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Akshaya Tritiya 2020, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Timings, Gold Rate: आज अक्षय तृतीया पर 23 साल बाद अनोखा महासंयोग, जानिए पूजा विधि, कथा, आरती और लक्ष्मी मंत्र

Akshaya Tritiya 2020, Puja Vidhi, Shubh Muhurat Timings, Gold Rate: हिन्दू पंचांग के अनुसार बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. हिन्दू धर्म में इस दिन का काफी महत्व है और इस तिथि को बेहद मंगलकारी माना गया है. इस दिन किसी भी मंगल कार्यों को बिना किसी मुहूर्त देखे किया जाता है क्योंकि इस दिन के सारे मुहूर्तों को शुभ माना गया है.इस दिन सोना या इससे बने आभूषण को खरीदना शुभ माना जाता है.आइये जानते हैं अक्षय तृतीया से जुड़ी तमाम मान्यताएं व इसका महत्व.

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महालक्ष्मी के इन मंत्रों का करें जाप

।। ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।

।। ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: ।।

।। ॐ सर्वाबाधा विर्निमुक्तो धनधान्यसुतान्वित:, मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ।।

सोना का आज दाम्पत्य जीवन से है नाता

सोना का आध्यात्मिक व आर्थिक दोनों महत्व है.सोना को धन की देवी लक्ष्मी का प्रतीक व ग्रहों के राजा सूर्य की प्रतिनिधि धातु माना गया है.इसलिए सोना धारण करने से सूर्य व गुरु दोनों ग्रहों की कृपा होती है.इससे दाम्पत्य जीवन भी खुशहाल रहता है.इसलिए विवाह में सोना उपहार में दिया जाता है.सोना धारण करने से कई रोगों से भी छुटकारा मिलता है.

सोने की खरीदारी का है आज विशेष महत्व 

अक्षय तृतीया के दिन दान-पुण्य के साथ -साथ सोने की खरीदारी का भी विशेष महत्व है.ऐसी मान्यता है की अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.यह माना जाता है कि आज के दिन सोना खरीदने से भविष्य में धन की कमी नहीं होती है .इसलिए इस दिन सोना खरीदा जाता है .शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्य का तेज काफी रहता है और धरती पर इसकी किरणें काफी तेज के साथ आती है.इसलिए इस दिन सोना की खरीदारी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है.आज सोना खरीदकर घर लाने से भगवान श्रीहरि व देवी लक्ष्मी का घर में निवास करना माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि आज तृतीया के दिन धन के देवता कुबेर भगवान भोलेनाथ की आराधना करते थे और महादेव प्रसन्न होकर उन्हें सोना देते थे.

बिल्व वृक्ष के दर्शन का महात्म्य

कहने को बिल्व एक वृक्ष है लेकिन इसका महात्म्य असीम है.यह जहां होता है उस जगह को तीर्थ के समान दर्जा मिल जाता है.वहीं वाराणसी व शिव का निवास है. इसका पत्र ब्रह्मा, विष्णु, शिवात्मक है तथा फल गोरोचन सहित जगतमाता लक्ष्मी का वक्षरूप है.अक्षय तृतीया को ही यह पवित्र वृक्ष श्रीशैल पर पहली बार आया.जिसके दर्शन से सभी देवता निहाल हो गए.आमजन भी इसके दर्शन से पुण्य के भागी बनते हैं.

तुलसीपत्रों से श्रीहरि की पूजा

वैशाख का एक नाम माधव भी है,जो श्रीहरि का ही वाचक है.यह मास कार्तिक एवं माघ के माहात्म्य के समान ही पावन है.इसमें प्रातः काल में स्नान एवं तुलसी-पत्रों से भगवान की पूजा को विशेष पुण्यप्रद माना गया है.

आज के दिन करें इन चीजों का दान तो मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा

आज के दिन ठंडी चीजें जैसे- जल से भरे घड़े, कुल्हड़, पंखे, छाता, खरबूजा, ककड़ी,सत्तू आदि का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.

धन प्राप्ति के लिए इस मंत्र को पढ़कर करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न

'ॐ श्रीं श्रियै नम:।।'

'ॐ कमल वासिन्यै श्रीं श्रियै नम:।।'

इन मंत्रों को पढ़कर करें भगवान विष्णु को आज प्रसन्न

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:

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श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।

हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

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ॐ नारायणाय विद्महे।

वासुदेवाय धीमहि।

तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ॐ विष्णवे नम:

आज अपनी राशि के अनुसार पढ़ें ये मंत्र

- मेष राशि और मंत्र - ॐ सृष्टि रूपायै नमः।

- बृषभ राशि और मंत्र - ॐ शक्ति रूपायै नमः।

- मिथुन राशि और मंत्र - ॐ अन्नपूर्णायै नमः।

- कर्क राशि और मंत्र - ॐ वेद रूपायै नमः।

- सिंह राशि और मंत्र - ॐ गौर्यै नमः।

- कन्या राशि और मंत्र - ॐ काल्यै नमः।

- तुला राशि और मंत्र- ॐ शंकरप्रियायै नमः।

- वृश्चिक राशि और मंत्र - ॐ विश्वधारिण्यै नमः।

- धनु राशि और मंत्र - ॐ पार्वत्यै नमः।

- मकर राशि और मंत्र- ॐ उमायै नमः।

- कुम्भ राशि और मंत्र- ॐ कोटर्यै नमः।

- मीन राशि और मंत्र- ॐ गंगादेव्यै नमो नमः।

 आज पढ़ें यह लक्ष्मी चालीसा, होगी सौभाग्‍य की प्राप्ति

॥ दोहा॥

मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।

मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥

॥ सोरठा॥

यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं।

सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही।

ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥

श्री लक्ष्मी चालीसा

तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥

जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा॥1॥

तुम ही हो सब घट घट वासी। विनती यही हमारी खासी॥

जगजननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥2॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी॥

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥3॥

कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी। जगजननी विनती सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥4॥

क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभु बनि दासी॥5॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रुप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥6॥

तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

अपनाया तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥7॥

तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी। कहं लौ महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन इच्छित वांछित फल पाई॥8॥

तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मनलाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करै मन लाई॥9॥

ताको कोई कष्ट नोई। मन इच्छित पावै फल सोई॥

त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी॥10॥

जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै। ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥

ताकौ कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥11॥

पुत्रहीन अरु संपति हीना। अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥12॥

पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥13॥

बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माही। उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं॥14॥

बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करै व्रत नेमा। होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा॥15॥

जय जय जय लक्ष्मी भवानी। सब में व्यापित हो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं॥16॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥

भूल चूक करि क्षमा हमारी। दर्शन दजै दशा निहारी॥17॥

बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी। तुमहि अछत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥18॥

रुप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई॥19॥

॥ दोहा॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास।

जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर।

मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर॥

इस आरती को पढ़कर करें मां लक्ष्मी काे प्रसन्न

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निस दिन सेवत हर-विष्णु-धाता॥ ॐ जय…

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय…

तुम पाताल-निरंजनि, सुख-सम्पत्ति-दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता॥ ॐ जय…

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता॥ ॐ जय…

जिस घर तुम रहती, तहं सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहिं घबराता॥ ॐ जय…

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।

खान-पान का वैभव सब तुमसे आता॥ ॐ जय…

शुभ-गुण-मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहिं पाता॥ ॐ जय…

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कई नर गाता।

उर आनन्द समाता, पाप शमन हो जाता॥ ॐ जय…

अक्षय तृतीया पर ऐसे करें पूजा और दान:

अक्षय तृतीया पर नहाकर पवित्र हो जाएं. अपने पूजा घर या मंदिर में बैठें, फिर गणेश वंदना से पूजा की शुरुआत करें. अब भगवान विष्णु को ॐ विष्णवे नमः के साथ जल अर्पित करें. तत्पश्चात 'दीपस्थ देवतायै नमः' मंत्र के साथ दीप प्रज्जवलित करें. इसके बाद भगवान गणेश के इस मंत्र ‘ॐ गं गणपतये नमः से पूजा करें. इसके बाद मां लक्ष्मी की आराधना करें. उन्हें लाल पुष्प, कुमकुम, इत्र, प्रसाद इत्यादि अर्पित करें.

अक्षय तृतीया के दिन करें सफेद कमल या सफेद गुलाब से पूजा

अक्षय तृतीया के दिन सोने के आभूषण या वस्तु खरीदने के अलावा इस दिन लक्ष्मी नारायण की पूजा सफेद कमल या सफेद गुलाब से करने पर विशेष लाभ मिलता है.

अक्षय तृतीया पर श्रीयंत्र करेगा परेशानियों का अंत

अक्षय तृतीया पर घर में श्रीयंत्र और स्फटिक का बना कछुआ लाना शुभ माना जाता है. इससे घर से धन संबंधी तमाम तरह की परेशानियों का अंत हो जाता है.

दक्षिणवर्ती शंख लेने से होता है धन में इजाफा

अक्षय तृतीया पर माता का सबसे ज्यादा प्रिय चीज दक्षिणवर्ती शंख को घर में लाने से, घर में धन का इजाफा होता है.

अक्षय तृतीया के दिन कौड़ी का है विशेष महत्व

अक्षय तृतीया के दिन कोड़ी की खरीदारी का विशेष महत्व होता है. माता लक्ष्मी को कौड़ी बहुत प्रिय है. अवसर पर बाजार से कौड़ी जरूर लानी चाहिए. अक्षय तृतीया पर यह उपाय आर्थिक परेशानियों से निजात दिलाती है.

6 राजयोग के साथ इस बार कुल 8 शुभ योग

इस साल 2020 में अक्षय तृतीया के दिन 6 राजयोग का मुहूर्त बन रहे हैं. इस दिन प्रात: काल में शश, रूचक, अमला, पर्वत , शंख और नीचभंग के राजयोग बन रहे हैं वहीं दो और शुभ मुहूर्त में महादीर्घायु और दान योग का भी संयोग बन रहा है. इस साल अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनना शुभ रहेगा जिसके कारण यह दिन और भी ज्यादा खास हो जाता है. इस दिन के व्रत और पूजा-पाठ से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.

अक्षय तृतीया का हिंदू संस्कृति में विशेष महत्व

वैशाख शुक्ल तृतीया का हिंदू संस्कृति में विशेष मूल्य है.यह हमारी कई संस्मृतियों की महिमा बताने आया करती है.इसे युगादि तिथि कहा गया है,इसी दिन सत्ययुग (मतांतर से त्रेता युग) की शुरुआत हुई थी.इस दिन प्रदोषकाल में तेजोमूर्ति भगवान परशुराम का अवतरण हुआ था.अक्षय तृतीया का दिन श्री विष्णु के परशुराम,नर-नारायण तथा हयग्रीव के अवतारों से भी जुड़ा हुआ है.इसलिए इस दिन श्रीहरि की एवं उनके इन अवतारों के साथ -साथ श्रीकृष्ण,सूर्य,शिव,गौरी,गंगा,कैलास, हिमालय,सागर एवं भगीरथ की पूजा का भी विशेष महत्व है.इस तिथि का महत्व इतना अधिक है कि स्वयं देवतागण भी इस तिथि की वंदना करते हैं.

रवियोग में अक्षय तृतीया

इस साल रविवार को अक्षय तृतीया का पर्व है. इस दिन रवियोग भी उपस्थित रहेगा. इस योग का आंरम्भ शनिवार की शाम से हो रहा है और रविवार को रात 10 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.ज्योतिषशास्त्र में रविवार के दिन रवियोग बहुत ही शुभ माना जाता है.

इस बार रोहिणी नक्षत्र में तृतीय विशेष फलदायी

मतस्यपुराण के अनुसार कृत्तिका नक्षत्र से युक्त तृतीया विशेष फलदायी है तो नारदपुराण के अनुसार इस दिन रोहिणी नक्षत्र का होना दुर्लभ संयोग है. इन दोनों में कोई भी नक्षत्र उत्तम होता है.फिर भी द्वितीया विद्धा तृतीया अग्राह्य कही गयी है.तृतीया में चतुर्थी का योग गौरी -विनायक योग के रूप में ग्राह्य है.सर्वाधिक पुण्यदायक व सुखदायक है.यही कारण है कि इस बार 26 अप्रैल रविवार को रोहिणी नक्षत्र में यह पर्व मनाना अत्यंत उत्तम है.

अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी का विशेष महत्व

ऐसी मान्यता है की अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.यह माना जाता है कि आज के दिन सोना खरीदने से भविष्य में धन की कमी नहीं होती है .इसलिए इस दिन सोना खरीदा जाता है .शास्त्रों के अनुसार इस दिन सूर्य का तेज काफी रहता है और धरती पर इसकी किरणें काफी तेज के साथ आती है.इसलिए इस दिन सोना की खरीदारी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है.

आज के दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है और साथ में माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है.आज के दिन लोग व्रत रखकर भी भगवान को प्रसन्न करते हैं.

अक्षय तृतीया कब है ?

हिंदू पंचांग के अनुसार बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार इस दिन को आखा तीज मनाया जाता है और यह हर साल के अप्रैल महीने में आता है.इस साल 2020 में अक्षय तृतीया कल 26 अप्रैल रविवार को है.

अक्षय तृतीया के दिन दान का महत्व-

आज के दिन दान करने से पुण्य की बढोत्तरी होती है. आज शुद्ध मन से यदि गुड़ ,अनाज, फल,सब्जी,कपड़े वगैरह का दान किया जाए तो इसका लाभ पुण्य के रूप में मिलने की मान्यता है. आज के दिन गुड़ से बने रोटी यदि गाय को खिलाया जाए साथ ही गुड़ मिला पानी गौमाता को पिलाया जाए तो यश व पुण्य की प्राप्ति होती है.

स्कन्दपुराण कहता है- ' न माधवसमो मासो न कृतेन समं युगम् ' अर्थात वैशाख के समान कोई महीना नहीं है और न ही सत्ययुग के समान कोई युग है.अक्षय तृतीया वैशाख में ही होती है और आदियुग इसी दिन प्रारंभ हुआ था इसलिए यह पुण्यप्रद तिथियों में सबसे महत्वपूर्ण है.

वैशाख शुक्ल तृतीया का हिंदू संस्कृति में विशेष मूल्य है.यह सनातन धर्म के कई संस्मृतियों की महिमा बताने आया करती है. इसे युगादि तिथि कहा गया है,इसी दिन सत्ययुग (मतांतर से त्रेता युग) की शुरुआत हुई थी.

अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya ) को हिन्दू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण व मंगलकारी माना गया है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन शुभ फल और सौभाग्य का कभी क्षय नहीं होता है यानी कभी खत्म नहीं होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया हुआ कोई भी कार्य काफी ज्यादा फलदायक सिद्ध होगा.

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