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झारखंड हाईकोर्ट ने नयी और पुरानी पेंशन योजना को लेकर सरकार से पूछा ये सवाल, जानें पूरा मामला

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने वर्ष 2002 के विज्ञापन से नियुक्त प्रारंभिक शिक्षकों को पुरानी व नयी पेंशन योजना का लाभ देने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की.

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने वर्ष 2002 के विज्ञापन से नियुक्त प्रारंभिक शिक्षकों को पुरानी व नयी पेंशन योजना का लाभ देने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थियों का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार से जानना चाहा कि एक ही विज्ञापन से 31 दिसंबर 2003 तक नियुक्त शिक्षकों को पुरानी पेंशन तथा उसी विज्ञापन से बाद में नियुक्त शिक्षकों को नयी पेंशन योजना में क्यों रखा गया है.

अब जबकि सरकार ने पुरानी पेंशन योजना के मामले में निर्णय लिया है. वैसी स्थिति में नयी पेंशन योजना में वर्ष 2004 से लेकर अब तक कटाैती की राशि पुरानी पेंशन योजना में कैसे समायोजित होगी. अदालत ने राज्य के वित्त सचिव को अगली सुनवाई के दाैरान उपस्थित होने को कहा है. अदालत ने मामले में सीडीएसएल को प्रतिवादी बनाया. मामले की अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी.

संविदा कर्मियों से 10 वर्षों बाद क्यों लिया गया एनजीओ के माध्यम से काम

झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने सिविल सर्जन कार्यालय चतरा में 10 वर्षों से नियुक्त संविदा कर्मियों के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने प्रार्थियों का पक्ष सुनने के बाद राज्य सरकार से पूछा कि संविदा कर्मियों की 10 वर्षों तक सेवा लेने के बाद उनकी सेवा एनजीओ के माध्यम से क्यों ली गयी? ऐसा क्यों किया गया? इसका आधार क्या है? अदालत ने मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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