Electricity Condition In Jharkhand रांची : शहर में हर थोड़े अंतराल पर बिजली गुल होने का सिलसिला थम नहीं रहा. हल्की बारिश में भी घंटों बिजली कट रही है. विभाग के पास इसके लिए हजार बहाने हैं. शहर में बिजली सबसे ज्यादा लोकल फॉल्ट के कारण गुल हो रही है. पिछले 24 घंटे में ही राजधानी में कई बार बिजली कटी.
शुक्रवार को धुर्वा सेक्टर फोर, अशोक नगर, कोकर शिवशक्ति नगर, केतारी बागान जैसे चुटिया फीडर से जुड़े इलाके में एक बार जो बिजली गयी, वह काफी देर तक नहीं आयी. इससे लोगों को काफी परेशानी हुई. राजधानी में नामकुम ग्रिड से जुड़े डोरंडा, रिम्स व सदर सबस्टेशन को छोड़ कर शायद ही किसी सबस्टेशन के अंदर ऐसा फीडर होगा, जिसने पांच से ज्यादा बार ट्रिप न किया हो.
बरसात में बिजली व्यवस्था सुचारू तरीके से चलती रहे, इसके लिए बिजली कंपनी एक-दो महीने पहले से तैयारी शुरू कर देती है. लेकिन इस बार बिजली कटौती के साथ मेंटेनेंस को लेकर भी जमकर शिकायतें आ रही हैं. पिछले दिनों जब प्री-मॉनसून की बारिश हुई, तो शहर के अलग-अलग इलाकों में बिजली गुल हो गयी. इससे साफ हो गया कि जेबीवीएनएल ने मॉनूसन से पहले ऐसी तैयारी नहीं की, जिससे बारिश में भी बिजली यथावत लोगों को मिलती रहे.
हर साल बारिश के पहले होनेवाला प्री-मॉनसून मेंटेनेंस इस बार ठीक से नहीं हो पाया. इस कारण बिजली चालू रहने की स्थिति में फॉल्ट दर्ज हो रहे हैं. कई जगहों पर पेड़ों की डालियों की छंटाई की गयी.
लेकिन ऊंची टहनियों की पहुंच के लिए एक ही लिफ्ट गाड़ी होने के कारण यह बड़े इलाके को कवर नहीं कर पाता, जिसका नतीजा है कि हल्की हवा और बारिश से भी सप्लाई बुरी तरह प्रभावित हो जाती है. इसके अलावा अक्सर थंडरिंग से होनेवाले संभावित नुकसान से बचने के लिए भी बिजली बंद कर दी जाती है.
हटिया-हरमू लाइन (काम पूरा होने की अवधि : 30 जून)
हटिया-अरगोड़ा लाइन (काम पूरा होने की अवधि : 30 जून)
हटिया-पुंदाग (काम पूरा होने की अवधि : 31 जुलाई)
हटिया – आइटीआइ कांके लाइन (31 जुलाई)
पुंदाग-हरमू लिंक लाइन (30 जून तक)
बूंदाबांदी से भी हो रहा लोकल फॉल्ट, ऐसे में आगे मॉनसून के चार माह क्या होगा
बिजली वितरण निगम अक्सर ग्रिड ट्रिप होने और वहां से पर्याप्त बिजली नहीं मिलने का बहाना बनाता है, जबकि ग्रिड से पर्याप्त बिजली मिलती है.
लोकल फॉल्ट से अलग-अलग इलाकों में औसतन सौ बार से ज्यादा बिजली कटती है. इसमें फ्यूज उड़ना, जंफर कटना व ट्रांसफॉर्मर में खराबी शामिल है.
बारिश के दौरान कई जगहों पर पेड़ों की डालियां टूट कर तारों पर गिरने से बिजली बंद होने का बहाना आम है.
राजधानी के ज्यादातर उच्च क्षमता लाइन में अब रबराइज्ड इंसुलेटर लगा दिये गये हैं. इसमें क्रेक नहीं पड़ता है. फिर भी यह बहाना बनाया जाता है.
भूमिगत केबल बिछाने की पूरी योजना पर 364.28 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. अभी चुनिंदा इलाके में ही यह काम हुआ है.
बिजली की उत्पादन क्षमता कम होना भी एक बहाना है. हकीकत यह है कि फिलहाल ग्रिड को मिलने वाली अतिरिक्त बिजली लौटानी पड़ जा रही है.
आंधी-पानी के दौरान अतिरिक्त तकनीकी बिजली कर्मियों की तैनाती की जरूरत है. निचले स्तर पर करीब 35 फीसदी मैन पावर की कमी है.
33 हजार वोल्ट की हाइटेंशन लाइन की लंबाई को वजह बता फॉल्ट ढ़ूंढ़ने में देरी की बात कही जाती है. जबकि अब सभी लाइनें आपस में जुड़ी हैं और इसकी लंबाई कम हुई है.
शहरी क्षेत्र में 33/11 केवीए क्षमता के 46 बड़े ग्रिड सबस्टेशन हैं
शहरी क्षेत्र में 11 केवी फीडर के करीब 176 कम क्षमता के फीडर
शहरी क्षेत्र में 33/11 केवीए क्षमता के 46 बड़े ग्रिड सबस्टेशन हैं
शहरी क्षेत्र में 11 केवी फीडर के करीब 176 कम क्षमता के फीडर
पीक ऑवर में बढ़ी बिजली की खपत ग्रिड खपत क्षमता
कांके ग्रिड 69 मेगावाट 70 मेगावाट
नामकुम ग्रिड 83 मेगावाट 90 मेगावाट
हटिया ग्रिड 117मेगावाट 120 मेगावाट
कांके ग्रिड 61 मेगावाट 70 मेगावाट
नामकुम ग्रिड 72 मेगावाट 90 मेगावाट
हटिया ग्रिड 109 मेगावाट 120 मेगावाट
कांके ग्रिड 60मेगावाट 70 मेगावाट
नामकुम ग्रिड 66 मेगावाट 90 मेगावाट
हटिया ग्रिड 102 मेगावाट 120 मेगावाट
कोकर, चेशायर होम रोड, मोरहाबादी, एदलहातू, चुटिया केतारी बगान, मधुकम, रातू रोड, रातू काठीटांड़, हटिया, बिरसा चौक, हवाई नगर, सिंह मोड़, धुर्वा, हरमू, किशोरगंज, विद्यानगर, बूटी मोड़, बेड़ो, बुढ़मू, बीआइटी, ओरमांझी आदि इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
हाल के कुछ महीनों में पावर कट की समस्या ने बड़ी सोसाइटियों और अपार्टमेंट्स का बजट गड़बड़ा दिया है. दो महीने पहले न्यू नगर के करीब 25 फ्लैट्सवाले साईं अपार्टमेंट में मेंटेनेंस मद से डीजल पर दो हजार के आसपास खर्च आता था, जो बढ़ कर पांच से छह हजार रुपये हो गया है. होटवार स्थित खेलगांव में रहनेवाले अमित बताते हैं कि यहां हाल के दिनों में जेनरेटर की आवाज दिन भर सुनाई देती रहती है.
आधारभूत संरचना पर काम चल रहा है. कोरोना संकट के दौरान हम समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं कर पाये. झारखंड बिजली वितरण निगम की पूरी कोशिश है कि मौजूदा खामियों को दूर कर लोगों को हर हाल में 24 घंटे निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करायें.
पीके श्रीवास्तव, महाप्रबंधक, आपूर्ति अंचल रांची, जेबीवीएनएल
यह सच है कि ग्रिडों पर दबाव बढ़ा है, लेकिन हम अपने सभी ग्रिड को अपग्रेड कर पूरी क्षमता से बिना रुके बिजली की पूरी सप्लाइ उपलब्ध करा रहे हैं. जो भी परेशानियां हैं, वह वितरण लाइनों के दुरुस्त नहीं होने के कारण हैं.
राजीव रंजन, डीजीएम, ट्रांसमिशन सर्किल, रांची
Posted By : Sameer Oraon