Holi 2021, Holika Dahan Story, Holika Dahan 2021 Time: होलिका जलेगी 28 मार्च रविवार. होली रंगों का त्योहार है . हमें यह पूरी दुनिया की याद दिलाता है, जो रंगीन है. प्रकृति की तरह ही हमारी भावनाएं और उनसे जुड़े अलग-अलग रंग हैं- क्रोध का संबंध लाल से है, हरे रंग का जलन, जीवंतता से, पीले रंग का खुशी से, गुलाबी रंग का प्यार से, नीले रंग का विशालता से, सफेद का शांति से, भगवा का त्याग से और बैंगनी का ज्ञान से है. हर व्यक्ति रंगों का फव्वारा है, जो बदलता रहता है. Holi 2021 Prabhatkhabar पर पढ़ें होलिका दहन की कथा…
होलिका दहन की कहानी पुराणों में होली से जुड़ी एक कहानी है, जो बहुत ही रोचक है. एक असुर राजा हिरण्यकश्यप चाहता था कि हर कोई उसकी पूजा करे. लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद राजा के शत्रु भगवान नारायण का भक्त था और उससे छुटकारा पाने के लिए क्रोधित राजा चाहता था कि उसकी बहन होलिका यह काम करे. आग का सामना करने के लिए तैयार, होलिका एक जलती हुई चिता पर प्रह्लाद को अपनी गोद में लिये बैठी. लेकिन प्रह्लाद के बजाय होलिका आग में जल गयी और प्रह्लाद बिना कोई नुकसान आग से बाहर आ गया.
हिरण्यकश्यप उसका प्रतीक है, जो स्थूल है. प्रह्लाद मासूमियत, विश्वास और आनंद का प्रतीक है. भावना केवल प्रेम तक सीमित नहीं रह सकती. व्यक्तिगत जीवात्मा हमेशा के लिए भौतिकता से बाध्य नहीं रह सकती. अंततः नारायण जो एक का उच्च स्वर है, उसकी ओर बढ़ना स्वाभाविक है.
होलिका गत जीवन के बोझों का प्रतीक है, जिसने प्रह्लाद की मासूमियत को जलाने की कोशिश की. लेकिन नारायण भक्ति में गहराई से निहित प्रह्लाद की रक्षा करते हैं.
जो भक्ति में गहरा है, उसके लिए खुशी नये रंगों के साथ बहती है और जीवन एक उत्सव बन जाता है. अतीत को जलाते हुए आप एक नयी शुरुआत के लिए तैयार होते हैं. आपकी भावनाएं, आग की तरह आपको जलाती हैं, लेकिन जब वे रंगों के फव्वारे होती हैं, तो वे आपके जीवन में आकर्षण जोड़ती हैं. अज्ञानता में भावनाएं आपको परेशान करती हैं, ज्ञान में वही भावनाएं आपके जीवन में रंग जोड़ती हैं.
होली की तरह जीवन भी रंगीन होना चाहिए, उबाऊ नहीं. जब प्रत्येक रंग को स्पष्ट रूप से देखा जाता है, तो वह रंगीन होता है. सभी रंगों का मिश्रण काला रंग बनता है. इसी तरह, जीवन में भी हम सभी विभिन्न भूमिकाएं निभाते हैं.
प्रत्येक भूमिका और भावना को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है. भावनात्मक भ्रम से समस्याएं पैदा होती हैं. जब आप एक पिता हैं, तो आपको एक पिता की भूमिका निभानी होगी. आप कार्यालय में पिता नहीं हो सकते. जब आप अपने जीवन में भूमिकाओं को मिलाते हैं, तो आप गलतियां करने लगते हैं. जीवन में आप जो भी भूमिका निभाते हैं, अपने आप को पूरी तरह से उसके लिए दे दें.
जीवन में आपको जो भी आनंद का अनुभव होता है, वह आपके स्वयं की गहराई से होता है, जब आप उन सब को छोड़ देते हैं. जो आपने पकड़ रखा है और उस जगह में स्थिर या शांत हो जाते हैं, उसे ध्यान कहते हैं.
ध्यान कोई कृत्य नहीं है, यह कुछ न करने की कला है. ध्यान, बाकी गहरी नींद की तुलना में सबसे ज्यादा गहरा विश्राम देनेवाला है, क्योंकि ध्यान में आप सभी इच्छाओं को पार करते हैं. यह मस्तिष्क में शीतलता लाता है और शरीर-मन के भवन की पूरी मरम्मत करता है.
उत्सव आत्मा का स्वभाव है और मौन से निकला उत्सव सच्चा उत्सव है. यदि पवित्रता किसी उत्सव से जुड़ जाती है, तो वह परिपूर्ण हो जाती है, सिर्फ शरीर और मन ही नहीं, बल्कि आत्मा भी उत्सव मनाती है.
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रविवार, 28 मार्च: सूर्यास्तकाल में
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अवधी: 2 घंटे 20 मिनट तक
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होलिका दहन शुभ मुहूर्त आरंभ: 06 बजकर 37 मिनट से
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होलिका दहन शुभ मुहूर्त आरंभ: 08 बजकर 56 मिनट तक संपन्न
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पूर्णिमा तिथि आरंभ: शनिवार, 27 मार्च को रात्रि 02 बजकर 29 मिनट से रविवार, 28 मार्च को रात्रि 12:40 बजे तक.
श्री श्री रविशंकर
आध्यात्मिक गुरु
Posted By: Sumit Kumar Verma