रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सीबीआइ की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें अवैध खनन के मामले में पंकज मिश्रा व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी गयी थी. न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सीबीआइ के मॉडिफिकेशन पिटीशन को अपने पहले आदेश की गलत व्याख्या कर दायर की गयी माना और पिटीशन को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि पूर्व में दिया गया आदेश स्पष्ट है कि प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने या नहीं करने का फैसला सीबीआइ के निदेशक को करना है. साहिबगंज के नींबू पहाड़ प्रकरण में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने की विजय हांसदा की मांग और बाद में याचिका वापस लेने के मामले कोर्ट ने सीबीआइ को पीइ दर्ज कर प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था.
आदेश में यह भी कहा गया था कि प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने या नहीं करने के मामले में सीबीआइ निदेशक फैसला करेंगे. न्यायालय के इस आदेश के बाद इडी के गवाह मुकेश यादव के खिलाफ विजय हांसदा ने धुर्वा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी. इसमें ईडी के अधिकारियों पर भी आरोप लगाये गये. धुर्वा थाने में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के लिए मुकेश यादव की ओर से हाइकोर्ट में पिटीशन दायर किया गया. अदालत ने इसकी सुनवाई के बाद मुकेश यादव व अन्य के खिलाफ पीड़क कार्रवाई करने पर रोक लगा दी. साथ यह भी कहा कि दोनों मामले एक-दूसरे से संबंधित हैं.
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सीबीआइ ने विजय हांसदा द्वारा दायर पिटीशन के आलोक में पीइ दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू की. इसके बाद सीबीआइ ने मुकेश की ओर से दायर पिटीशन के मामले में हाइकोर्ट में अपनी रिपोर्ट दायर की. इसमें इडी के अफसर का मोबाइल छीनने का उल्लेख किया. सीबीआइ ने कोर्ट में दाखिल अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि धुर्वा थाने में इडी के गवाह के खिलाफ प्राथमिकी वकील के निर्देश पर करायी गयी. इसके बाद सीबीआइ ने विजय हांसदा की ओर से दायर याचिका में मॉडिफिकेशन पिटीशन दायर किया. सीबीआइ ने इस पिटीशन में अदालत से यह अनुरोध किया कि वह अपने पहले आदेश में संशोधन कर उचित आदेश पारित करे.
कोर्ट ने अपने पहले आदेश में सिर्फ पीइ दर्ज कर साहिबगंज के नीबू पहाड़ पर अवैध खनन मामले में पंकज मिश्रा व अन्य के अलावा विजय हांसदा की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया था. अदालत प्रारंभिक जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज करने के मुद्दे पर स्पष्ट आदेश दे. न्यायाधीश संजय कुमार द्विवेदी ने सीबीआइ के इस मॉडिफिकेशन को रद्द कर दिया. साथ ही यह भी कहा कि अदालत ने अपने पहले आदेश में यह स्पष्ट कर दिया है कि प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों पर प्राथमिकी दर्ज करने या नहीं करने का फैसला सीबीआइ के निदेशक करेंगे. इसलिए सीबीआइ द्वारा मॉडिफिकेशन पिटीशन दायर करना गलत है.