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नमन दिवस पर रिम्स में 11 नेत्रदाता मरणोपरांत किए गए सम्मानित, भावुक हुए परिजन, अंगदान को बताया महादान

नमन दिवस के अवसर पर रिम्स में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. अपने प्रियजनों को याद करते हुए कई परिवारवाले भावुक हो गए. उन्होंने नेत्रदान करने के उनके निर्णय से जुड़ी भावनाएं व यादें साझा कीं और कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता आने से कई जिंदगियां बच सकती हैं.

रांची: झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में नेत्रदान करने वालों को सम्मान समारोह का आयोजन कर मरणोपरांत सम्मानित किया गया. स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (SOTTO) झारखंड द्वारा शनिवार को नमन दिवस मनाया गया. अंग और टिश्यू दाताओं को उनके महादान के लिए सम्मानित करने के मकसद से हर वर्ष 15 जुलाई को नमन दिवस मनाया जायेगा. रिम्स के प्रभारी निदेशक प्रो डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने 11 नेत्रदान करने वालों को मरणोपरांत सम्मानित किया. यह सम्मान उनके परिजनों ने ग्रहण किया.

अंगदान से बच सकती हैं कई जिंदगियां

नमन दिवस के अवसर पर रिम्स में सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था. अपने प्रियजनों को याद करते हुए कई परिवारवाले भावुक हो गए. उन्होंने नेत्रदान करने के उनके निर्णय से जुड़ी भावनाएं, यादें एवं जानकारी साझा की और कहा कि अंगदान के प्रति जागरूकता आने से कई जिंदगियां बच सकती हैं.

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निधन के बाद भी मेरा बेटे की आंख कोई दुनिया देख रहा है

नेत्रदान करने वाले सिद्धांत राज की मां रेणु गुप्ता ने कहा कि मेरा बेटा आज किसी दूसरे रूप में हमारे बीच में मौजूद है. वो तो चला गया पर आज उसकी आंखों से कोई और दुनिया देख रहा है. मुझे इस बात की ख़ुशी है.

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90 कॉर्निया किए जा चुके हैं ट्रांसप्लांट

रिम्स के प्रभारी निदेशक डॉ राजीव गुप्ता ने कहा कि सिर्फ नेत्र ही नहीं, बल्कि लिवर, लंग्स और अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट की सुविधा रिम्स में शुरू करने के लिए वह प्रयासरत हैं. डॉ गुप्ता के नेतृत्व में नेत्र विभाग द्वारा अब तक 90 कॉर्निया ट्रांसप्लांट किये जा चुके हैं.

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अंगदान के प्रति भ्रांतियां दूर करने की है जरूरत

रिम्स के डीन डॉ विद्यापति ने अपने सम्बोधन में कहा कि अंगदान के प्रति विभिन्न भ्रांतियां हैं, जिन्हें दूर करने के आवश्यकता है और ऐसा तभी होगा जब अंगदान को लेकर हम जागरूक होंगे. उन्होंने कहा यहां एकत्रित सभी लोग प्रेरणास्रोत हैं क्योंकि उन्होंने नेत्रदान करके किसी अजनबी को दुनिया देखने का मौका दिया है.

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अंगदान कर दें जीवनदान

रिम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हिरेन्द्र बिरुआ ने कहा कि सिर्फ नेत्रदान ही नहीं, बल्कि बाकि अंगों के दान को भी बढ़ावा देना चाहिए, ताकि किसी को जीवनदान मिल सके.

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सम्मान समारोह में नेत्रदाताओं को किया गया नमन

अंगूरी देवी शारदा, बीरेंद्र नारायण सिन्हा, चन्द्रमा देवी, छेदी मोदी किशोर, जगरण बेदिया, लखना उरांव, रानी लखोटिया, सिद्धांत राज, सुरेंद्र माहेश्वरी, उदय प्रकाश चौधरी, विकास कच्छप ने मरणोपरांत अपने नेत्र का दान कर के दूसरों की ज़िन्दगी में रोशनी लाने का सराहनीय कार्य किया है. उनके इस महादान के लिए SOTTO व रिम्स ने उन्हें सम्मान समारोह का आयोजन कर नमन किया.

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रिम्स के एनाटॉमी विभाग में है SOTTO

भारत में अंग एवं उत्तक दान व प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा राज्य अंग और उत्तक प्रत्यारोपण संगठन (SOTTO) की स्थापना की गयी है. SOTTO, रिम्स के एनाटॉमी विभाग के प्रथम तल में नेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट प्रोग्राम के तहत स्थापित किया गया है.

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आप भी कर सकते हैं अंगदान

कोई भी व्यक्ति किसी भी आयु में मस्तिष्क मृत्यु के बाद अपने अंग एवं उत्तक दान कर कई व्यक्तियों को जीवनदान दे सकता है. अंगदान के लिए शपथ लेने के लिए फॉर्म www.rimsranchi.ac.in पर उपलब्ध है.

समारोह के आयोजन में इन्होंने निभायी अहम भूमिका

कार्यक्रम में एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉ अशोक दुबे, नेफ्रोलॉजी विभाग इंचार्ज डॉ प्रज्ञा पंत, यूरोलॉजी के विभागध्यक्ष डॉ अरशद जमाल, SOTTO के नोडल पदाधिकारी डॉ राजीव रंजन व डॉ डी कुमार आदि मौजूद थे. कार्यक्रम के आयोजन में SOTTO से साल्विया शार्ली और रवि रंजन, नेत्र कोष प्रबंधक अभिमन्यु कुमार और राजकीय नेत्र अधिकोष क्षेत्रीय नेत्र संस्थान से मो शफी अहमद असलम परवेज़, चन्दन कुमार, सुमन प्रसाद साहू और तूफान कुमार ने अहम भूमिका निभाई.

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