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AI टूल्स से काम करना हुआ आसान, BIT मेसरा के प्रोफेसर ने कहा – डाटा सेट से बेसिक एल्गोरिदम होता है तैयार

लोग AI टूल्स की मदद से राइटिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, ट्रांसक्रिप्शन, सोशल मीडिया, सेल और मार्केटिंग के काम कर रहे हैं. इससे लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ रही है. बीआईटी मेसरा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभिजीत मुस्तफी ने बताया कि एआइ एक कृत्रिम तरीके से विकसित की गयी बौद्धिक क्षमता है.

बदलते दौर में तकनीक ने कार्यशैली को बदलने का काम किया है. मौजूदा दौर कंप्यूटर साइंस, मशीन लर्निंग और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का है. इसके दम पर एक घंटा का काम चंद मिनटों में पूरा हो रहा है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) एक खास स्वरूप में सामने आया है. जो खास प्रॉम्प्ट यानी कमांड पर काम कर रहा है. इससे तय लक्ष्य तक की-वर्ड के सहारे पहुंचाना आसान हुआ है. वहीं, एआइ लैस एप्लिकेशन अब टूल्स के रूप लोगों की मदद के लिए तैयार हो चुके हैं. इससे लोगों का काम आसान बन रहा है. लोग एआइ टूल्स की मदद से राइटिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट, ट्रांसक्रिप्शन, सोशल मीडिया, सेल और मार्केटिंग के काम कर रहे हैं. इससे लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ रही है.

ए आई टूल्स से अब लोगों का काम आसान होने लगा है. देश-विदेश की टॉप सॉफ्टवेयर कंपनियां एआइ टूल्स के निर्माण में जुटी हैं. इनमें गूगल क्लाउड से लेकर टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (टीसीएस), इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजी और टेक महिंद्रा जैसी भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं. विकसित होते एआइ टूल्स की मदद से विभिन्न संस्थान की प्रोडक्टिविटी यानी उत्पादन क्षमता को लाभ मिल रहा है. यह टूल्स इंटरनेट पर लोगों के लिए मौजूद है, जिसका ट्रायल लेकर लोग अपना काम कर रहे हैं. टूल्स का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को केवल अपना लॉगइन तैयार करना होगा.

डाटा सेट से बेसिक एल्गोरिदम होता है तैयार

बीआईटी मेसरा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अभिजीत मुस्तफी ने बताया कि एआइ एक कृत्रिम तरीके से विकसित की गयी बौद्धिक क्षमता है. इसे तैयार करने के लिए कंप्यूटर लैंग्वेज की जरूरत है. इस क्रम में ट्रेनिंग और जेनरेशन प्रक्रिया से गुजरना होता है. ट्रेनिंग सेशन में सॉफ्टवेयर खुद-ब-खुद काम करे, इसके लिए संबंधित विषय से जुड़े असंख्य मेमोरी या डाटा सेट (दस्तावेज) को फीड करने की जरूरत होती है. वहीं, जेनरेशन सेशन में टूल्स काम कर सके, इसके लिए खास डाटा का पैटर्न तैयार किया जाता है. इसे तकनीकी भाषा में बेसिक एल्गोरिदम कह सकते हैं. सॉफ्टवेयर में उपलब्ध कराये गये डाटा के लिए प्रॉम्प्ट यानी कमांड (की-वर्ड) तय किये जाते हैं. इसका लाभ टूल्स के इस्तेमाल में मिलता है. प्रॉम्प्ट विषय संबंधी सभी जानकारी का आंकलन स्वत: करता है और व्यक्ति को उसकी जरूरत के अनुसार विकल्प देता है. यह विकल्प पूर्व से फीड किये गये डाटा के विश्लेषण के आधार पर उपलब्ध कराये जाते हैं.

इन टूल्स की मांग ज्यादा

  • स्लैक जीपीटी : यह यूजर्स को कंटेंट ड्राफ्ट करने में मदद करता है. साथ ही दो लोगों के बीच की बातचीत को सारांश में बदल सकता है. इस टूल का लाभ लेखनी के क्षेत्र से जुड़े लोगों को मिलेगा. साथ ही यह संवाद को बेहतर बनाने में मददगार है.

  • कोडियम : इस टूल को खासतौर पर कोडिंग के लिए तैयार किया गया है. इंटरनेट पर यह नि:शुल्क है. यूजर इसकी मदद से आसानी से कोड जेनरेट कर सकेंगे. कोडियम को 40 से अधिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का सपोर्ट मिला हुआ है. इसमें सी प्लस-प्लस, गो, जावा, जावा स्क्रिप्ट, रस्ट, पाइथन और पीएचपी जैसे कोडिंग लैंग्वेज शामिल हैं.

  • ब्रिफ्लाइ एआइ : इस टूल को मीटिंग के बाद के काम को आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया है. इससे मीटिंग के बाद यूजर्स को जरूरी नोट्स और एक्शन लिस्ट बनाने में मदद मिलेगी. सॉफ्टवेयर में खास चैटबॉट को शामिल किया गया है, जो रिपोर्ट और इनवेस्टमेंट मेमो तैयार करने में भी मदद करता है.

  • ओपस क्लिप : यह एक एआइ जेनरेटिव वीडियो टूल है. इसकी मदद से बड़े वीडियो को हाई-क्वालिटी वाले वायरल क्लिप में बदला जा सकता है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब रिल्स या शॉर्ट्स तैयार करने में लोग अब इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑनलाइन वीडियो तैयार कर यूजर्स को शेयर का भी विकल्प मिल रहा है. इससे यूजर कम समय में ज्यादा वीडियो तैयार कर अपने सोशल मीडिया रीच को बढ़ा रहे हैं.

  • साउंड ड्रॉ : इस एआइ टूल को म्यूजिक लवर्स के लिए तैयार किया गया है. टूल की-वर्ड के आधार पर नया म्यूजिक तैयार करने में मदद करता है. इसे लोग अपने वीडियो में इस्तेमाल कर कॉपीराइट क्लेम से बच सकेंगे.

  • मिडजर्नी : इस टूल का इस्तेमाल कर किसी भी फोटो को क्रिएटिव फोटो में बदला जा सकता है. यूजर्स को केवल फोटो काे क्रॉप या बेहतर कंपोजिशन में उपलब्ध कराना होगा. टूल की मदद से फोटो को प्रोफेशनल एडिटिंग टच भी मिलेगा.

  • स्लाइड्स एआइ : वर्किंग प्रोफेशनल्स जिन्हें अक्सर अपने काम का प्रेजेंटेशन देना होता है, उनके लिए यह टूल सहायक होगा. इस टूल की मदद से पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के स्लाइड को अपनी पसंद के आधार पर तैयार कर सकेंगे.

युवाओं के सामने बड़ी चुनौती

एआइ टूल्स के इस्तेमाल में आने से युवाओं के बीच रोजगार का संकट भी बन रहा है. हाल के दिनों में कई संस्थानों ने एआइ को अपनाया. इससे काम तो आसान हुआ, पर इसका सीधा असर संस्था में कार्यरत कार्यबल पर पड़ा है.

केस स्टेडी- 1

दिल्ली की एक इ-कॉमर्स स्टार्टअप कंपनी ने इसी माह अपनी संस्था से 90 प्रतिशत कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. इसका कारण था कि पहले जहां संस्था के विभिन्न काम को करने के लिए लोगों की मदद ली जा रही थी, अब वह काम एआइ आधारित चैटबॉट करेगा. इससे ग्राहकों की समस्या कम समय में निपटाने का दावा किया गया.

केस स्टेडी- 2

इसी माह हॉलीवुड के कर्मचारियों ने बड़ी संख्या में हड़ताल की थी. कारण था एआइ का कार्य बल पर हावी होना. बता दें कि हॉलीवुड की कई प्रोडक्शन कंपनियों ने स्क्रिप्ट राइटर, एडिटर समेत कई तकनीकी कर्मचारियों को इसलिए हटा दिया, क्योंकि कर्मचारी एक काम को करने में जितना समय ले रहे थे, वहीं एआइ टूल कम समय में काम पूरा कर रहा था.

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