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क्या होगा झारखंड हाईकोर्ट की पुरानी बिल्डिंग का ? सरकार ने अदालत से कही ये बात

हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मोहम्मद शाकिर से पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य सरकार का पत्र मिला है, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

झारखंड हाइकोर्ट के डोरंडा स्थित बिल्डिंग का अब क्या होगा, यह अब सवाल है. इस बिल्डिंग में 19 मई 2023 को हाइकोर्ट का अंतिम न्यायिक कार्य हुआ था. इसके बाद हाइकोर्ट को धुर्वा स्थित नये परिसर में शिफ्ट किया गया. न्यायिक कार्य 12 जून से धुर्वा स्थित नयी ग्रीन बिल्डिंग में हो रहा है. डोरंडा स्थित बिल्डिंग में वर्तमान में कोई गतिविधि संचालित नहीं हो रही है. हालांकि कैंपस का रखरखाव नियमित रूप से हो रहा है.

राज्य सरकार ने झारखंड हाइकोर्ट से पुरानी बिल्डिंग को हैंड ओवर करने को कहा है. इस संबंध में हाइकोर्ट को अनुरोध पत्र भी भेजा गया है, हालांकि इस पर हाइकोर्ट की ओर से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मोहम्मद शाकिर से पूछे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि राज्य सरकार का पत्र मिला है, लेकिन अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

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51 वर्षों का गाैरवशाली इतिहास रहा है डोरंडा स्थित बिल्डिंग का

डोरंडा स्थित झारखंड हाइकोर्ट का भवन 51 वर्षों का गाैरवशाली इतिहास समेटे हुए है. यहां 19 मई 2023 को नियमित कोर्ट (न्यायिक कार्य) का अंतिम दिन था. रांची में पटना हाइकोर्ट की सर्किट बेंच की स्थापना छह मार्च 1972 को हुई थी. बेंच की स्थापना तत्कालीन बिहार राज्य के छोटानागपुर क्षेत्र की आदिवासी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए की गयी थी. आठ अप्रैल 1976 को स्थायी पीठ की स्थापना की गयी, जिसके बाद प्रतिदिन मामलों की सुनवाई होने लगी. झारखंड हाइकोर्ट के गठन के दिन 15 नवंबर 2000 को सात न्यायाधीश व चीफ जस्टिस सहित कुल आठ पद स्वीकृत थे, जो अब बढ़ कर 25 हो चुके हैं.

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