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Surya Grahan 2020: क्या इस ग्रहण के बाद खत्म हो जाएगा कोरोना का कहर? जानिए सूर्य ग्रहण को लेकर क्या है वैज्ञानिक मान्यता

Surya Grahan, coronavirus outbreak in india, grahan Time, Surya Grahan Kab Lagega, Padega, Samay or Kab Ka Pad Raha Hai: दिसंबर 2019 में जब आखिरी सूर्यग्रहण लगा था तभी से कोराना जैसे वायरस की शुरुआत चीन में हुई थी. कल लगने वाला सूर्यग्रहण साल का पहला और अब तक का सबसे लंबा सूर्यग्रहण होगा. इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि इस सूर्यग्रहण के बाद लोगों को कोरोना जैसे वायरस से निजात मिल सकती है.

Surya Grahan 2020: दिसंबर 2019 में जब आखिरी सूर्यग्रहण लगा था तभी से कोराना जैसे वायरस (Coronavirus in india) की शुरुआत चीन में हुई थी. कल लगने वाला सूर्यग्रहण साल का पहला और अब तक का सबसे लंबा सूर्यग्रहण होगा. इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान जताया है कि इस सूर्यग्रहण के बाद लोगों को कोरोना जैसे वायरस से निजात मिल सकती है. वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्यग्रहण के समय सूर्य से निकलने वाली किरणों से कई तरह के वायरस निकलते है. इससे कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है. उसी का एक भाग कोरोना भी माना जा रहा है.

कल अब तक सबसे लंबा सूर्यग्रहण लगेगा. ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाएगा. सूतक काल में कई तरह इसमें कुछ राशिफलों को फायदा होगा तो कुछ को काफी नुकसान भी होने के असार लगाए जा रहे है. सूतक आज रात्रि 9.52 बजे से शुरू होगा. क्या सूर्य ग्रहण और कोरोना संक्रमण फैलने के बीच कोई कनेक्शन है. एक भारतीय वैज्ञानिक ने तो यही दावा किया है. साथ ही कहा है कि 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण (Surya Grahan) के साथ ही कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा. उनका कहना है कि सूर्यग्रहण के बाद उत्सर्जित विखंडन ऊर्जा के कारण पहले न्यूट्रॉन के कण के संपर्क के बाद कोरोना वायरस का कहर टूटा है.

कोरोना हमारे जीवन को नष्ट करने के लिए आया है. 26 दिसंबर के आखिरी सूर्य ग्रहण होने के बाद सौर मंडल में ग्रहों की स्थिति में बदलाव हुआ है. यह उसी की नतीजा है. ग्रहों में बदलाव के कारण यह वायरस ऊपरी वायुमंडल से उत्पन्न हुआ है. इसी बदलाव के कारण धरती पर उचित माहौल बना और वायरस प्रवेश कर गया. ये न्यूट्रॉन सूर्य की विखंडन ऊर्जा से निकल रहे हैं.

न्यूक्लियर फॉर्मेशन की यह प्रक्रिया ऐसे बाहरी मटेरियल का कारण शुरू हुई, जो ऊपरी वायुमंडल में एक जैव-परमाणु, जैव-परमाणु इंटरेक्शन नाभिक हो सकता है. जैव-आण्विक संरचना (प्रोटीन) का उत्परिवर्तन इस वायरस का एक संभावित स्रोत हो सकता है. भारतीय वैज्ञानिक डॉ. केएल सुंदर कृष्णा ने आशंका जताई है कि म्युटेशन प्रोसेस सबसे पहले चीन में शुरू हुई हो, इसलिए यह वायरस सबसे पहले वहां नजर आया है. हालांकि इस दावे के लिए उनके पास पुख्ता सबूत नहीं हैं.

सूर्यग्रहण के बाद खत्म होगा कोरोना वायरस

वैज्ञानिक का दावा है कि 21 जून 2020 को आने वाले सूर्य ग्रहण के साथ ही कोरोना वायरस भी खत्म होने लगेगा. उनके मुताबिक, आगामी सूर्यग्रहण टर्निंग पॉइंट हो सकता है. सूर्य ग्रहण के बाद आने वाली सूर्य की तीव्र किरणों वायरस को निष्क्रिय कर देगी. डॉ. केएल सुंदर कृष्णा, हमें इससे घबराने की जरूरत नहीं है. यह सौरमंडल में होने वाली प्राकृतिक हलचल है. सूर्य की किरणें और सूर्य ग्रहण इस वायरस का प्राकृतिक इलाज है. ज्योतिष्चार्य के अनुसार इस साल दो सूर्यग्रहण औ तीन चंद्रग्रहण लगेंगे. कुल साल पांच ग्रहण लगेंगे.

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