विधायक सरयू राय ने ‘प्रभात संवाद’ कार्यक्रम में कहा : निर्दलीय विधायक के रूप में इतनी स्वतंत्रता है कि किसी दल के अनुशासन का चाबुक नहीं चलता है. अकेले होने का एक नुकसान भी है, जैसे कहा गया है कि अकेला चना भांड नहीं फोड़ता है़ विधानसभा में बड़ी मुश्किल से स्पीकर साहेब एक मिनट-दो मिनट का समय देते हैं. ये दोनों मिला-जुलाकर जो अनुभव है, उसमें एक विधायक के नाते ज्यादा स्वतंत्र महसूस करता हूं. श्री राय ने निर्दलीय चुनाव लड़ने की परिस्थिति और रघुवर दास से दूरी को लेकर पूरी कहानी साझा की.
उन्होंने बताया कि दोनों के बीच दूरी कम करने की पहल 2013 में सांसद निशिकांत दुबे ने की. फिर अपनी नाराजगी को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर अमित शाह से मिले. श्री राय ने ‘प्रभात संवाद’ कार्यक्रम में बड़ा एलान किया़ कहा कि भविष्य में चुनाव लड़ने की परिस्थिति बनी, तो जमशेदपुर पूर्वी से ही लड़ेंगे. उन्होंने साफ कहा कि पार्टी बना लेना आसान है, उसको चलाना बहुत कठिन. पार्टी चलाने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण बाबूलाल मरांडी जी हैं. पांच-सात एमएलए जीत जाते हैं, उनका शिकार हो जाता है. बहुत करके मैं भी दो-चार विधायक ले आऊंगा और बाद में बाबूलाल जी जैसी हालत मेरी भी हो जायेगी.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा : पता है कि मेरे विरोधियों ने मेरे बारे में निगेटिव राजनीति करनेवाले की धारणा बना रखी है. मगर निगेटिव क्या है? अगर कोई काम गलत हो रहा है़, उस काम को उठाइये और कोई गलत कर रहा है, तो उसको सामने लाने का प्रयास हो. अगर यह निगेटिव है, तो मैं निगेटिव हूं. उन्होेंने कहा कि हमने हर गलत काम करनेवाले को रोका है. अपने ही दल के सीएम के खिलाफ बोला हूं. हर लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाया है. श्री राय ने पशुपालन, मधु कोड़ा लूट कांड और रघुवर दास सरकार के घोटाले पर बात की. उन्होंने कहा कि मैं ही सब कर लेता हूं, यह वाहवाही नहीं ले सकता.
मैं एक औजार बनता हूं, हथियार बनता हूं. किसी मुद्दे को उठाता हूं और उसे अंजाम तक ले जाने का प्रयास करता हूं. यह पूछे जाने पर कि झारखंड के किस मुख्यमंत्री से आपकी बनी या आप किसके कार्यकाल को बेहतर कहेंगे? उन्होंने कहा कि दो शुरुआती मुख्यमंत्री हुए. बाबूलाल जी और मुंडा जी. इनसे घनिष्ठता थी. ये जब कार्यकर्ता थे, तब मैं पार्टी का पदाधिकारी था. इन दोनों के बारे में कोई पूछता है, तो यह कहता हूं : बाबूलाल इज द फर्स्ट लव और अर्जुन मुंडा नेक्स्ट च्वाइस. दोनों से संबंध अच्छे रहे, लेकिन इनकी भी जो गलतियां थी, उसे मैंने उठाया. इसके कारण मेरे दोनों से मतभेद हुए, तो मैं किनारे हो जाता था.
हेमंत सोरेन से व्यक्तिगत रूप से बहुत स्नेह और प्रेम है़ हेमंत सोरेन में कई विशेषताएं हैं. वह व्यवहार कुशल हैं, लेकिन जो चीजें हो रही हैं, उससे मैंने उन्हें अवगत कराया है. विधानसभा में भी मामले उठाये हैं. मैंने विधानसभा में भी हेमंत सोरेन जी से कहा है कि दो-तीन फाइलों में गलत हुआ है, उसको ठीक करा लीजिए. श्री राय ने कहा कि प्रेम प्रकाश और विशाल चौधरी जैसे लोग रघुवर सरकार में थे. लेकिन तब राजबाला वर्मा थीं. इस वजह से इन पर थोड़ा नियंत्रण था. रघुवर सरकार में गलत करनेवाले प्रोबेशन पर थे, उसे हेमंत सोरेन ने नियोजित कर लिया.