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गणेशजी की आरती में “बांझन को पुत्र देत” क्यों कहा जाता है, यहां जानें

Ganesh Jee Ki Arti: हर बुधवार को गणेशजी की आरती का पाठ किया जाता है. गणेश जी की अद्भुत महिमा है कि यह अकेले नहीं बल्कि रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ के साथ आते है और जीवन को एक उत्सव के रूप में परिणित कर देते है.

Ganesh Jee Ki Arti Path: बुधवार का दिन श्री गणेश की पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन बुध ग्रह की भी आराधना की जाती है. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति अशुभ है, तो बुधवार को गणेश पूजन करने से उसे लाभ प्राप्त होता है. बुधवार का स्वामी बुध ग्रह है, जिसे बुद्धि का कारक माना जाता है. इस दिन श्री गणेश को मोदक का भोग अर्पित करने से बुद्धि में वृद्धि होती है और सुख-सफलता बनी रहती है. गणेशजी की आरती में बांझन को पुत्र देत क्यों कहते हैं, आइए इसके बारे में जानें

गणेशजी की आरती बांझन को पुत्र देत क्यों कहते हैं

संस्कृत में पुत्र शब्द नहीं है पर पुत्रकः शब्द आता है जिसका अर्थ बेटा होता है. पुत्रः शब्द स्त्रीलिंग है इसका अर्थ भी बेटा ,बच्चा होता है. इसका शुद्ध रूप पुत्त्रः है. इससे दोनों का अर्थ ग्रहण करें.

आइए, हम श्री गणेश की आरती का पाठ करते हैं

श्री गणेश की आरती

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥ जय…॥

एकदंत, दयावंत, चारभुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी ॥ जय…॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥ जय…॥

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लडुअन का भोग लगे, संत करे सेवा ॥ जय…॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी ॥ जय…॥

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