16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड: कुड़मी समाज एक बार फिर आर-पार के मूड में, 20 सितंबर से करेगा रेल चक्का जाम, पढ़िए आंदोलन की पूरी कहानी

राजधानी रांची में टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी विकास मोर्चा द्वारा सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. पत्रकारों को संबोधित करते हुए कुरमी/कुड़मी समाज के अगुआ शीतल ओहदार ने कहा कि टोटेमिक कुरमी /कुड़मी (महतो) जनजाति देश की आजादी से पहले सशक्त जनजाति थी. 1913 और 1931 के भारतीय गजट में अंकित है.

रांची: कुरमी /कुड़मी (महतो) को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने और कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर कुड़मी समाज आर-पार के मूड में है. इसकी पूरी तैयारी हो चुकी है. टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी विकास मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने सोमवार को रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 20 सितंबर से अनिश्चितकाल के लिए झारखंड के मुरी, गोमो और घाघरा मनोहरपुर रेलवे स्टेशन पर कुड़मी समाज के महिला व पुरुष बड़ी संख्या में पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ नाचते-गाते रेल टेका यानी रेल चक्का जाम करेंगे. उन्होंने कहा कि कुड़मी जनजाति 1950 से लेकर अब तक लगातार 73 वर्षों से अपनी संवैधानिक पहचान की लड़ाई लड़ रही है और केंद्र सरकार से दो मुख्य मांगों को लेकर संघर्षरत है, लेकिन उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है. आपको बता दें कि इससे पहले भी कुड़मी समाज ने अपनी मांगों को लेकर शक्ति प्रदर्शन किया था और रेल चक्का जाम किया था. इससे काफी ट्रेनें प्रभावित हुई थीं. आश्वासन के बाद रेल चक्का जाम हटाया गया था, लेकिन इनकी मांगें पूरी नहीं की गयीं. गृह मंत्रालय के लिखित आश्वासन के बाद ही वे इस बार रेलवे ट्रैक छोड़ेंगे. इस संवाददाता सम्मेलन में मुख्य रूप से आदिवासी कुड़मी समाज के प्रवक्ता हरमोहन महतो, मोर्चा के केंद्रीय कोषाध्यक्ष सखीचन्द महतो, संरक्षक दानिसिंह महतो, मोर्चा के प्रवक्ता क्षेत्रमोहन महतो, प्रधान महासचिव रामपोदो महतो, केंद्रीय महिला अध्यक्ष सुषमा देवी, रांची जिला अध्यक्ष सोनालाल महतो, रावंती देवी समेत अन्य उपस्थित थे.

आजादी से पहले सशक्त जनजाति थी कुड़मी

झारखंड की राजधानी रांची में टोटेमिक कुरमी/ कुड़मी विकास मोर्चा द्वारा सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. पत्रकारों को संबोधित करते हुए कुरमी/कुड़मी समाज के अगुआ शीतल ओहदार ने कहा कि टोटेमिक कुरमी /कुड़मी (महतो) जनजाति देश की आजादी से पहले एक सशक्त जनजाति थी, जो 1913 और 1931 के भारतीय गजट में स्पष्ट अंकित है, लेकिन 6 सितंबर 1950 को जब जनजातीय सूची बनी तो 13 आदिम जनजातियों में कुड़मी को छोड़कर बाकी 12 आदिम जनजाति मुंडा, उरांव, संथाल, हो, भूमिज, खड़िया, घासी, गोंड, कंध, कोरवा, मालसौरिया और पान को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया गया, जबकि संविधान में उन सभी आदिम जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का उल्लेख किया गया है.

Also Read: झारखंड और बंगाल में फिर आंदोलन करेंगे कुड़मी समाज के लोग, 20 सितंबर को है रेल चक्का जाम करने की तैयारी

73 वर्षों से हक की लड़ाई लड़ रहे

शीतल ओहदार ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कुड़मी जनजाति 1950 से अब तक लगातार 73 वर्षों से अपनी संवैधानिक पहचान की लड़ाई लड़ रही है और केंद्र सरकार से दो मुख्य मांगों को लेकर संघर्षरत है. इनमें कुरमी /कुड़मी (महतो) को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने तथा कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग लगातार आंदोलन के माध्यम से की जा रही है.

Also Read: झारखंड: अपनी मांगों को लेकर आर-पार के मूड में कुड़मी समाज, 20 सितंबर को बंगाल की तर्ज पर जोरदार आंदोलन

कुड़मी समाज की संवैधानिक मांगों की की जा रही अनदेखी

शीतल ओहदार बताते हैं कि अर्जुन मुंडा के झारखंड के मुख्यमंत्री रहते 2004 में 1913 और 1938 सेंसस के आधार पर कैबिनेट से पास करके कुरमी/ कुड़मी (महतो) को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की अनुशंसा केंद्र सरकार से की जा चुकी है, किंतु वर्तमान में अर्जुन मुंडा के जनजातीय मामले के केंद्र में मंत्री होने के बावजूद कुड़मी समाज की संवैधानिक मांगों की अनदेखी की जा रही है.

Also Read: PHOTOS: कौन हैं लद्दाख मैराथन में जीत का परचम लहराने वाले 56 वर्षीय सुमन प्रसाद?

20 सितंबर से रेल चक्का जाम करेगा कुड़मी समाज

शीतल ओहदार कहते हैं कि कुड़मी समाज केंद्र सरकार से अपनी मांगों को लेकर आगामी 20 सितंबर 2023 से झारखंड के मुख्य तीन स्थान मुरी, गोमो और घाघरा मनोहरपुर रेलवे स्टेशन में अनिश्चितकाल तक रेल टेका यानी रेल चक्का जाम करेगा. इसमें लाखों की संख्या में कुड़मी समाज के महिला-पुरुष और युवा अपने पारंपरिक वेशभूषा और वाद्य यंत्रों के साथ नाचते-गाते शामिल रहेंगे.

Also Read: हिन्दी दिवस: हिन्दी के छात्रों को कहां-कहां मिल सकती है नौकरी? देश ही नहीं, विदेशों में भी है अच्छी डिमांड

आंदोलन से नुकसान की पूरी जवाबदेही केंद्र सरकार की होगी

कुड़मी समाज का यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक की विशेष सत्र में केंद्र सरकार कुरमी/ कुड़मी (महतो) को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने की चर्चा नहीं करती है अथवा गृह मंत्रालय द्वारा लिखित आश्वासन नहीं दिया जाता है. इस आंदोलन से रेलवे को आर्थिक नुकसान अथवा आम जनों की परेशानी की पूर्ण जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी.

Also Read: हिन्दी दिवस: हिन्दी के ऐसे शब्द, जिन्हें लिखने में अक्सर कर बैठते हैं गलती, बता रहे हैं डॉ कमल कुमार बोस

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें