श्रीनगर से 215 किमी की दूरी पर हिमालय के पहाड़ी क्षेत्र में बसा है कारगिल. वर्ष 1999 में भारत सरकार को सूचना मिली थी कि पाकिस्तान ने कारगिल के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया है. इसके बाद दुश्मनों को कारगिल से खदेड़ने के लिए 26 मई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू हुआ. देश के जवानों ने शौर्य और साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को कारगिल से खदेड़ दिया. विश्व के इतिहास में कारगिल युद्ध को दुनिया के सबसे ऊंचे दुर्गम क्षेत्र में लड़ी गयी जंग के रूप में याद किया जायेगा. युद्ध में देश के 527 जवान शहीद हुए थे. जबकि करीब चार हजार पाकिस्तानी सेना जवान मारे गये थे. प्रस्तुत है वरीय संवाददाता अजय दयाल की रिपोर्ट.
कारगिल युद्ध के हीरो हवलदार विजय कुमार वर्मा ने बताया कि युद्ध के दौरान उन्होंने मौत के मंजर को नजदीक से देखा. वह उस वक्त मीडियम रेजिमेंट में थे़ वह साथियों के साथ द्रास सेक्टर कैंप में पहुंचे. पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी जारी थी. लेकिन, हमारी सेना ने हार नहीं मानी. बोफोर्स तोप और राइफल से हमला किया गया. हमारे रेजिमेंट के 12 जवान भी घायल हुए, जबकि एक जवान शहीद हो गये. 26 जुलाई को जीत के बाद सितंबर 1999 में हम सभी अपने कैंप से वापस लौट आये.
का रगिल विजय के हीरो रहे सूबेदार अभय कुमार झा विक्टर फोर्स में थे़ वह बारामूला में रह कर पाकिस्तान से हुई लड़ाई में 15 दिन तक शामिल रहे़ उन्होंने बताया कि गोला-बारूद की आवाज से पूरा इलाका दहल रहा था़ लेकिन, मन में जज्बा था कि दुश्मनों को खदेड़ कर उनकी मंशा को सफल नहीं होने देना है. युद्ध के दौरान खाने और सोने का ठिकाना नहीं था. बारी-बारी से साथी खड़े-खड़े सो लेते थे़ अभय कुमार झा ने कहा कि जब युद्ध की समाप्ति हुई, तो उन्हें 23 इन्फैंट्री डिवीजन में पोस्टिंग दी गयी.
दो माह तक कारगिल की लड़ाई चली. भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को हिमालय की आखिरी चोटी पर भी कब्जा कर पाकिस्तानी सैनिकों को मार भगाया. इसके बाद चोटी पर तिरंगा फहराया़ इस विजय के बाद इस दिन को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
मुकेश कुमार, पूर्व सैनिकों का संगठन वेटरन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ झारखंड के अध्यक्ष
Posted By: Sameer Oraon