Jharkhand News, Ranchi News रांची : ग्रामीणों को दवा उपलब्ध कराने के लिए राज्य की प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक दवा दुकान खोली जायेगी. इससे संबंधित संकल्प स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने जारी कर दिया है. इन दवा दुकानों में वैसी दवाएं रखी जायेंगी, जिसके लिए फार्मासिस्ट की जरूरत नहीं होगी. इनमें पारासिटामोल समेत 48 ऐसी दवा होगी, जो सामान्य बीमारी में मरीजों को दी जाती है.
विभाग द्वारा जारी संकल्प में कहा गया है कि राज्य के सभी लोगों तक जरूरी दवा उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता है. झारखंड राज्य एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां अधिकांश जनसंख्या सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. ग्रामीण क्षेत्रों में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए जनहित में प्रत्येक पंचायत के सुदूर गांव में दवाओं की खुदरा बिक्री के लिए रिस्ट्रिक्टेड लाइसेंस निर्गत करने की अनुमति दी गयी है.
इसके लिए फार्मासिस्ट की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है. संकल्प में लिखा गया है कि रिस्ट्रिक्टेड लाइसेंस प्राप्त संस्थान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डॉक्टर के संपर्क में रहेंगे एवं उनकी लेंगे. ताकि, ग्रामीण स्तर पर शीघ्र रोगियों को दवा उपलब्ध करायी जा सके. महत्वपूर्ण दवाओं अथवा अदर लाइफ सेविंग ड्रग की उपलब्धता बनाये रखने के लिए आसपास की दो-तीन पंचायतों में कम से कम एक दवा दुकान ऐसी होगी, जिसमें फार्मासिस्ट नियुक्त होंगे. उक्त दवा दुकानें रिस्ट्रिक्टेड लाइसेंस प्राप्त दुकानों के अनुरोध पर महत्वपूर्ण दवाओं की आपूर्ति करेंगी.
गांवों में दवा दुकान खोलने के लिए बीडीओ द्वारा समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन मांगे जायेंगे. यदि किसी गांव की आबादी पांच हजार से अधिक है, तो वहां दो दवा दुकान खोलने की अनुमति दी जा सकती है. इच्छुक लोगों से निर्धारित प्रपत्र में मुखिया व पंचायत सचिव द्वारा आवेदन प्राप्त किया जायेगा. इसमें आवेदक के नाम, पता, शैक्षणिक योग्यता, प्लॉट नंबर, खाता नंबर, क्षेत्रफल, कार्य का अनुभव आदि अंकित होना चाहिए. मुखिया व पंचायत सचिव अपनी अनुशंसा के साथ आवेदन बीडीओ को भेजेंगे. अंतिम रूप से बीडीओ व ड्रग इंस्पेक्टर की संयुक्त अनुशंसा पर आवेदक को लाइसेंस मिलेगा.
एस्प्रीन , पारासिटामोल, सिरप, एनलजेसिक बाम, एंटासिड, ग्राइप वाटर, सर्दी व खांसी के लिए इनहेलर, खांसी का सिरप, लॉजिंस व टैबलेट, लिनिमेंट्स, स्किन ओइंटमेंट, कॉटन, बैंडेज, कैस्टर ऑयल, लिक्विड पैराफिन, एपसोन साल्ट, टिंक्चर अयोडीन, यूकालिप्टस साल्ट, बेंजीन, ग्लीसरीन, विटामिन आदि दवाएं रखी जायेंगी.
विभाग के अनुसार, ऐसी दुकानों से समय पर ग्रामीणों को दवा मिल सकेगी. साथ ही शिक्षित ग्रामीणों के रोजगार एवं आय के स्रोत के साधन में वृद्धि होगी
विभाग के संकल्प में कहा गया है कि रिस्ट्रिक्टेड लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कम से कम 10 वर्गमीटर का पक्का, हवादार एवं साफ-सुथरा कमरा होना चाहिए.
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वैसी दवा रखनी होगी, जिसमें फार्मासिस्ट की जरूरत नहीं
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शिक्षित ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार, आय के स्रोत बढ़ेंगे
Posted by : Sameer Oraon