महाशिवरात्रि पर इस साल 300 साल बाद पांच दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो जनमानस के लिए बेहद लाभकारी बताए जा रहे हैं. चूंकि सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. इस बार यह पर्व पांच दुर्लभ संयोगों के साथ 8 मार्च को मनाया जाएगा. इस साल महाशिवरात्रि के साथ शुक्र प्रदोष व्रत का अद्भुत संयोग बन रहा है.
प्रदोष व्रत के अलावा इस दिन शिव योग, सिद्ध योग और चतुर्ग्रही योग का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो भी भक्त व्रत रखकर पूरे मन से विधिपूर्वक पूजा-पाठ करेंगे, भोले नाथ उनकी सारी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी करेंगे. सभी व्रत-पर्व में प्रदोष व्रत की बहुत मान्यता है. दोनों पक्षों की, त्रयोदशी तिथि के समय शाम को प्रदोष कहा गया है.
मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव प्रदोष काल के समय कैलाश पर्वत स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत का संयोग सौभाग्य और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला होता है. इस दिन व्रत करने वालों को महाशिवरात्रि और शुक्र प्रदोष व्रत दोनों के लाभ प्राप्त होंगे.
शुभ मुहूर्त में पूजन से होगी भगवान शिव की कृपा
महाशिवरात्रि का पूजन शुभ मुहूर्त में की जाए तो यह विशेष महत्व का हो जाता है. 08 मार्च की सुबह 04.46 से 09 मार्च की प्रातः 12.46 तक शिव योग रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन शुक्र प्रदोष व्रत और शिव योग भी रहेगा. शिव योग पर महादेव का प्रभाव होता है, इस दौरान शिव जी की पूजा कर ली जाए तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती है.
वहीं शुक्र प्रदोष के प्रताप से लक्ष्मी जी प्रसन्न होंगी धन प्राप्ति की राह आसान होगी. महाशिवरात्रि में शिव पूजा निशा काल और रात्रि के चारों प्रहर में विशेष फलदायी होती है. ऐसे में इस दौरान 09 मार्च को रात्रि 12:46 से सुबह 08:32 बजे तक सिद्ध योग भी बन रहा है, जिसमें शिवलिंग की पूजा का दोगुना फल मिलेगा.
शिवरात्रि के दिन यह है वर्जित
- महाशिवरात्रि के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए
- देर रात तक नहीं सोना चाहिए
- इस दिन दाल, चावल या गेहूं से बने भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
- काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए
- इस दिन भगवान शिव को चढ़ाया गया प्रसाद नहीं खाना चाहिए
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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