23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Budh Pradosh Vrat 2024: आज बुध प्रदोष व्रत पूजा के लिए 2 घंटे का शुभ मुहूर्त, जानें मंत्र, उपाय और आरती

Budh Pradosh Vart 2024: ज्येष्ठ मास का त्रयोदशी तिथि आज है. आज बुध प्रदोष व्रत रखा गया है. प्रदोष व्रत भगवान शिव जी को समर्पित है. आइए जानते है पूजा के लिए शुभ समय, मंत्र, उपाय और आरती

Budh Pradosh Vrat 2024: इस महीने का अंतिम प्रदोष व्रत 19 जून दिन बुधवार यानि आज है. बुधवार को पड़ने के कारण इसे बुध प्रदोष व्रत कहा जाएगा. ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पड़ने वाला यह व्रत शिव जी को समर्पित होता है. बुध प्रदोष व्रत रखने और प्रदोष काल में शिव परिवार की पूजा करने से भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, शिव मंत्र, उपाय और आरती के बारे में विस्तृत जानकारी…

  • बुध प्रदोष शुभ मुहूर्त
  • बुध प्रदोष व्रत के लिए महत्वपूर्ण तिथियां और समय इस प्रकार हैं:
  • त्रयोदशी तिथि का आरंभ: 19 जून 2024 को सुबह 7 बजकर 28 मिनट पर हो चुकी है.
  • त्रयोदशी तिथि का समापन: 20 जून 2024 को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर होगी.
  • आज प्रदोष काल का समय: शाम 7 बजकर 22 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक
  • प्रदोष पूजा का मुहूर्त: शाम 7 बजकर 22 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक
  • पूजा के लिए कुल अवधि: 2 घंटे

मंत्र- ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

बुध प्रदोष पूजा विधि

आज शाम के समय स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और फिर शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिपूर्वक पूजा करें. संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं और फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें. शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें. इसके बाद बुध प्रदोष व्रत की कथा सुनें और घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें. अंत में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें और क्षमा प्रार्थना भी करें.

बुध प्रदोष उपाय

शिव जी की असीम कृपा पाने के लिए पूजन के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें- घी, दही, फूल, फल, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शहद, गंगाजल, सफेद चंदन, काला तिल, कच्चा दूध, हरी मूंग दाल, शमी का पत्ता.

Also Read: Shani Dosh: आखिर इन राशियों पर क्यों कम रहता है साढ़ेसाती का दुष्प्रभाव, जानें कौन सी हैं ये भाग्यशाली राशियां

शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा.
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे.
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा ॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे.
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी.
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे.
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी.
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका.
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा.
पार्वती अर्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी.
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे.
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा ॥

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें