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Sankashti Chaturthi 2024: कब रखा जाएगा चैत्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सामग्री और आरती

Chaitra Sankashti Chaturthi 2024: चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. आइए जानते है शुभ मुहूर्त-पूजा विधि और महत्व...

Sankashti Chaturthi 2024: भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है, इसलिए भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के सभी विघ्न बाधाएं दूर हो जाते हैं. चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाता है. वहीं चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति को धन, यश, वैभव प्राप्त होता है, इसके साथ ही व्यक्ति की तमाम तरह के विघ्न खत्म होते हैं और घर में सुख समृद्धि आती है.

संकष्टी चतुर्थी व्रत डेट 2024

चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 मार्च को शाम 6 बजकर 56 मिनट पर होगी. संकष्टी चतुर्थी 29 मार्च को रात 8 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी. इस दिन चंद्रोदय के समय में पूजा करने का विधान है. संकष्टी चतुर्थी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, जिसके कारण ये व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा.

संकष्टी चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त

इस साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 मार्च को रखा जाएगा, इस दिन भगवान श्रीगणेश की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. 28 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर गणेश पूजा का शुभ समय सूर्योदय से सुबह 7 बजकर 48 मिनट तक है, इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 15 मिनट पर होगा.

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संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि

  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.
  • गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें.
  • भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें.
  • भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें.
  • भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं.
  • भगवान गणेश का ध्यान करें.
  • गणेश जी को भोग भी लगाएं.

संकष्टी चतुर्थी पूजा सामग्री लिस्ट

गणेश जी की प्रतिमा, पीला कपड़ा, चौकी, फूल, जनेऊ, लौंग, दीपक, दूध, मोदक, गंगाजल, जल, धूप, देसी घी, 11 या 21 तिल के लड्डू, फल, कलश, सुपारी पूजन सामग्री में शामिल करें.

गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

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