Rims Ranchi Latest News रांची : झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स 60 साल बाद नये स्वरूप में दिखेगा. एम्स की तर्ज पर स्वास्थ्य विभाग व रिम्स प्रबंधन अस्पताल के आधारभूत संरचना में बदलाव की तैयारी कर रहा है. रिम्स परिसर में सुपर स्पेशियालिटी विंग टू को स्थापित करने की योजना बनायी गयी है. इस विंग में कई विभाग खोले जायेंगे, जिसकी बेड की क्षमता 650-700 होगी.
यानी रिम्स वर्तमान 1800 बेड की जगह 2500 क्षमता वाला अस्पताल बन जायेगा. रिम्स में कुल 33 विभाग हैं, जिसमें 16 क्लिनिकल हैं, जिनका ओपीडी संचालित होता है. अस्पताल में इन विभागाें का वार्ड है, जिसमें भर्ती मरीजों के लिए अधिकृत बेड भी अावंटित किये गये हैं. कोरोना काल में न्यू ट्रॉमा सेंटर, पेइंग वार्ड सहित अन्य विभाग के बेड का उपयोग हो रहा है, जिससे बेड की कुल संख्या 1800 हो गयी है. नये विभाग खुल जाने पर राज्य के लोगों को बीमार होने पर निजी अस्पतालों पर निर्भर कम होना पड़ेगा.
जानकारी के अनुसार, अस्पताल के आधारभूत संरचना को नया रूप देने के लिए स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह व रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह ने विगत दो दिन पहले रिम्स अधिकारियों व पीडब्ल्यूडी और पीएचडी के चीफ इंजीनियर के साथ एक-एक वार्ड का भ्रमण किया. आधारभूत संचरना में बदलाव की जानकारी एकत्र की. सुपर स्पेशियालिटी विंग को स्थापित करनेवाली जगह का भ्रमण किया.
इसके बाद रिम्स में सुपर स्पेशियालिटी विंग टू की बिल्डिंग व रिम्स की पुरानी बिल्डिंग की आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने में होनेवाले खर्च की प्राक्कलन राशि तैयार करने का निर्देश दिया. प्राक्कलन राशि का आकलन होने पर रिम्स प्रबंधन सरकार से अनुमति के लिए स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से प्रस्ताव भेजेगा.
पदाधिकारियों को खर्च की प्राक्कलन राशि तैयार करने का दिया गया निर्देश
स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से सरकार को निर्माण कार्य पर खर्च होनेवाली राशि का प्रस्ताव भेजा जायेगा
रिम्स के 33 विभागों में 16 विभाग क्लिनिकल, जिसके वार्ड में इलाज के लिए भर्ती होते हैं मरीज
स्पेशियालिटी विंग टू में न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, हीमेटाेलाॅजी, इंड्रोक्राइनोलॉजी व न्यूरो सर्जरी का एक्सटेंशन विंग होगा
सुपर स्पेशियालिटी विंग टू में न्यूरोलॉजी, गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी, हीमेटाेलॉजी, इंड्रोक्राइनोलॉजी के अलावा न्यूरो सर्जरी का एक्सटेंशन विंग भी होगा. विंग के एक फ्लोर पर एक विभाग होगा, जिसमें ओपीडी के अलावा जांच की सुविधा होगी. मरीजों के इलाज के लिए डे-केयर विंग होगा, जिसमें कुछ घंटे इलाज के लिए बेड की व्यवस्था होगी. रिम्स प्रबंधन द्वारा सुपर स्पेशियालिटी विंग की जगह चिह्नित कर ली गयी है. सुपर स्पेशियालिटी विंग टू भी पहली बिल्डिंग के आसपास ही होगा.
एम्स दिल्ली व रिम्स का निर्माण चार साल के अंतराल में ही हुआ है. जानकारी के अनुसार, एम्स की स्थापना 1956 में जबकि रिम्स की स्थापना 1960 में की गयी. एम्स ने अपनी पुरानी आधारभूत संरचना को पांच साल पहले ही नयी जरूरत के हिसाब से दुरुस्त कर लिया, लेकिन रिम्स में इस पर ध्यान नहीं दिया गया. स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह व निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद द्वारा अब इस पर ध्यान दिया जा रहा है.
रिम्स की आधारभूत संरचना करीब 60 साल पुरानी है, जिसमें अब बदलाव की जरूरत है. बेड की संख्या भी कम है, जिस कारण मरीजों का इलाज जमीन पर होता है. आधारभूत संरचना में बदलाव कर बेड को बढ़ाने की योजना है. सुपर स्पेशियालिटी विंग टू व अन्य विभागों में बेड बढ़ाये जायेंगे, जिससे बेड की संख्या करीब 650 से 700 हो जायेगी. यानी वर्तमान 1800 से बढ़ कर रिम्स में बेड की संख्या 2500 तक हो जायेगी. नये स्पेशियालिटी विंग भी खोले जायेंगे, ताकि लोगों की निजी अस्पतालों पर निर्भरता खत्म हो.
डाॅ कामेश्वर प्रसाद, निदेशक, रिम्स
Posted By : Sameer Oraon