15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फूलों की खेती कर पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का सिपाही बन रहे झारखंड के युवा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान ने देश भर में जनांदोलन का रूप ले लिया है. झारखंड के युवा भी इसमें सहभागी बन रहे हैं. राजधानी रांची के अनगड़ा प्रखंड के हेसातु गांव का एक युवा किसान फूलों की खेती कर रहा है. उसने कई लोगों को रोजगार भी दिया है. इस युवा किसान ने खुद को पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ आंदोलन का एक सिपाही बताया है.

रांची : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान ने देश भर में जनांदोलन का रूप ले लिया है. झारखंड के युवा भी इसमें सहभागी बन रहे हैं. राजधानी रांची के अनगड़ा प्रखंड के हेसातु गांव का एक युवा किसान फूलों की खेती कर रहा है. उसने कई लोगों को रोजगार भी दिया है. इस युवा किसान ने खुद को पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ आंदोलन का एक सिपाही बताया है.

रांची जिला के दुबला बेड़ा गांव के इस युवा किसान का नाम है श्याम सुंदर बेदिया. श्याम सुंदर ने घर-आंगन से लेकर मंदिर और अमीर लोगों की बालकनी की शोभा बढ़ाने वाले फूलों की खेती शुरू की. बचपन में शौक से शुरू की गयी फूलों की खेती को बाद में उसने अपना रोजगार बना लिया.

बागवानी मिशन के सहयोग से श्याम सुंदर ने राजस्थान में जाकर फूलों की खेती का प्रशिक्षण लिया. वहां से लौटने के बाद इस युवा किसान ने बड़े पैमाने पर फूलों कि खेती शुरू की. आज वह लगभग 13 एकड़ जमीन पर फूलों की खेती कर रहे हैं. इतने बड़े पैमाने पर खेती करने वाले श्याम सुंदर ने 20-25 लोगों को इस काम के लिए नौकरी दी है.

Also Read: बुजुर्गों पर कहर बनकर टूटा कोरोना, आपको हैरान कर देंगे Covid-19 से झारखंड में मौत के ये आंकड़े

श्याम सुंदर बेदिया न केवल खेती करके लोगों को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि अन्य किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. उनके यहां काम करने वाले लोग बेहद खुश हैं. ये गांव के ही लोग हैं, जिन्हें अपने गांव में ही या गांव के आसपास ही रोजगार मिल गया है. उन्हें नौकरी करने के लिए अपने परिवार को छोड़कर कहीं दूर नहीं जाना पड़ता.

किसान का फार्म हाउस बना टूरिस्ट प्लेस

युवा किसान श्याम सुंदर बेदिया के फार्म हाउस को कुछ लोग टूरिस्ट प्लेस भी मानते हैं. उसके फूलों की डिमांड काफी अधिक है. रांची में तो वह सप्लाई करता ही है, पड़ोसी जिलों रामगढ़, धनबाद तक उसके फूलों की बिक्री होती है. इतना ही नहीं, पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में भी श्याम सुंदर के फूल बिकते हैं. महज 27 साल की उम्र के इस युवा किसान ने अन्य युवाओं के सामने खेती और स्वरोजगार के क्षेत्र में एक मिसाल पेश की है.

फूलों की खेती में चुनौतियां भी कम नहीं

फूलों की खेती करने वाले किसानों की चुनौतियां भी कम नहीं हैं. कई बार ऐसा होता है कि गुलाब, जड़बेरा समेत अन्य फूल खिलकर तैयार हो जाते हैं, लेकिन उनका खरीदार नहीं होता. ऐसे में ये फूल धीरे-धीरे खराब हो जाते हैं और किसानों को इन्हें फेंकना ही पड़ता है. कई किसान ऐसे हैं, जो इस्राइल में प्रशिक्षण लेकर लौटे हैं. रंग-बिरंगे गुलाब और जड़बेड़ा की फसल तैयार करते हैं.

सरकारी मदद नहीं मिली, तो छोड़ देंगे खेती

कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जब देश भर में लॉकडाउन लगा, तो मंदिर से लेकर शादी-ब्याह तक पर पाबंदी लग गयी. आलम यह हुआ कि इनकी फसल का खरीदार कोई नहीं रहा. श्याम सुंदर का कहना है कि यदि सरकार ने इन लोगों की मदद नहीं की, तो फूलों की खेती इन्हें छोड़ देनी होगी.

Also Read: Weather Forecast: झारखंड से मानसून के लौटते ही बढ़ेगी ठंड, जानें कितना गिरने वाला है तापमान

श्याम सुंदर बेदिया और सुनील बेदिया जैसे युवा किसानों के खेतों में हर दूसरे दिन 200 से 250 फूल खिलते थे. इन्हें खेत से ही 5 से 7 रुपये की दर से फूल व्यवसायी खरीद लेते थे. लॉकडाउन में इन फूलों का कोई खरीदार न रहा. कृषि पदाधिकारी कहते हैं कि कैसे इन लोगों मदद की जा सकती है, इसका रास्ता खोजा जा रहा है. इन फूल उत्पादकों के नुकसान की भरपाई फसल बीमा से भी नहीं हो सकती, क्योंकि अभी तक बीमा कंपनियां फूलों का बीमा नहीं करतीं.

गुलाब जल या गुलकंद भी नहीं बना सकते

किसानों का कहना है कि जब बिक्री बंद हो गयी, तो लोग चाहकर भी इससे गुलकंद नहीं बना सकते थे. शादी और अन्य आयोजनों के लिए डच रोज की मांग अधिक होती है, जबकि गुलकंद देशी गुलाब से बनता है. इससे गुलाब जल बनाने की पद्धति किसानों को नहीं मालूम. ऐसे में किसानों के सामने इन फूलों को फेंकने के अलावा कोई और चारा नहीं रह जाता है.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें