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तकनीकी संस्थानों का हाल : न पद सृजन, न ही शिक्षक नियुक्त 650 करोड़ के भवन पड़े हैं बेकार

रघुवर सरकार के कार्यकाल में बने तकनीकी संस्थानों का हाल

संजीव सिंह, रांची : तत्कालीन रघुवर सरकार ने वर्ष 2014-15 के बीच 650 करोड़ रुपये की लागत से चार सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज भवन बनवाये थे. बिना योजना के बनवाये गये इन भवनों से छात्रों का भला तो नहीं हुआ, लेकिन इन्हें बनानेवाली निर्माण कंपनियां और उनसे जुड़े ठेकेदार मालामाल हो गये. मजे की बात यह है कि इन भवनों को बनकर तैयार हुए तीन से पांच वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक इन्हें सरकार को हैंडओवर नहीं किया गया है. उपयोग नहीं होने की वजह से उक्त भवन जर्जर होते जा रहे हैं. वहीं, विभागीय शिथिलता के कारण इन कॉलेजों में शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए अब तक पद सृजन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पायी है. फिलहाल इनमें से कई भवनों का इस्तेमाल कोविड सेंटर के रूप में किया जा रहा है.

जानकारी के अनुसार, तत्कालीन सरकार ने चार इंजीनियरिंग कॉलेज कोडरमा, गोला, पलामू और जमशेदपुर में बनवाये थे. वहीं, आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज खूंटी, लोहरदगा, चतरा, पलामू, हजारीबाग, बगोदर, गोड्डा व जामताड़ा में बनवाये गये थे. एक इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन की निर्माण लागत लगभग 100 से 125 करोड़ रुपये और एक पॉलिटेक्निक कॉलेज के भवन की निर्माण लागत लगभग 25 से 30 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. वहीं कई कॉलेजों का एस्टीमेट भी बढ़ता गया. हजारीबाग पॉलिटेक्निक कॉलेज का एस्टीमेट 28 करोड़ से बढ़कर 52 करोड़ रुपये हो गया.

वर्ष 2014 से 2015 के बीच हुआ है झारखंड में चार इंजीनियरिंग व आठ पॉलिटेक्निक कॉलेजों का निर्माण

इसलिए बनाये गये कॉलेज

1. झारखंड के विद्यार्थी तकनीकी शिक्षा के लिए दूसरे राज्य नहीं जायें

2. रोजगार का सृजन हो, शिक्षकों और कर्मचारियों की नियुक्ति हो सके

1. न शिक्षकों के पदों का सृजन हुआ और न ही नियुक्तियां की गयीं

क्यों बेकार पड़े हैं भवन

1. न शिक्षकों के पदों का सृजन हुआ और न ही नियुक्तियां की गयीं

2. अब तक सरकार को कॉलेज के भवन हैंडओवर नहीं किये गये

आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज

1. खूंटी, लोहरदगा, चतरा, पलामू, हजारीबाग, बगोदर, गोड्डा व जामताड़ा में

2. 25 से 30 करोड़ है एक पॉलिटेक्निक कॉलेज के भवन की निर्माण लागत

240 से 300 विद्यार्थियों का नामांकन होना था

जमशेदपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में 240 सीटों पर विद्यार्थियों का नामांकन होना है, जबकि अन्य तीनों कॉलेजों में 300-300 विद्यार्थियों का नामांकन होना है. यूजीसी व एआइसीटीइ के नियमानुसार 20 विद्यार्थी पर एक शिक्षक की नियुक्ति की जानी है. इस तरह इंजीनियरिंग कॉलेज में (एक साल में 1200 विद्यार्थियों पर 60 शिक्षक) लगभग 225 शिक्षकों व 250 कर्मचारियों की नियुक्ति होनी है. इसी प्रकार पॉलिटेक्निक कॉलेज में 25 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की नियुक्ति की जानी है. आठों पॉलिटेक्निक कॉलेजों में लगभग 300 शिक्षक व 325 कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी है.

तकनीकी संस्थानों की स्थिति : झारखंड में कुल 16 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. इनमें बीआइटी सिंदरी सहित दो सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. वहीं, पीपीपी मॉडल पर तीन और 11 निजी इंजीनियरिंग कॉलेज हैं. 42 पॉलिटेक्निक कॉलेज हैं. इनमें 17 सरकारी कॉलेजों में स्थायी प्राचार्य तक नहीं हैं. जेपीएससी से अनुशंसा भी हुई, लेकिन नौ माह से किन्हीं की पदस्थापना नहीं हो सकी. इनमें से कई उम्मीदवार ऐसे हैं, जो प्राचार्य पद के लिए निर्धारित मापदंड पूरा नहीं कर पा रहे हैं.

मामला संज्ञान में है, शीघ्र पहल : चार इंजीनियरिंग कॉलेज और आठ पॉलिटेक्निक कॉलेज का मामला संज्ञान में है. कोविड-19 के कारण भवन हैंडअोवर नहीं लिया जा सका है. शीघ्र ही इस दिशा में कार्रवाई होगी. जहां तक संचालन की बात है, तो इसे चालू करने की दिशा में निर्णय प्रक्रियाधीन है. निदेशालय, विभाग व सरकार के स्तर पर प्रक्रिया के तहत शीघ्र ही निर्णय लिये जाने की उम्मीद है.

-डॉ अरुण कुमार, निदेशक, तकनीकी शिक्षा

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