वेब कास्टिंग की व्यवस्था हो
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय व केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के निर्देश पर यूजीसी ने कोरोना टीकाकरण अभियान में सभी विवि व कॉलेजों को सहयोग करने का निर्देश दिया है. यूजीसी के सचिव प्रो रजनीश जैन ने विवि के कुलपति व कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र भेज कर कहा है कि कोरोना टीकाकरण की सफलता के लिए विवि अपने प्लेटफॉर्म व नेटवर्क का पूरा उपयोग करे. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने केंद्रीय शिक्षा सचिव अमित खरे को भी पत्र भेज कर राज्य में चल रहे अभियान में विवि व कॉलेजों का सहयोग दिलाने का आग्रह किया है.
महामारी, जिनसे टीकाकरण ने दी सुरक्षा
इससे पहले भी हर बार महामारियों और संक्रमण में टीका ही बना है हथियार
बच्चों को जन्म के समय ही दिये जाते हैं कई टीके, जो बढ़ाते हैं उनकी इम्यूनिटी
हैजा (वर्ष1961-75 ) : विब्रियो कोलेरा बैक्टीरिया को ही हैजा कहा जाता है. यही वायरस वर्ष 1961 में हैजा महामारी बना. पांच साल में यह वायरस भारत पहुंच गया. भारत के कई राज्य इस महामारी की चपेट में आ गये. कोलकाता इस महामारी का केंद्र बना था. सैकड़ों लोगों की इससे मौत हुई. इस महामारी में सामान्य लक्षण उल्टी व दस्त के रूप में दिखता है. यह दूषित भोजन व पानी से फैलता है. शुद्ध पानी व भोजन को अपना कर इससे बचा जा सकता है. महामारी के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के सहयोग से हैजा के टीका का ईजाद किया गया. टीकाकरण से इस बैक्टीरिया से हाेनेवाले महामारी से बचाव हुआ.
वर्ष 1968 में फ्लू व इन्फ्लूएंजा वायरस महामारी के रूप में सामने आया. भारत के अधिकांश हिस्सा इसके प्रभाव में आ गया. सामान्य फ्लू से सैकड़ों की जान गयी. बाद में इन्फ्लूएंजा टीका का ईजाद हुआ, जिससे लोगों की जान बची. हालांकि, फ्लू का यह टीका हर छह माह या साल में वायरस के बदले रूप के हिसाब से तैयार होता है, पर टीकाकरण से 80 से 90% तक सुरक्षा मिलती है.
चेचक महामारी से विश्व में सबसे ज्यादा भारत देश प्रभावित हुआ था. विश्व में इस महामारी से सबसे ज्यादा 60 फीसदी मामले भारत में मिले थे. भारत को चेचक के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय चेचक उन्मूलन अभियान चलना पड़ा था. डब्लूएचओ के सहयोग से टीकाकरण अभियान चलाया गया, जिससे वर्ष 1977 में भारत से इसका उन्मूलन हुआ.
Posted By : Sameer Oraon