विधि विभाग ने निलंबित IAS अधिकारी पूजा सिंघल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने पर अपनी सहमति दी है. विभाग ने ईडी द्वारा भेजे गये दस्तावेज की जांच के बाद अपनी राय देते हुए लिखा है कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. विधि विभाग की राय पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री के स्तर से लिया जाना है. मुख्यमंत्री द्वारा आदेश दिये जाने के बाद पूजा सिंघल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जायेगी.
उल्लेखनीय है कि ईडी ने मारेगा घोटाले की जांच के दौरान 11 मई 2022 को सिंघल को पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया था. मामले में पहले चरण की जांच पूरी करने के बाद इडी ने पूजा सिंघल सहित खूंटी के तत्कालीन इंजीनियरों के खिलाफ मनी लाउंड्रिंग के आरोप में पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में आरोप पत्र दायर किया था. इसके बाद पूजा सिंघल व उनके पारिवारिक सदस्यों द्वारा मनी लाउंड्रिंग के सहारे अर्जित संपत्ति (पल्स डायगनोस्टिक, पल्स सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल और जमीन) को अस्थायी रूप से जब्त करने का आदेश जारी किया था. इसके बाद इडी ने पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत जांच में मिले तथ्यों को राज्य सरकार के साथ साझा किया था. इडी ने राज्य सरकार को मारेगा घोटाले में दायर आरोप पत्र और संपत्ति जब्त करने से संबंधित आदेश की प्रति सरकार को भेजी थी. साथ ही सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में कार्रवाई करने का अनुरोध किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने मदन लाल चौधरी बनाम केंद्र सरकार के मामले में अपने फैसले में यह कहा था कि इडी द्वारा पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत सूचना साझा करने पर राज्य सरकार दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. इडी द्वारा पहले चरण की जांच के बाद भेजे गये दस्तावेज में वर्णित तथ्यों के स्तर पर पूजा सिंघल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का प्रस्ताव दिया गया था. मुख्यमंत्री ने इस पर विचार विमर्श करने के बाद इस मामले में विधि विभाग की राय लेने का आदेश दिया था. मुख्यमंत्री के आदेश के आलोक में संबंधित फाइल विधि विभाग को भेजी गयी थी. विधि विभाग ने भी सही पहलुओं पर विचार करने के बाद प्राथमिकी दर्ज करने की राय दी है.
अंतरिम जमानत की अवधि समाप्त होने की वजह से पूजा सिंघल ने पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में सरेंडर कर दिया. इसके बाद न्यायालय के आदेश पर उन्हें बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया. आठ फरवरी को मनरेगा घोटाले में आरोप गठन की तिथि निर्धारित है. सुप्रीम कोर्ट में उनकी नियमित जमानत याचिका पर छह फरवरी को सुनवाई होगी. इडी ने मनरेगा घोटाले में उन्हें 11 मई 2022 को गिरफ्तार किया था. निचली अदालतों से जमानत याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. उन्होंने बेटी की इलाज के लिए जमानत की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के बाद उन्हें एक महीने की अंतरिम जमानत देने का आदेश दिया था. अदालत ने अंतरिम जमानत की अवधि में दिल्ली, बेंगलुरू या बेटी की इलाज के लिए जहां जरूरत हो वहां रहने और आने जाने की अनुमति दी थी. उन्हें मुकदमे की सुनवाई के दिन ही सिर्फ रांची में रहने की अनुमति थी. अदालत ने अग्रिम जमानत की अवधि समाप्त होने पर सक्षम न्यायालय में सरेंडर करने का निर्देश दिया था. अंतरिम जमानत की अवधि पांच फरवरी को समाप्त हो रही थी. पांच फरवरी को रविवार होने की वजह से उन्होंने शनिवार को ही सरेंडर किया.