Cardinal Telesphore P Toppo is Dead: रांची के धर्माध्यक्ष (कार्डिनल) तेलेस्फोर पी टोप्पो का बुधवार (4 अक्टूबर) को निधन हो गया. वह 83 वर्ष के थे. झारखंड की राजधानी रांची में स्थित बिशप हाउस की ओर से यह जानकारी दी गई है. बिशप हाउस ने बताया है कि मंगलवार को कार्डिनल की तबीयत अचानक बिगड़ गई. इसके बाद उन्हें मांडर के लिंवस हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती कराया गया था. बुधवार को दोपहर बाद चार बजे उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली. कार्डिनल के निधन की सूचना से पूरे झारखंड और मसीही समाज में शोक की लहर दौड़ गई है. तेलेस्फोर पी टोप्पो के फेफड़ों में पानी भर गया था. इसकी वजह से उनका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा था. डॉक्टरों ने फेफड़ों से पानी निकालने के लिए उनके फेफड़े में एक ट्यूब डालने की सलाह दी थी. कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की स्थिति को देखते हुए रांची के धर्माध्यक्षों ने उन्हें संत अन्ना वृद्धाश्रम में रखने का विचार किया. वहां कुछ दिन रखने के बाद वर्ष 2023 में बेहतर देखभाल के लिए कार्डिनल को कॉन्स्टेंट लिंबर अस्पताल में भर्ती कराया गया. मंगलवार को जब उनकी तबीयत बिगड़ी, तो उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया. कार्डिनल ने बुधवार को आईसीयू में ही अंतिम सांस ली.
रांची के सहायक धर्माध्यक्ष ने दी थी कार्डिनल के स्वास्थ्य की जानकारी
इससे पहले, रांची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओडोर मसकरेन्हास एसएफएक्स ने कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो के स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए कहा था कि मंगलवार को तीन बजे रिटायर्ड कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो की तबीयत अचानक बिगड़ गई. उन्होंने कहा कि भारी और दर्द भरे दिल के साथ, हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि सेवानिवृत्त कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का स्वास्थ्य, जो पिछले कुछ समय से कॉन्स्टेंट लिवेंस हॉस्पिटल में अस्पताल में बिस्तर पर हैं, की अचानक बिगड़ गई. उन्हें तुरंत आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया है. बुधवार को खबर आई की कार्डनिल अब इस दुनिया में नहीं रहे.
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महागिरजाघर के निर्माण का सपना देखा और उसे पूरा किया
उल्लेखनीय है कि रांची के धर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष तेलेस्फोर पी टोप्पो 24 जून 2018 को रिटायर हुए थे. रिटायरमेंट के बाद आराम करने के लिए उन्हें एक सितंबर 2018 को दिव्य माता लघु बसिलिका उल्हातु में शिफ्ट कर दिया गया. बता दें कि तेलेस्फोर पी टोप्पो ने रांची में महागिरजाघर के निर्माण का सपना देखा था. उन्होंने उसे पूरा भी किया. वह चाहते थे कि वह वहीं रहें. इसलिए फादर किशोर टोप्पो एवं सिस्टर इम्माकुलाता कुल्लू डीएसए की देखरेख में उन्हें वहीं पर रखा गया था.