Jharkhand news रांची : वर्ष 2000 में जब झारखंड अलग राज्य बना, तब यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, लेकिन इसके बाद तेजी से स्थिति बदली. खासकर खेल के क्षेत्र में. 2011 में 34वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन के बाद से राज्य में खेलों व इसकी मूलभूत सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ. इसके लिए मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स होटवार में अंतरराष्ट्रीय स्तर की आधारभूत संरचना तैयार की गयी. धुर्वा में जेएससीए स्टेडियम बना, जहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का आयोजन होने लगा.
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में देश का परचम लहराया, उस समय राज्य में मूलभूत सुविधाएं काफी कम थीं. धौनी ने अपनी मेहनत से पहचान बनायी. उनकी लोकप्रियता के बाद राज्य में सैकड़ों क्रिकेट कोचिंग सेंटर और अकादमी खुले, जहां अभिभावकों ने अपने बच्चों को क्रिकेट सीखने के लिए भेजना शुरू किया.
धौनी के बाद ओलिंपियन तीरंदाज दीपिका कुमारी, भारतीय हॉकी टीम की पूर्व कप्तान असुंता लकड़ा, सुमराय टेटे, ओलिंपियन हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान, सलीमा टेटे ने युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का काम किया. अपने प्रदर्शन से पूरी दुनिया में परचम लहराने के बाद ये खिलाड़ी युवाओं के नायक बन गये, जिससे खिलाड़ियों की नयी पौध खेलों से अधिक-से-अधिक जुड़ने लगी. युवाओं के अभिभावकों ने भी उन्हें खेलों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया.
2011 में रांची में राष्ट्रीय खेल के लिए करोड़ों की लागत से होटवार में अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बने. इन स्टेडियमों के बनने के बाद यहां कई बड़े खेलों आयोजन हुए, जिससे यहां के युवा खेलों के प्रति आकर्षित हुए. इसके बाद राज्य सरकार ने विभिन्न जिलों में खेल मैदान उपलब्ध और खेल सेंटरों की स्थापना की.
खिलाड़ियों को मिली नौकरी : हमारे राज्य के गावों में प्रतिभा की कमी नहीं है. इन्हें आगे लाने में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी. पदक जतीने पर कैश अवॉर्ड देना, नेशनल व राज्य स्तर पर बेहतर करनेवाले खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति देने के निर्णय ने ग्रामीणों के मन में खेल के प्रति सकारात्मक सोच बनाया. राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतनेवाले खिलाड़ियों को कैश अवॉर्ड के अलावा सरकार ने नौकरी भी दी. इससे कई युवा खेल के क्षेत्र करियर बनाने के लिए गंभीर हुए हैं.
Posted By : Sameer Oraon