कृषि विभाग के मृदा एवं जल संरक्षण योजना के तहत राज्य में एक साथ 71 तालाबों का जीर्णोद्धार और 184 परकुलेशन टैंक निर्माण की शुरुआत की गयी. इस अवसर पर सभी प्रखंडों में समारोह का आयोजन किया गया. मुख्य समारोह का आयोजन राजधानी के नगड़ी स्थित कृषि विभाग के प्रशिक्षण केंद्र जैसमिन में हुआ. समारोह के मुख्य अतिथि कृषि मंत्री ने कहा कि इस साल इस स्कीम के तहत 2133 तालाब का जीर्णोद्धार किया जाना है. इस पर 317 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होना है. इसके साथ-साथ पूरे राज्य में 2743 परकुलेशन टैंक का निर्माण होना है.
इस योजना पर 118 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है. सरकार चाहती है कि किसानों को पानी के कारण सूखा नहीं झेलना पड़े. पानी की कमी के कारण किसान कई सालों से सूखा झेल रहे हैं. अब तक किसी सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. राज्य में पहली बार सूखा से प्रभावित किसानों को नकद 3500 रुपये की सहायता दी गयी है. सूखा पीड़ितों को सहयोग के लिए केंद्र से पैसा मांगा गया है. जो किसानों के हित को लेकर हल्ला करते हैं, वे आज चुप हैं. पिछली सरकार ने किसानों को 400 करोड़ रुपये दिया था. हमारी सरकार ने नकद 1600 करोड़ से अधिक की सहायता राशि दी.
बीएयू के कुलपति डॉ ओंकारनाथ सिंह ने कहा कि उनका संस्थान किसानों के साथ-साथ सरकार को हर संभव सहयोग को तैयार है. बेहतर बीज और समुचित पानी मिल जायेगा, तो किसान आत्मनिर्भर हो जायेंगे. अतिथियों का स्वागत भूमि संरक्षण निदेशक अजय कुमार सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि ज्यादा पानी के ज्यादा दोहन का नुकसान भी है. मौके पर जैसमिन के सीइओ शशि भूषण अग्रवाल, जेएमटीटीसी के आरपी सिंह, जिला भूमि संरक्षण पदाधिकारी अनिल कुमार, जिला परिषद सदस्य पूनम देवी, प्रमुख मधुवा कच्छप, पंचायत समिति सदस्य शीला देवी भी मौजूद थी.
कृषि विभाग के सचिव अबु बक्कर सिद्दीख ने कहा है कि सरकार चाहती है कि किसानों को स्कीम का फायदा मिले. काम पारदर्शी तरीके से हो यह प्रयास हो रहा है. इस कारण सरकार के स्कीम में ग्राम सभा की भागीदारी है. ग्रामसभा, सिविल सोसाइटी फोरम आदि को स्कीम का वॉच डॉग होना चाहिए. उनकी जिम्मेदारी है कि वे गुणवत्ता के साथ काम करायें. राज्य के किसानों की स्थिति को देखते हुए सरकार ने अपने स्तर से केंद्रीय अनुदान में और सहयोग कर कई स्कीम में 90 फीसदी तक छूट दे रही है.
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की न हो बर्बादी : मिथिलेश ठाकुर
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि वर्तमान समय में जल सुरक्षा एक ज्वलंत मुद्दा है. एक तरह पानी के उपयोग का दायरा बढ़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ जल स्रोत सीमित होते जा रहे हैं. जल सुरक्षा को लेकर हमें ऐसी योजनाएं बनानी होगी, जिससे पानी की बर्बादी नहीं हो. सरकार ने मसलिया में 1200 करोड़ की सिंचाई योजना शुरू की है, इसमें खेत को जितने पानी की जरूरत होगी, उतना ही पानी डिस्चार्ज होगा. श्री ठाकुर शनिवार को दी इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स की ओर से अभियंत्रण भवन में जल सुरक्षा पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.
जल सुरक्षा-वर्तमान व भविष्य की चुनौती विषय पर प्रकाश डालते हुए पेयजल मंत्री ने कहा कि जल सुरक्षा को लेकर हमें अभी से सचेत होन की जरूरत है, नहीं तो आने वाली पीढ़ी एक-एक बूंद पानी को तरसेगी. जल सुरक्षा के लिए नये तकनीक की जरूरत पड़ेगी. इसमें इंजीनियर्स की भूमिका अहम होगी. बतौर विशिष्ट अतिथि कोल्हान प्रमंडल के आयुक्त मनोज कुमार ने कहा कि जल सुरक्षा को लेकर सभी विभागों, संस्थाओं के साथ स्टेक होल्डर्स को मिल कर काम करने की जरूरत है. इससे पहले बिहार के इंजीनियर रवींद्र शंकर ने गंगा नदी से बाढ़ के पानी को बोधगया व राजगीर तक पहुंचाने की योजना के बारे में जानकारी दी. राष्ट्रीय सेमिनार में विभिन्न राज्यों के 11 विशेषज्ञ जल सुरक्षा पर अपनी बातों को रखेंगे. मौके पर एमआइ आलम, माधव, शिवानंद राय व शिल्पी रंजन आदि मौजूद थे.