Falgun Month Start: सनातन धर्म में फाल्गुन मास मास का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार साल का अंतिम महीना फाल्गुन मास होता है, इसके बाद हिंदू नववर्ष शुरू होगा. फाल्गुन का महीना देवों के देव महादेव और भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है. क्योंकि इस माह में महाशिवरात्रि और होली समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. फाल्गुन माह की शुरुआत 25 फरवरी 2024 दिन रविवार से हो रही है, इसकी समाप्ति 25 मार्च 2024 को होगी. फाल्गुन में शिव-पार्वती, कृष्ण, चंद्र देव की विशेष पूजा करनी चाहिए. इस महीने में आने वाले त्योहार महाशिवरात्रि, होली, विजया-आमलकी एकादशी, आदि खास माने गए हैं. फाल्गुन में किए गए कुछ विशेष कार्य धन, संपदा, सुख, समृद्धि प्रदान करते हैं.
इस दिन शुरू होगा फाल्गुन मास
फाल्गुन मास उल्लास और आनंद का महीना होता है. यह माह मुंडन, ग्रृह प्रवेश और मांगलिक कार्यों के लिए बेहद शुभ होता है, इस बार फाल्गुन महीने का प्रारंभ 25 फरवरी से हो रहा है और 25 मार्च को समापन होगा. फाल्गुन मास में आने वाले पर्व और व्रत सकारात्मक ऊर्जाओं से भरे होते हैं. मान्यता के अनुसार, इस माह में चन्द्रमा का जन्म भी हुआ था. फाल्गुन में चंद्र देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है. अगर आपकी कुंडली में चंद्र दोष है, तो इस माह में चंद्रमा की उपासना करने से कुंडली में से चंद्र दोष को खत्म किया जा सकता है.
क्यों पड़ा साल के आखिरी महीने का नाम फाल्गुन?
शास्त्रों के अनुसार, हिंदू कैलेंडर के सभी नामों का नाम नक्षत्रों के नाम पर रखे गए हैं. किसी भी महीने की पूर्णिमा तिथि के बाद चंद्रमा जिस नक्षत्र में जाता है, तो उस महीने का नाम उसी आधार पर रखा जाता है. ऐसे ही जब चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो फाल्गुन मास शुरू हो जाता है.
करें ये कार्य
– फाल्गुन माह में तामसिक भोजन और मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें.
– फाल्गुन महीने में सामान्य पानी से स्नान करना श्रेष्ठकर होता है.
– इसके अलावा इस माह में बड़े बुर्जगों और महिलाओं का अपमान न करें.
– फाल्गुन माह में भगवान शिव और भगवान श्रीकृष्ण समेत सभी देवी-देवताओं की पूजा करें.
फाल्गुन मास में दान का महत्व
माघ मास की तरह फाल्गुन मास में भी दान का विशेष महत्व है, इस माह में जरूरतमंदों की अपनी योग्यता के अनुसार शुद्ध घी, सरसों का तेल, मौसमी फल, अनाज, वस्त्र आदि का दान करना चाहिए. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही पितरों का निमित्त तर्पण करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है.