Hindu Nav Varsh 2081: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानि 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार से हिंदू नूतन वर्ष तथा नवरात्रि का प्रारंभ हो चुका है. चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है. इस वर्ष देवी भगवती घोड़े पर सवार होकर पृथ्वीलोक में विचरण करेंगी तथा हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी. नवरात्रि पर अनेक शुभ योग बन रहे हैं. रोहिणी नक्षत्र, गजकेसरी योग, सर्वार्थ सिद्धि योग तथा अमृत सिद्धि योग होने से नवरात्रि अत्यंत ही शुभ फल प्रदान करने वाली रहेगी. ब्रह्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी द्वारा इसी दिन से सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया गया था. अतः इसी को आधार मानकर कालगणना का सिद्धांत प्रारंभ हुआ. आइए जानते है ज्योतिषाचार्य पंडित पीयूष पाराशर से कि विक्रम संवत की शुरुआत कब से हुई और इसका धार्मिक महत्व क्या है-
नव वर्ष मनाने का क्या महत्व है
सनातन धर्म के रीति रिवाज एवं पर्वों का कोई न कोई वैज्ञानिक प्रयोजन अवश्य होता है. चैत्र माह में नव वर्ष मनाने का ध्येय यह रहता है कि इस समय प्रकृति का नव निर्माण प्रारंभ होता है. पतझड़ समाप्त होकर बसंत ऋतु के आगमन से प्रकृति हरी भरी हो जाती है. चारों ओर सुंदर पुष्प एवं हरियाली देखने को मिलती है, इसके अतिरिक्त नव वर्ष से प्रकृति एवं धरती का एक चक्र पूरा होता है धरती सूर्य का एक चक्कर पूर्ण करती है.
विक्रम संवत की शुरुआत कब से हुई?
विक्रम संवत का आरंभ 57 ईस्वी पूर्व हुआ था इसलिए हिंदू विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष से 57 वर्ष आगे चलता है। विक्रम संवत कैलेंडर चंद्र आधारित है। हिंदू कैलेंडर में कुल 12 माह होते हैं जो इस प्रकार है- चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन.
हिंदू नव संवत्सर 2081 के साथ ही नवरात्रि प्रारंभ हो गई हैं. इस वर्ष संवत्सर का नाम कालयुक्त होगा, जिसमें मंगल देव राजा एवं शनि देव मंत्री पद का कार्य भार संभालेंगे.
वत्सरे कालयुक्ताख्ये सुखिनः सर्वजन्तवः।
सन्त्यथापि च सस्यानिप्रचुराणि तथा गदाः।।
कालयुक्त नाम सम्वत्सर होने से सभी प्राणी सुखी रहेंगे अन्न का उत्पादन उत्तम रहेगा किंतु रोग अधिक फैलेंगे.
बहुक्षीरघुतागावो बहुपुष्प फलद्रुमाः। बहुवृष्टि भवेन्मेघाबहुसस्या च मेदनी।
गौ महिष्य वृषच्छागाः कास्यंतानादिधातवः। तत्सर्वं विक्रयं यान्ति कर्तव्यं धान्य संग्रहः ॥
गौ माता दूध तथा घी से युक्त होगी. वृक्ष पुष्पों फलों से युक्त होंगे. मेघ वर्षा प्रदान करेंगे. फसल उत्तम रहेगी. गाय, भैंस, बैल, बकरी, कांसा, तांबा आदि, धातु इत्यादि की विक्री उत्तम रहेगी. अन्न का संग्रह करना उचित रहेगा.
मंगल देव होंगे राजा
मंगल देव राजा होने से अग्नि भय जनहानि, चोरों का आतंक, राज्यों में विग्रह रह सकता है. स्वजनों के वियोग से पीड़ा आदि का दुख हो सकता है. अर्थात प्रजा को दुख और वर्षा कम होगी. मंगल राजा होने से संपत्ति से जुड़े व्यापारियों के लिए संवत्सर 2081 विशेष लाभकारी रहेगा. व्यापार में नए आयाम स्थापित होंगे. आय में बढ़ोतरी होगी. नए कार्यों के लिए वर्ष शुभ फल कारक रहेगा, इसके अतिरिक्त सेना तथा पुलिस में कार्यरत जातकों के लिए वर्ष शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा. चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े हुए जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होगा. परंतु राजा मंगलदेव होने से आम जनमानस में क्रोध अधिक देखने को मिलेगा. अग्नि भय, बिजली गिरने ,भूस्खलन भूकंप जैसी घटनाएं अधिक हो सकती हैं इसके अतिरिक्त लोगों में लोभ बढ़ेगा. सीमा पर तनाव बढ़ सकता है. विदेशी निवेश से लाभ प्राप्त होगा. सामान्य जनमानस को रक्त विकार जैसी समस्याएं रहेंगी.
मंत्री पद पर होंगे शनिदेव
संवत्सर 2081 में मंत्री पद पर शनि देव आसीन होने के कारण राजाओं में नम्रता ना रहने से, उनके आचरण से प्रजा अत्यंत दुखी रहेगी. राष्ट्राध्यक्ष एवं अमात्य में मतभेद रहेगा. रोग शोक बढ़ेगा. शनि से पीड़ित जातकों को चोट का भय बना रहेगा. लोहा, फर्नीचर, तकनीकी व्यापार से लाभ होगा.
अन्य ग्रहों का पदभार
01- सूर्य देव को धन्येश का पदभार.
02- सस्येश तथा नीरशेष के स्वामी मंगलदेव रहेंगे.
03- मेघेष तथा दुर्गेश का पद भार शुक्र देव को प्राप्त हुआ है.
03- देव गुरु बृहस्पति को रसेश का कार्यभार.
04- धनेश का दायित्व चंद्र देव को प्राप्त हुआ है.
- वर्ष में चार ग्रहण
- वर्ष में चार ग्रहण पड़ेंगे जिसमें दो सूर्य ग्रहण एवं दो चंद्रग्रहण होंगे.
- वर्ष का प्रथम चंद्र ग्रहण 18 सितंबर 2024 को खंडग्रास चंद्र ग्रहण रहेगा.
- 2 अक्टूबर 2024 को कंकड़ाकृति सूर्य ग्रहण रहेगा.
- 14 मार्च 2025 को पूर्ण ग्रास चंद्र ग्रहण रहेगा.
- 29 मार्च 2025 खंडग्रास सूर्य ग्रहण रहेगा.
- इनमें से कोई भी ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा और ना हीं उसका कोई धार्मिक महत्व होगा.
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