अनुपा कुजूर
नागपुरी भाषा विभाग, जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा, रांची विश्वविद्यालय, रांची
धूमकुड़िया संसकिरिति आदिवासी समाज कर एगो अनोखा संस्कृति हेके. जे हिया बहुत पहिले से ईकर जनजाति समाज में परचलन हय. छोड़ा आऊर छोड़ी मन कर अलग अलग युवागिरी रहेला. युवागिरी के उरांव जनजाति में धूमकुड़िया, मुंडा में गीतिओडा नाम से जानल जाय ला. उरांव जनजाति में छोड़ा मन कर युवागिरी के जोंग एड़पा आऊर छोड़ी मन कर युवागिरी के पेल एड़पा नाम से जानल जायल. आऊर आम तौर में युवागिरी नाम से जानल जायला. जानेक चाही की ई संसकिरिति आदिवासी समाज के बनाय राखेक कर बहुत बेस संसकिरिति लागे. जहां आदिवासी छउवा मन आपन समाज में परचलित जिनगी जिएक से मरेक तक कर आपन परंपरा के बताल जायला.
धुमकुड़िया आदिवासी समाज का ह्रदय हेके. धुमकुड़िया में गावों कर हरेक अदमी के चाहे उ छोड़ा हो चाहे छोड़ी, चरितर, व्यवहारिक गेयान आऊर आदिवासी परम्परा के बनाय राखेक जानकारी देवेक कर स्थान हय. हियां ई भी जानेक चाही की आदिवासी युवक आऊर युवती कर समूह के धरम, निति, कर्तव्य पालन, अनुशासन, सहयोग, एकता कर बारे में शिक्षा देवेक, उके पूरा रूप से सहजोग करेक आऊर उकर देख-भाल करेक कर पूरा दायित्व धुमकुड़िया कर हय. ईकर अलावे, पुरखा कर सत्कार करेक, बड़ मन कर आदर-सत्कार करेक, व्यावहारिक बनाएक, एक बात में कहेक सोब बालक-बालिका के चरित्रवान बनायके उके समाज कर अमूल सम्पति बनायक धुमकुड़िया कर मुख आदरस हेके.
आईज कर भाग-दौड़ कर आधुनिकता में धुमकुड़िया का असितत्व खतम होवेक कगार हय. निहि तो ई या कहल जाय तो ई संस्कृति एगदम खतम होते ज़ात हय.
धूमकुड़िया संसकिरिति में शादी ज़ईसन संस्कार के आपन निजी जीवन में अमल करेक बात बताल ज़ात रहे. जेकर से आदिवासी समाज आपन एगो अलग पहचान से जानाल ज़ात रहे. आऊर एगो नावा जोड़ी आपन जीवन के बेस लखीर बितात रहयं. मुदा आईज ईसन स्थिति हय, की जहां हर आदिवासी गांव में एगो युवा गिरी होवेक चाही. मुदा आब बहुत कमे गांव में युवा गिरी देखेक ले मिलेल. जे एगो आदिवासी समाज कर ले बहुत चिंता कर विसय हेके.
आईज अईसन परिस्थिति बईन जा हे की आदिवासी समाज कर नावा युवा पीढ़ी आपन छउवा मन के तो युवा गिरी भी नी भेजयना. तो छउवा मन जानबय कईसे. का आब ई बेरा में ई संसकिरिति कर आदिवासी समाज में परभाव हय? हय. मुदा बहुत कम. आईज कर तो नावा परिया कर युवा मन ईके ख़ाली नाम ले जानयना. आऊर ई संस्कृति से अवगत नी रहेक चलते आईज आदिवासी समाज में कय तरह कर सामाजिक बुराई कर सिकार होते ज़ात हय.
आदिवासी समज के बचाएक ख़ातिर आखरा धूमकुड़िया संस्किरिती के बचाना जरूरी हय. निहि तो आवे वाला बेरा में आदिवासी संस्किरिती कर समाप्ति नाजईर देखते बनत हय. काले की अगर आइज आदिवासी कर अगर कोनो पहचान हय तो उ अलग संस्किरिती, खान पान, रहन सहन, पहनावा, आऊर धूमकुड़िया जइसन संस्किरिती से होवेला. इ संस्किरीती कर समाप्त होना आदिवासी मन खातिर बड़ चिंता कर कारन हय.