रांची : वैश्विक महामारी का रूप धारण कर चुके कोरोना वायरस की वजह से उत्पन्न संकट के बीच झारखंड के कामगार भारतीय सेना और नौसेना के लिए बड़े मददगार बन गये हैं. बात सड़क सीमा संगठन (बीआरओ) की हो या भारतीय नौसेना की, जहां भी काम रुकता है और कामगार की जरूरत पड़ती है, उसे झारखंड की याद आती है. झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार भी इन संस्थानों की मदद के लिए अपने कामगारों को भेजने में पीछे नहीं रहती है. हां, हेमंत सरकार अपने लोगों के लिए इन संस्थानों से बेहतर डील कर रही है, ताकि कामगारों को बेहतर वेतनमान मिले, रोजगार की सुरक्षा भी मिले.
भारत-चीन सीमा पर स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प से पहले बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने झारखंड सरकार से कामगार की मांग की थी. झारखंड सरकार ने बीआरओ के साथ कामगारों के वेतनमान और उनकी सुविधाओं को लेकर एक करार किया. इसके बाद स्पेशल ट्रेनों से झारखंड के 1,648 मजदूरों को लेह-लद्दाख में काम करने के लिए भेजा गया.
अब भारतीय नौसेना के सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इसका ठेका लेने वाली कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) ने झारखंड सरकार से मदद मांगी है. एल एंड टी ने 12 जून, 2020 को हेमंत सोरेन सरकार को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें तत्काल 1,000 कामगार उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया था. कंपनी ने कहा था कि विशाखापत्तनम में नेवी के निर्माणाधीन नेवल अल्टरनेट ऑपरेटिंग बेस (NAOB) के सिविल कंस्ट्रक्शन के लिए उसे इतने लोगों की सख्त जरूरत है.
खबर है कि 2 जुलाई, 2020 को झारखंड सरकार ने कामगारों को भेजने पर सहमति प्रदान कर दी है. झारखंड सरकार के श्रम मंत्रालय के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने एल एंड टी की चिट्ठी का जवाब दिया है. इस पत्र में लिखा गया है कि सरकार अपने यहां के लोगों को विशाखापत्तनम भेजने के लिए तैयार है, लेकिन उनके काम की शर्तों के संबंध में कंपनी के साथ करार करने के बाद.
श्री एक्का ने एल एंड टी को लिखा है कि झारखंड से जितने भी लोग कंपनी के लिए काम करने विशाखापत्तनम जायेंगे, इंटरस्टेट माइग्रेंट वर्कमैन एक्ट, 1979 के तहत उन सभी लोगों को एल एंड टी अपने कामगार का दर्जा देगा. उनके हितों का ध्यान रखा जायेगा. एल एंड टी ने अपने पत्र में कहा है कि उसने कामगारों की तीन श्रेणियां (अकुशल कामगार, अर्द्धकुशल और कुशल कामगार) तय की हैं.
कंपनी ने कहा है कि अकुशल कामगारों को 16,517 रुपये प्रति माह मिलेंगे, जबकि अर्द्ध-कुशल कामगारों को 19,348 और कुशल कामगारों को 23,320 रुपये मिलेंगे. इन कामगारों को आवास, इएसआइ, पीएफ की सुविधा भी मिलेगी. इनके लिए भोजन की भी व्यवस्था की जायेगी, लेकिन इसका भुगतान उन्हें करना होगा. कंपनी ने स्पष्ट कर दिया है कि विशाखापत्तनम में इन कामगारों को बस और ट्रेन के किराये का भी भुगतान किया जायेगा.
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि चीन के हेनान द्वीप में चीन ने एक बड़ा नौसैनिक अड्डा बना रखा है. इसके जवाब में भारतीय नौसेना विशाखापत्तनम में नेवल अल्टरनेट ऑपरेटिंग बेस (NAOB) का निर्माण कर रहा है. ‘प्रोजेक्ट वर्षा’ के तहत निर्माणाधीन यह नौसेना का यह अड्डा दक्षिण चीन सागर में भारतीय नौसेना का यह सबसे बड़ा, अत्याधुनिक और करीबी नेवल बेस होगा. इसे भारतीय नौसेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यहां एक साथ दर्जनों जंगी जहाजों को डॉक किया जा सकेगा.
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न्यूक्लियर सबमरीन को दुश्मनों से बचाने के लिए अंडरग्राउंड पेन भी होगा. कहा जा रहा है कि दुश्मन की सेना इन सबमरीन का पता नहीं लगा पायेगी. एल एंड टी पिछले कुछ सालों से इस नौसैनिक अड्डा के निर्माण में जुटी है. लॉकडाउन की वजह से कामगार अपने घर चले गये हैं और कंपनी के लिए अब काम को तय समय सीमा के भीतर पूरा कर पाना मुश्किल लग रहा है. इसलिए कंपनी ने झारखंड सरकार के साथ कम से कम 3,000 कामगारों को भेजने के लिए करार किया है.
रक्षा मंत्रालय के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट और नौसेना के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा का निर्माण कार्य 31 दिसंबर, 2022 तक पूरा करना है. इसलिए जल्द से जल्द उसे श्रमिकों की जरूरत है. सूत्र बता रहे हैं कि एल एंड टी और झारखंड सरकार के बीच समझौता पत्र का मसौदा तैयार हो चुका है. जल्द ही इस पर हस्ताक्षर होंगे और झारखंड के करीब 3,000 लोगों को रोजगार मिल जायेगा.
Posted By : Mithilesh Jha