हरतालिका तीज व्रत का संबंध भगवान शिव और पार्वती जी से है. इस दिन रात भर जागरण कर गौरीशंकर की पूजा का विधान है. हरतालिका तीज का व्रत सर्वप्रथम मां पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था. इस दिन सुहागन महिलाएं हरतालिका तीज पर अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं.
हरतालिका तीज व्रत निर्जला होता है, जिसमें व्रती पानी भी नहीं पीते. इस दिन महिलाएं पूरी तरह से सोलह श्रृंगार कर शिव और पार्वती की पूजा करती हैं. इस तीज का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है.
शिवलिंग बनाने के लिए तालाब या नदी की स्वच्छ मिट्टी, रेत का भी उपयोग कर सकेत हैं. चंदन, जनेऊ, फुलेरा, पुष्प, नारियल, अक्षत 5 पान के पत्ते, 5 इलायची, 5 पूजा सुपारी, पांच लौंग, 5 प्रकार के फल दक्षिणा, मिठाई, पूजा की चौकी, धतूरे का फल, कलश, अभिषेक के लिए तांबे का पात्र, दूर्वा, आक का फूल, घी, दीपक, अगरबत्ती, धूप, कपूर पूजन सामग्री में शमिल करें.
व्रत कथा पुस्तक, शिव को चढ़ाने के लिए 16 तरह के पत्ते – बेलपत्र, तुलसी, जातीपत्र, सेवंतिका, बांस, देवदार पत्र, चंपा, कनेर, अगस्त्य, भृंगराज, धतूरा, आम पत्ते, अशोक पत्ते. पान पत्ते, केले के पत्ते, शमी के पत्ते भोलेनाथ और पार्वती को चढ़ाना चाहिए.
हरतालिका तीज में सुहाग की पिटारी का विशेष महत्व है, इसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चूड़ी, कंघी, माहौर समेत अन्य सुहाग की सामग्री शामिल करें.
हरतालिका तीज पर पूजा के लिए सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 34 मिनट तक शुभ मुहूर्त है.
वहीं प्रदोष काल में चार प्रहर की पूजा शाम 06 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी.
पहला प्रहर – शाम 06 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 02 मिनट
दूसरा प्रहर – रात 09 बजकर 02 मिनट से 19 सितंबर को प्रात: 12 बजकर 15 मिनट तक
तीसरा प्रहर – प्रात: 12 बजकर 15 मिनट से 19 सितंबर को प्रात: 03 बजकर 12 मिनट तक
चौथा प्रहर – प्रात: 03 बजकर 12 मिनट से 19 सितंबर को सुबह 06 बजकर 08 मिनट तक
इस साल हरतालिका तीज व्रत 18 सितंबर 2023 दिन सोमवार को रखा जाएगा. वहीं इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को किया जाएगा. 19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद गौरीशंकर की पूजा करें और उनका विसर्जन करने के बाद जल ग्रहण कर व्रत खोलें.